टाटा संस ने कहा साइरस मिस्त्री के पास पूरा अधिकार था 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   27 Oct 2016 7:39 PM GMT

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टाटा संस ने कहा साइरस मिस्त्री के पास पूरा अधिकार था टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री।

मुंबई (भाषा)। टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री के आरोपों को ‘‘निराधार और दुर्भावनापूर्ण'' करार देते हुए आज उनकी तीखी आलोचना की और कहा कि मिस्त्री को बतौर चेयरमैन समूह तथा उसकी कंपनियों को नेतृत्व प्रदान करने के पूरे अधिकार दिए गए थे पर उन्होंने निदेशक मंडल के सदस्यों का भरोसा खो दिया था।

गोपनीय पत्र को सार्वजनिक करना गलत

मिस्त्री द्वारा निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे पत्र गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किए जाने पर समूह की धारक कंपनी टाटा संस ने अफसोस जताया है। इसी पत्र में मिस्त्री ने कंपनी की संचालन व्यवस्था और निर्णयों पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

धारक कंपनी की ओर से आज जारी बयान में कहा गया है कि ‘‘यह पत्र निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखा गया था जिसको पूरी तरह गोपनीय बताते हुए भेजा गया था लेकिन उसे अनुचित और अशोभनीय तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया।'' पूर्व चेयरमैन ने यह पत्र पद से हटाए जाने के एक दिन बाद लिखा था।

टाटा समूह की कंपनियों की प्रवर्तक कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान बार-बार समूह की संस्कृति और परंपराओं के विरुद्ध कार्य हुए। टाटा संस ने एक बयान में कहा, ‘‘पत्र में निराधार और दुर्भावनापूर्ण आरो लगाए गए थे। इसके जरिए टाटा समूह, टाटा संस के निदेशक मंडल तथा टाटा समूह की कई कंपनियों तथा कुछ सम्मानित व्यक्तियों के ऊपर आक्षेप लगाया गया।'' कंपनी ने मिस्त्री के इस दावे को खारिज कर दिया कि वह ‘निरीह' चेयरमैन बन गए थे।

बयान के अनुसार, ‘‘कार्यकारी चेयरमैन के रुप में उन्हें समूह तथा उसकी कंपनियों की अगुवाई के लिए पूरा अधिकार दिया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनको पद से हटाए जाने के बाद ही पूर्व चेयरमैन के विभिन्न क्षमताओं के तहत एक दशक से अधिक समय तक किए गए कारोबारी निर्णय को लेकर आरोप लगाये गये और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया।''

बयान के अनुसार टाटा संस के निदेशक मंडल ने अपने चेयरमैन को अवसरों तथा चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए पूरी स्वायत्ता प्रदान की। हालांकि पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल के दौरान बार-बार समूह की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ कार्य हुए।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मिस्त्री ने कई कारणों से निदेशक मंडल का भरोसा खोया।
टाटा संस

बयान के मुताबिक मिस्त्री 2006 से कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल थे और उन्हें नवंबर 2011 में डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया। औपचारिक रूप से उन्हें 28 दिसंबर 2012 को चेयरमैन नियुक्त किया गया। वह समूह के साथ विभिन्न कंपनियों की संस्कृति, परंपराओं, कामकाज का ढांचा, वित्तीय एवं परिचालन अनिवार्यताओं से वाकिफ थे।

मिस्त्री के कई आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए टाटा संस ने कहा, ‘‘यह अक्षम्य है कि मिस्त्री ने कर्मचारियों की नजर में समूह की छवि धूमिल करने का प्रयास किया।''

टाटा संस ने मिस्त्री के पत्र को व्यक्तियों तथा कंपनी के निदेशक मंडल के खिलाफ आरोप लगाने का प्रयास करार दिया और कहा कि ऐसा कर उन्होंने कारपोरेट कामकाज के नियमों की उपेक्षा की जबकि उनसे उम्मीद थी कि वे पद पर बने रहते, इसे बरकरार रखेंगे। समूह ने कहा कि कई रिकार्ड हैं जो यह बताते हें कि उनके द्वारा लगाये गये आरोप अवांछित हैं।

बयान के अनुसार, ‘‘अगर जरुरत पड़ी तो इन रिकार्डों का उपयुक्त मंचों पर खुलासा किया जाएगा, टाटा संस और समूह कंपनियों के जिम्मेदार निदेशक मंडल के निर्णय को न्यायसंगत बताया जाएगा।''


   

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