प्रदेश में बगैर मान्यता चल रहे 50 हज़ार स्कूल 

Rishi MishraRishi Mishra   21 Jan 2017 11:30 PM GMT

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प्रदेश में बगैर मान्यता चल रहे 50 हज़ार स्कूल सरोजिनी नगर में स्टर्लिंग पब्लिक स्कूल बगैर मान्यता के संचालित किया जा रहा।

ऋषि मिश्र

लखनऊ। बगैर मान्यता प्राप्त स्कूल की मनमानी ने एटा में 12 बच्चों की जान ले ली। ऐसे स्कूल बच्चों के भविष्य के साथ-साथ उनके जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक, यूपी में करीब 50 हज़ार गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हैं जिनमें 80 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

कन्नौज जिला मुख्यालय से 29 किमी दूर इंदरगढ़ ब्लॉक के मड़ईपुरवा निवासी गाेविंद कटियार बताते हैं, “यहां पर तो मंदिर में लोग स्कूल चला रहे हैं। कचाटीपुर में मौरंग की दुकानों के बीच स्कूल चल रहा है।”

वो बताते हैं, “ये स्कूल मनमानी फीस लेते हैं और आए दिन विभिन्न कार्यक्रमों के लिए बच्चों से तरह-तरह के प्रोजेक्ट बनवाते हैं और उन्हें स्कूल में ही रख लेते हैं।” मैनपुरी सदर में दरबारी सिंह शिक्षण संस्था और राजा भैया किड्स कार्नर स्कूल बगैर मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं। मैनपुरी के बीएसए रामकरन यादव बताते हैं, “बगैर पंजीकृत सभी स्कूलों को एक बार नोटिस दिया जा चुका है। खंड शिक्षाधिकारियों से एक सप्ताह में आख्या मांगी गई है। मान्यता न लेने पर स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी।” राजधानी में ही तीन हजार फर्जी स्कूल संचालित किये जा रहे हैं जिनमें से 107 के खिलाफ करीब एक साल पहले जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से एफआईआर तक दर्ज करवाई गई थी, मगर नतीजा कोई नहीं निकला।

सामाजिक कार्यकर्ता राजेश्वर सिंह बताते हैं, “पिछले कुछ साल में ठेकेदार, प्रापर्टी डीलर, बड़े वकील, डॉक्टर और नेता जिनके पास बहुत अधिक धन था, वे शिक्षा की दुकानें खोलने लगे। शिक्षा विभाग के मानकों को पूरा करने उनके बस में न था तो बिना मान्यता के ही स्कूल संचालित किये जाने लगे।” उन्होंने बताया कि अधिकांश स्कूल पांचवीं और आठवीं तक की मान्यता के हैं। ज्यादातर स्कूल ग्रामीण इलाकों में खोले गए जहां सरकारी प्राथमिक स्कूलों की पढ़ाई में अभिभावकों का भरोसा ही नहीं है। प्रत्येक बच्चे के 500 से 600 रुपये महीना फीस के अतिरिक्त अन्य खर्च यहां वसूले जाते हैं। उन्नाव के अचलगंज ब्लॉक के एक नामचीन अंग्रेजी माध्यम स्कूल में कक्षा चार में पढ़ने वाले एक बच्चे के पिता कुंदन तिवारी बताते हैं, “ब्लॉक में सरकारी स्कूल तो हैं लेकिन वहां टीचर जब मन होता तब आते हैं। इसलिए बच्चे को प्राइवेट स्कूल में एडमीशन दिला दिया। फीस ज्यादा है लेकिन कम से कम पढ़ाई तो अच्छी होती है।”

लखनऊ में तीन हजार स्कूल बगैर मान्यता

शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के चलते 50 हजार स्कूल बिना मान्यता के खोले जा चुके हैं। घरों से लेकर झोपड़ियों तक में स्कूल हैं। केवल राजधानी में इनकी संख्या तीन हजार के करीब है जबकि प्रत्येक जिले में 800 से 1000 के करीब गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का औसत बन चुका है।

बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के संबंध में शिक्षा विभाग पुलिस को सूचित करता है। हम समय-समय पर सूचना देते हैं मगर पुलिस की ओर से कार्रवाई न होने के चलते ऐसे फर्जी स्कूलों पर कार्रवाई में शिक्षा विभाग कुछ भी नहीं कर पाता है।
महेंद्र सिंह राणा, सहायक निदेशक, बेसिक शिक्षा विभाग

   

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