देवकली मंदिर में स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग, शिवरात्रि को देशभर से आते हैं भक्तगण
गाँव कनेक्शन 24 Feb 2017 8:13 PM GMT
औरैया। फागुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पुराणों के मुताबिक मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान शंकर का ब्रह्मा के रूद्र रूप में अवतरण हुआ। प्रलय के दिन भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर दिया था। इसलिए इसे महाशिवरिात्र कहा गया है। अलग-अलग मतों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव शंकर का विवाह हुआ था। पूरे साल के 12 शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि का त्यौहार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर में महाशिवरात्रि को हर-रात्रि और आपसी बोल चाल में हेराथ कहते हैं।
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जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर व शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में द्वापर युग का भोले शंकर का देवकली मंदिर है। सबसे अहम बात ये है कि मंदिर शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ। जगदगुरु शंकराचार्य के शिष्य मंदिर के महंत स्वामी श्रीश्री 1008 बच्ची लाल जी महाराज बताते है कि ये मंदिर द्वापर का मंदिर है। कन्नौज के राजा जयचंद्र की एक थी जिसका नाम बेटी संजोगन देवी था। राजा ने एलान किया कि जो मेरी बेटी से विवाह करेगा उसे दान स्वरूप आधा राज्य दिया जाएगा।
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मैनपुरी के राजा सूरज भान ने संजोगन देवी के साथ विवाह किया तब उन्हें जालौन, कानपुर देहात का आधा हिस्सा दान में मिला। संजोगन देवी इसी देवकली मंदिर पर पूजा किया करती थी। सूरज भान ने संजोगन का नाम प्यार में देवकला रख दिया। इसके बाद मंदिर का नाम देवकली पड़ा। मंदिर के आस-पास चरने के लिए आने वाली गायों का दूध अपने आप निकल जाया करता था। स्वयं से प्रकट हुआ शिवलिंग प्रत्येक साल बढ़ता है। शिवलिंग पर चढ़ने वाला दूध और पानी कहां जाता है इसका पता अभी तक नहीं लग सका है।
मंदिर से 1400 एकड़ जमीन लगी है। एक किलोमीटर की दूरी पर बना यमुना नदी का पुल मंदिर की रियासत में बना है। भोले बाबा के दर्शन के लिए पूरे देश से भक्त आते हैं। महाशिवरात्रि के दिन सुबह 4 बजे से मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। भक्त सुबह से ही दर्शन के लिए पहुंच लगे। दर्शन करने वाले भक्तों की मंदिर से लाइन लगी जो कि 800 मीटर तक हो गई थी। इस मौके पर पुलिस प्रशासन मुश्तैद रहा। एसडीएम राजेंद्र कुमार, कोतवाल सुधाकर मिश्रा, महिला एसओ दीपा सिहं, एसडीएम अजीतमल सहित 10 एसआई और महिला सिपाही मौजूद रहीं।
औरंगजेब की सेना नहीं गिरा पाई मंदिर
मंदिर कमेटी से जुड़े लोग और वहां मिले तथ्यों के मुताबिक औरंगजेब की सेना ने मंदिर को गिराने के लिए अपना डेरा जमा लिया था। जब शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया तो लाल वाली ततारी मक्खी ने हमला बोल दिया। इससे सेना का हौसला पस्त हो गया और बगैर मंदिर तोड़े ही वहां से चले गए।
सांप देख भागे बदमाश
जिस जगह मंदिर है उस एरिया में कभी डकैतों का राज चलता था। एरिया में डकैतों का फरमान ही चलता था। महंत जी बताते हैं कि कुख्यात दस्यु फक्कड़ बाबा और बाबा सलीम के लोगों ने मंदिर में डेरा जमाना चाहा तो भोले बाबा ने सांप के रूप में दर्शन दिए। इससे डकैत डर कर वहां से भाग गए।
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