देश में पहले भी घंटों लाइन लगाकर लोग बदलवा चुके हैं करेंसी
Neeraj Tiwari 14 Nov 2016 4:54 PM GMT
लखनऊ। देश में नोटों पर पाबंदी लगाकर नई करेंसी जारी करने का यह फैसला पहली बार नहीं लिया गया है। देश में इसके पहले भी कई बार ऐसे फैसले लेकर भ्रष्टाचार से उपजाई रकम को गर्त में मिलाने का कदम उठाया गया है। इस क्रम में अर्थव्यवस्था में चलन से 500 और 1,000 रुपए के नोट को अचानक वापस लेने का सरकार फैसला अब तक का एकमात्र नया फैसला नहीं है।
इससे पहले भी जनवरी वर्ष 1946 में और फिर वर्ष 1978 में 1,000 रुपए और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका है। उस समय भी देशभर में लोगों ने लाइन लगाकर नई करेंसी जुटाई थी। हालांकि, तब आम आदमी इतना प्रभावित नहीं हुआ था, जितना आज हुआ है। कांग्रेस की सरकार में उठाए गए इन क़दमों से उस समय के रईसों ने इसकी काफी आलोचना की थी। हालांकि, नोट विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था को दूरगामी लाभ भी जरूर होते हैं।
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