छत्तीसगढ़: ढाई हजार फीट की ऊंचाई से गणेश प्रतिमा खाई में गिरी

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छत्तीसगढ़: ढाई हजार फीट की ऊंचाई से गणेश प्रतिमा खाई में गिरीप्राकृतिक आभा के बीच खुले पर्वत में स्थित गणेश की यह प्रतिमा समुद्र तल से 2994 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

रायपुर/दंतेवाड़ा (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गणेश प्रतिमा ढोलकल गणेश प्रतिमा खाई में गिरकर खंडित हो गई है। प्राकृतिक आभा के बीच खुले पर्वत में स्थित गणेश की यह प्रतिमा समुद्र तल से 2994 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहले प्रतिमा के चोरी होने की अफवाह फैल गई थी। एसपी कमललोचन कश्यप और जिला प्रशासन की टीम ने शुक्रवार को मौके पर पहुंचकर मूर्ति के गिरने की पुष्टि की। वरिष्ठ पुरातत्वविद् और पुरातत्व सलाहकार पद्मश्री डॉ. अरुण शर्मा का कहना है कि शायद पत्थर में दरार होने के कारण मूर्ति गिरी होगी।

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार, ढोलकल शिखर पर स्थापित दुर्लभ गणेश प्रतिमा लगभग 11वीं शताब्दी की है। इसकी स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं ने की थी। यह प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित और ललितासन मुद्रा में है। गणेश की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा विश्व में विरले ही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर और एसपी तुरंत ही घटनास्थल की ओर रवाना हो गए थे। बताया जा रहा है कि प्रतिमा गायब नहीं हुई है, बल्कि खाई में गिर गई है।

बताया जाता है कि 26 जनवरी को कुछ पर्यटक यहां आए तो उन्हें मूर्ति अपने स्थान से नदारद मिली, वहीं अंदेशा जताया जा रहा था कि यह मूर्ति चोरी गई होगी। वह इतनी ऊंचाई से मूर्ति चोरी होने की बात गले नहीं उतर रही थी। पुलिस दल ने आज प्रतिमा के खाई में गिरने की पुष्टि की है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से 24 किलोमीटर दूर बैलाडीला की एक पहाड़ी का नाम है ढोलकल। यह स्थल बचेली वन परिक्षेत्र अंतर्गत ढोलकल शिखर पर दुर्लभ गणेश प्रतिमा फूलगट्टा वन कक्ष अंतर्गत है। समुद्र तल से इस शिखर की ऊंचाई 2994 फीट है। दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा की महिला पुजारी से मानते हैं। क्षेत्र में यह कथा प्रचलित है कि भगवान गणेश और परशूराम का युद्ध इसी शिखर पर हुआ था। युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत यहां टूट गया।

इस घटना को चिरस्थायी बनाने के लिए छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापति की। चूंकि परशूराम के फरसे से गणेश का दांत टूटा था, इसलिए पहाड़ी की शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा।

     

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