#इंदौर-पटना ट्रेन हादसा: चीख-पुकार से गूंज उठा माहौल, बिलखते दिखे बच्चे और मां-बाप

Neeraj TiwariNeeraj Tiwari   20 Nov 2016 10:18 PM GMT

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#इंदौर-पटना ट्रेन हादसा: चीख-पुकार से गूंज उठा माहौल, बिलखते दिखे बच्चे और मां-बापहादसे की भयावहता बयां करती तस्वीर।

लखनऊ/पुखरायां (कानपुर देहात)। रात में तीन बजकर 10 मिनट हो रहा था। पटना-इंदौर एक्सप्रेस में सवार सभी यात्री गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक ही एक जोरदार धमाका हुआ। किसी को कुछ समझ नहीं आया। जब होश आया तो चारों ओर रोते-बिलखते लोग दिखे। यात्रियों के सामानों में दबी लाशें और बेसुध पड़े घायल नजर आ रहे थे। इस हादसे में अब तक 119 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही, 200 सौ से ज्यादा घायलों की जानकारी दी जा रही है। राहत कार्य जारी है। भीड़ बढ़ने से लोगों की मदद करने में दिक्कत भी हो रही है।

तेज धमाके को सुनकर रात में ही घटनास्थल पर उमड़ पड़ी भीड़।

चारों ओर रोते-बिलखते लोग दिखे

दरअसल, ट्रेन पटरी से उतर गई थी। तेज रफ्तार ट्रेन का पटरी से उतरना कइयों की जिंदगी को लील गया। प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण राम सिंह ने बताया, “ट्रेन का एक्सीडेंट इतना जोरदार था कि ट्रेन की बोगियां पटरी से करीब 25 फीट की दूरी पर जा गिरी हैं। उन बोगियों में बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए थे।” वे आगे बताते हैं, “ अंधेरा होने के चलते कुछ खास दिखाई नहीं दे रहा था। मगर आस-पास ग्रामीणों ने सबसे पहले राहत कार्य शुरू किया।” वहीं, घटनास्थल पर मौजूद नसीम अख्रतर ने बताया, “एक्सीडेंट की धमाके भरी आवाज से दूर-दूर तक के गाँव दहल गए। कुछ ही देर में सभी घटनास्थल की ओर भाग पड़े। यहां आने के बाद देखा तो कलेजा मुंह को आ गया।” वे आगे कहते हैं, “चारों ओर रोते-बिलखते लोगों की आवाज आ रही थी। सभी ने एक सिरे से लोगों को राहत कार्य देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। रेलवे और स्थानीय पुलिस ने मिलकर राहत कार्य शुरू कर दिया।” दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारत में हर रोज सवा दो करोड़ से भी ज्यादा यात्री सफर करते हैं जबकि 87 लाख टन के आसपास सामान ढोया जाता है। ऐसे में रेल एक्सीडेंट के किसी भी मामले में मरने वालों की संख्या बेतहाशा बढ़त दर्ज कर जाती है।

घायलों को लूटने में जुटे टेम्पो वाले, रोडवेज ने भी की जबरन वसूली

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बोगी में से जीवित निकले दो बच्चे

घटनास्थल से बरामद यात्रियों के सामानों की सूची तैयार करते पुलिसकर्मी व तहसीलदार।

इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से जो बोगी पलट गई थी उसमें से दो बच्चों को जीवित बाहर निकाला गया है। इससे बचावकर्मियों को उम्मीद की किरण नजर आई है और वे धातु के जंजाल और बिखरे सामान के बीच जिंदा बचे लोगों को खोज रहे हैं। छह और सात साल के दो बच्चों को एस थ्री बोगी से निकाला गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इन बच्चों के निकट एक महिला मृत मिली है जो संभवत: उनकी मां हो सकती है। एनडीआरएफ के कमांडेंट एके सिंह ने बताया कि एक अन्य कोच में दो लड़कियां फंसी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बुरी तरह क्षतिग्रस्त एक अन्य कोच में दो लड़कियां अभी भी फंसी हुई हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए क्रेन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि उन्हें बचा लिया जाएगा। इसके बाद हम शवों को खोजने के लिए तलाशी अभियान चलाएंगे।'' सिंह ने बताया कि यहां भीड़ जमा हो रही है जो एक बडी समस्या है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर भारी भीड जमा हो गई है जिससे बचाव अभियान बाधित हो रहा है।

