सिर्फ कागजों में हो गया लाखों का भुगतान 

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सिर्फ कागजों में हो गया लाखों का भुगतान ग्राम पंचायत जखौरा में मनरेगा के तहत अप्रैल 2016 में सात कुओं के निमार्ण के लिए 5.12 लाख रुपए जारी हुए थे।

जखौरा/महरौनी। ललितपुर जनपद से पूर्व दिशा में करीब 48 किमी दूर स्थित महरौनी ब्लाँक की ग्राम पंचायत जखौरा में इन दिनों मनरेगा के भुगतान में धांधली का खेल चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है, प्रधान व पंचायत कर्मचारी की मिलीभगत से फर्जी भुगतान हो रहा है। शिकायतों के बाद भी संबंधित अधिकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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ग्राम पंचायत जखौरा में मनरेगा के तहत अप्रैल 2016 में सात कुओं के निमार्ण के लिए 5.12 लाख रुपए जारी हुए थे। जून-जुलाई तक सभी कुएं खोद लिए गए, लेकिन सिर्फ दो कुओं पर पत्थर लगने का काम हुआ। बाकी पांच कुएं बारिश होने कारण मिट्टी धंसकने से भर गए। अभी तक उन कुओं की सफाई नहीं हो सकी, लेकिन प्रधान और सेक्रेटरी ने फर्जी तरीके से भुगतान करा लिए और इसे इंटरनेट पर अपलोड कर दिया। जब मजदूरों के इस बारे में पता चला तो उन्होंने मामले की शिकायत संबंधित अधिकारी से की, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका। जखौरा गाँव के हरदास (45 वर्ष) बताते हैं, “बरसात के मौसम में कुआं धंसक गया, सारी मिट्टी कुएं में गिर गयी, लेकिन अभी तक उसे साफ नहीं किया गया।”

मनरेगा सोशल ऑडिट समिति के सदस्य सूर्य प्रताप सिंह बताते हैं, “मनरेगा काम पाने के लिए पंचायत में लिखित या मौखिक आवेदन करने पर 15 दिन के अंदर काम उपलब्ध कराया जाता है। कार्य स्थल पर एमआर शीट रखी जाती है। कार्य होने पर जेई फाइनल करता है और मजदूरों का पैसा मिलता है।” ललितपुर जनपद से पूर्व दिशा मे (47 किमी) महरौनी ब्लाँक की जखौरा पंचायत बेवसाइट के अनुसार, पंचायत में 699 पंजीकृत जॉब कार्ड धारी हैं। वेबसाइट के अनुसार, मनरेगा के सात कुओं पर 125 से अधिक मजदूरों ने काम की मांग (डिमान्ड) 30 दिसंबर 2016 को की। पंचायत ने एक जनवरी 2017 से 12 दिन का काम सात कुओं पर सवा सौ मजदूरों को लगाकर कराने की बात कही है, जिसकी मजदूरों को कोई जानकारी नहीं है। सात कुओं पर 30 एमआर पर दो लाख, दो हजार, दो सौ 75 रुपए के फर्जी भुगतान को वेब पर फीड कराया गया।

मौजीलाल (48 वर्ष) बताते हैं, “साहब, छह महीने से मनरेगा के तहत कोई काम नहीं मिला है। अक्टूबर 2016 में प्रधान और सेक्रेटरी ने बताया था कि ऊपर से ही काम बंद है।” जब इस संबंध में ग्राम विकास अधिकारी मोहन से बात की गई तो उनका कहना था, “मुझे इस तरह के किसी मामले की जानकारी नहीं है।”

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