मनरेगा के फंड में सेंध लगाकर एक चेक डैम का दो बार निकाला ठेका, वह भी हुआ ध्वस्त

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मनरेगा के फंड में सेंध लगाकर एक चेक डैम का दो बार निकाला ठेका, वह भी हुआ ध्वस्तकमीशनखोरी के चलते पानी में बह गया निर्माण, मरम्मत तक नहीं कराया अधिकारियों ने। 

सुखवेन्द्र सिंह परिहार (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

कुम्हैड़ी (ललितपुर)। पंचायत जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के माध्यम मनरेगा के फंड में सेंध लगाई जा रही है। ठेकेदारों के जरिए योजना का रुपया विकास कार्यों में खर्च करने के बजाय कमीशन खाने व खिलाने में खपा दिया जा रहा है। यही कारण है कि जमडार नदी पर बनाया गया चेक डैम निर्माण से महज कुछ बरसों के बाद ही धराशायी हो गया।

सिंचाई के बजाय कमीशन के उद्देश्य से निकाला ठेका

यही कारण है कि मनरेगा एक महत्वाकांक्षी योजना होने के बाद भी सही तरह से लागू न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी हावी है। आलम यह है कि जनपद में बिचौलिया प्रथा हावी होने के कारण चेक डैम का निर्माण सिंचाई के उद्देश्य से नहीं बल्कि ठेकेदारी के उद्देश्य से जहां-तहां कर दिया गया। यह सब प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत से संभव हुआ है।

मजदूरों की फर्जी सूची के दम पर हजारों का बिल बनवाकर चेक डैम के निर्माण में खा गए कमीशन

ग्राम पंचायत ने एक ही काम का दो बार दिया ठेका

जानकारी के मुताबिक, ललितपुर जनपद से पूरब दिशा में 52 किमी दूर महरौनी ब्लॉक की ग्राम पंचायत कुम्हेड़ी में जमडार नदी पर चेक डैम निर्माण का कार्य लगभग 2008-09 वित्तीय वर्ष में क्षेत्र पंचायत से कराया गया था। बाद में ग्राम पंचायत ने उसी काम को दोबारा मनरेगा योजना से फर्जी तौर पर दिखाकर 5.51 लाख का बंदरबांट कर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। कार्यस्थल पर एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया।

पहले क्षेत्र पंचायत ने करवाया था काम

गौरतलब है कि क्षेत्र पंचायत ने वित्तीय वर्ष 2008-09 में जमडार नदी पर चैक डेम निर्माण स्वीकृत हुआ था। इसकी स्वीकृति लगभग सवा आठ लाख थी। इसके सापेक्ष क्षेत्र पंचायत ने चैक डैम निर्माण पर 3.76 लाख रुपया व्यय करके उसे पूर्ण करा दिया। कमीशनखोरी का आलम ऐसा रहा कि उक्त चेक डैम निर्माण खराब गुणवत्ता के कारण कुछ बरसों में ही ध्वस्त हो गया। इसके बाद से उसकी मरम्मत भी नहीं की गई। स्थिति जस की तस बनी हुई है।

किसानों ने लगाया आरोप, ग्राम पंचायत डकार गया रुपए

पंचायत के अधिकारी व ग्राम प्रधान की मिलीभगत मनरेगा योजना अंर्तगत अवशेष कार्य जमडार नदी पर चेक डैम निर्माण का कार्य वित्तीय वर्ष 2013-14 में वर्क आईडी - 310005028/WC/19454249395 पर वित्तीय स्वीकृत 6.43 लाख रुपए पर मंजूर किया गया था। इसके सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2015-16 में इस कार्य के तहत श्रमांश पर 51 हजार व साम्रग्री पर 4.91 लाख यानी कुल 5.51 लाख रुपए खर्च किया गया। मगर पंचायत ने मौके पर किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं कराया। पंचायत की मिलीभगत से निधि के खिलाफ खर्च के नाम पर प्रधान, सचिव व तकनीकि सहायक ने बंदरबांट किया। मौके पर पंचायत ने एक पैसे का कार्य नहीं कराया।

किसानों ने मरम्मत से भी किया इंकार

किसानों का भी यही कहना है कि मात्र एक बोरी सीमेंट से मरम्मत कराई गई है।

हम मजदूरों ने अन्य जगह काम किया था। चेक डैम पर नहीं। पैसा हमारे खाते में कैसे आया मुझे नहीं पता।
नाम न छापने की शर्त पर कगजातों में दर्ज मजदूरों ने बताई हक़ीकत।

इस निर्माण के ठेके के तहत जिन मज़दूरों (कागज में दर्शाए गए) से गाँव कनेक्शन ने बात की उन्होंने अनभिज्ञता जता दी। सभी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम मजदूरों ने अन्य जगह काम किया था। चेक डैम पर नहीं। पैसा हमारे खाते में कैसे आया मुझे नहीं पता।" वहीं, चेक डैम के पास किसानी करने वाले बलराम (उम्र 28 वर्ष) ने बताया, "इस साल महज एक बोरी सीमेंट चेक डैम की दीवार पर लगायी गयी। इसके बाद कोई काम नहीं हुआ।" वे आगे बताते हैं, "यह चेक डैम छह-सात साल पहले बना था। उसी समय मजदूर लगे थे। उसी समय काम हुआ था। उसके बाद यहां दोबारा काम नहीं किया गया। ग्राम पंचायत ने भी कोई मरम्मत कार्य नहीं कराया है।" वहीं, एक अन्य ग्रामीण प्रकाश (29 वर्ष) बताते हैं, "चैकडैम पर कोई काम नहीं हुआ है। न ही कोई मैटेरियल आया है। दो साल पहले चेक डैम बरसात के कारण बह गया था, तब से लेकर आज तक वह धराशायी है। ग्राम पंचायत कही ओर से कोई कार्य नहीं कराया गया है।"

मैंने कुछ माह पहले पदभार संभाला है। इस प्रकरण की जानकारी आपके माध्यम से मेरे संज्ञान में आई है। मामला गंभीर है। इसकी मैं जानकारी कर जांच करूंगा। मामले की पुष्टि होने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
प्रद्युम्म कुमार द्धिवेदी, खंड विकास अधिकारी, महरौनी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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