यहां के किसानों को नहीं चाहिए नकदी, नेट बैंकिंग से खरीदते हैं खेती का सामान

Ashish DeepAshish Deep   16 Nov 2016 3:12 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यहां के किसानों को नहीं चाहिए नकदी, नेट बैंकिंग से खरीदते हैं खेती का सामानअकोड़ा गाँव में नेट बैंकिंग से केबल का किराया देते ग्राहक।

लखनऊ। 500-1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद जनता खासकर किसानों के पास नकदी का संकट खड़ा हो गया है। लेकिन गुजरात में एक ऐसा गाँव है जहां के किसान एकदम निश्चिंत हैं। उन्हें बीज, सिंचाई और खेती से जुड़े अन्य किसी काम के लिए नकदी का संकट नहीं है। कारण, डिजिटाइजेशन यानि सभी के पास ऑनलाइन बैंकिंग है।

वैसे अकोड़ा गाँव के लिए यह कोई नई बात नहीं है। क्योंकि उसे देश का पहला डिजिटल गाँव होने का गौरव हासिल है। इस गाँव में 220 परिवार हैं जिनके पास ई-बैंकिंग सुविधा है। ग्रामीण हरेक काम के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं चाहे बच्चों के लिए दूध, सब्जी या अंडा खरीदना हो या खेती से संबंधित खरीदारी। उनके फोन बैंक अकाउंट से सीधे जुड़े हैं और वह वाईफाई की मदद से त्वरित भुगतान करते हैं।

आईसीआईसीआई बैंक ने गोद लिया था गाँव

यह गाँव अहमदाबाद से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबरकांता जिले में पड़ता है। यहां की आबादी 1200 लोगों की है। इसे आईसीआईसीआई बैंक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान के तहत गोद लिया है। गाँव में केबल ऑपरेटर मनीलाल प्रजापति इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अपना मासिक किराया वसूलते हैं। जिन घरों में केबल कनेक्शन है वे बैंक को एसएमएस से सूचित करते हैं। एसएमएस में अपना मोबाइल नंबर डालने के बाद तीन टाइप करते हैं और फिर अपने खाते के अंतिम छह नंबर लिख कर भेजते हैं और केबल ऑपरेटर के खाते में किराया चला जाता है।

पंसारी 10 रुपए से ऊपर की बिक्री पर ई पेमेंट से लेता है भुगतान

पंसारी तो 10 रुपए के ऊवर कोई भी सामान खरीदने पर ई बैंकिंग से भुगतान ले लेता है। स्थानीय दूध कोऑपरेटिव ने बीते साल से ही किसानों को नकद भुगतान एकदम बंद कर दिया है और वह उनकी रकम सीधे बैंक में हस्तांतरित कर देता है। चूंकि सभी किसानों का खाता आधार से जुड़ा है तो सरकारी सब्सिडी भी सीधे उनके खाते में पहुंचती है। गाँव में मुख्यत: रुई और गेंहू की खेती होती है। इसके अलावा कुछ के पास पशुपालन का भी कारोबार है। गाँव में पशुओं के लिए एक हास्टल भी है जहां उनकी देखरेख से लेकर चिकित्सीय मदद के लिए डॉक्टर तक रहते हैं।

आईसीआईसीआई बैंक ने जब इस गाँव को गोद लिया था तब यहां के हालात बिल्कुल अलग थे। उस समय बैंक की सीएमडी चंदा कोचर ने कहा था कि देश में छह लाख गाँव हैं, सभी को अकोड़ा के जैसा बनाना है यानि कैशलेस, कनेक्टेड और काम्प्रीहेंसिव (नकदी रहित, हमेशा संपर्क में रहने वाला और व्यापक)।

नकदी रहित गाँव

बैंक ने गाँव की सभी दुकानों, मंडियों और कोऑपरेटिव सोसायटी को ई पेमेंट से जोड़ दिया। दूध बेचने वाले कार्ड के जरिए भुगतान लेते हैं। अगर नकदी की जरूरत पड़ती है तो गाँव में एटीएम भी लगे हैं। हालांकि गाँववाले नकदी घर में कम ही रखते हैं।

हमेशा दुनिया से जुड़ा रहने वाला गाँव

बैंक ने गाँव में वाई-फाई टावर के जरिए तेज गति वाला ब्रॉडबैंड लगवाया है ताकि गाँववाले अपने मोबाइल से कोई भी खरीदारी कर सकें। गाँव में हरेक नुक्कड़ पर टर्मिनल लगे हुए हैं जिस पर कृषि उत्पादों के दाम प्रदर्शित होते रहते हैं। गाँव की वेबसाइट और फेसबुक पन्ना भी बनाया गया है।

इंटरनेट ने बनाई व्यापक पहुंच

गाँववालों की पहुंच व्यापक स्तर तक हो गई है क्योंकि उनके पास इंटरनेट है। स्कूलों में अत्याधुनिक ढंग से पढ़ाई होती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर ऑडियो-वीडियो सामग्री चलाने की सुविधा है। सरकार के कई कौशल विकास कार्यक्रम यहां चलाए जाते हैं। लड़कियों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.