पौ फटते ही मचे हाहाकार में मदद करने के लिए उमड़े सभी।

रेल हादसे के बाद से पिता को खोज रही है होने वाली दुल्हन

इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 20 वर्षीय रुबी गुप्ता पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। जल्द ही दुल्हन बनने जा रही रुबी हादसे के बाद से अपने लापता पिता को खोज रही हैं। रुबी के एक हाथ की हड्डी टूट गई है। उनकी शादी एक दिसंबर को होनी है और इसके लिए वह इंदौर से आजमगढ के मउ जा रही थीं। भाई-बहनों में सबसे बड़ी रुबी के साथ उनकी बहनें 18 वर्षीय अर्चना तथा 16 वर्षीय खुशी, भाई अभिषेक तथा विशाल और पिता राम प्रसाद गुप्ता थे। उनके पिता हादसे के बाद से लापता हैं। इस परिवार के साथ उनके पारिवारिक दोस्त राम प्रमेश सिंह भी यात्रा कर रहे थे। रुबी ने कहा, ‘‘मैंने हर जगह देखा लेकिन मुझे मेरे पिता नहीं मिले। कुछ लोगों ने मुझे उन्हें अस्पताल और मुर्दाघर में खोजने को कहा है लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करुं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानती कि अब मेरी शादी निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक होगी या नहीं। अभी तो मैं पिता को ढूंढना चाहती हूं।'' रुबी अपने साथ शादी के कपडे और गहने लेकर चली थीं, वह भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने अभी तक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। रेल के पटरी से उतरने के कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है।

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इंदौर रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़े 200 परिजन

दुर्घटनाग्रस्त इंदौर-पटना एक्सप्रेस में सवार करीब 200 मुसाफिरों के नजदीकी रिश्तेदार अपने स्वजनों की कोई खोज-खबर नहीं मिलने से चिंतित होकर रविवार को स्थानीय रेलवे स्टेशन पहुंचे और उनकी खैरियत पता करने की कोशिश की। शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मदद से रेलवे स्टेशन पर स्थापित सहायता केंद्र संभाल रहे सामाजिक कार्यकर्ता अजय झा ने बताया, ‘हमसे अब तक करीब 200 यात्रियों के बारे में जानकारी मांगी गयी है, जो कानपुर देहात के पुखराया में दुर्घटनाग्रस्त हुई इंदौर-पटना एक्सप्रेस में सवार थे। हम रेलवे प्रशासन की मदद से इन यात्रियों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने बताया कि उन यात्रियों के परिजन बेहद चिंतित हैं, जो इंदौर-पटना एक्सप्रेस में ‘एस-1', ‘एस-2' और ‘एस-3' कोच में सवार थे। ये डिब्बे उन कोच में शामिल हैं, जो पटरी से उतरे और जिन्हें हादसे में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

आस-पास के क्षेत्रों से उमड़ पड़ा जनसैलाब।

बिखरे नजर आ रहे शादियों के जोड़े

दरअसल, इस समय सहालगों का दौर चल रहा है। लोग ट्रेनों से सफर कर शादियों में शरीक होने के लिए आ-जा रहे हैं। ऐसे में इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पास हुए ट्रेन हादसे में शादियों के तमाम जोड़े नज़र आ रहे हैं। कहीं, टूटी हुई चूड़ियां दिख रही हैं तो कहीं खून से सना लाल जोड़ा। ऐसे कई परिवार जो शादियों की तैयारी में जुटे हुए थे, उन पर आफत आ गई है। हालांकि, अभी रेस्क्यू का काम बिना किसी बाधा के अनवरत जारी है।

तीन तेज झटकों के बाद हादसा

अपने तीन बच्चों के साथ इंदौर से पटना जा रहीं सुमन पासवान ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ सफर कर रही थीं। रात करीब तीन बजे जब वे सब अपनी अपनी बर्थ पर सोये हुए थे तभी अचानक रेल में लगातार तीन बार ज़ोरदार झटके लगे। कई लोग अपनी बर्थ और सीट से नीचे गिर पड़े। फिर ट्रेन रुक गयी।

हादसे की भयावहता को समझने के लिए काफी है यह तस्वीर।

..और फफक कर रो पड़े पटना के एसके सिन्हा

पटना के ही रहने वाले एसके सिन्हा इंदौर में सहारा इंडिया के मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि वे खुद लूट-खसोट के बीच 1500 रुपये देकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर राहत ट्रेन तक पहुंच पाये। वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए बी-3 कूपे में सवार थे। घबराई और रुआंसी आवाज में पत्नी से खुद के सकुशल होने की बात बताई। फिर उन्होंने मौके पर मौजूद लोगों को बताया की तीसरा झटका इतना भीषण था की वे अपनी ऊपर की बर्थ से ज़मीन पर आ गिरे। यहां देखा तो बोगी टूट-फूट गयी थी। जिस यात्री से अभी डेढ़ घंटे पहले तक खूब बातचीत कर रहे थे, उसके सीने में बर्थ की रॉड टूटकर घुसी हुई थी। सिन्हा ये कहते हुए फफक-फफककर रो पड़े।

स्टेशन पर मिली तुरंत चाय-पानी

बहरहाल, कानपुर सेंट्रल, एक नंबर प्लेटफॉर्म पर स्थापित दोपहर 12:30 तक बमुश्किल 2 दर्जन घायल यात्री ही पहुँच सके थे। इसी बीच यहां लगी रेलेवफ ट्रेन में इलाज कर कर के उनको बैठाया जा रहा था। साथ में रेल अधिकारियों ने उनको स्टेशन के आरके फ़ूड स्टाल से ताजा खाना, पानी और चाय इत्यादि तुरंत उपलब्ध करवाई।

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