मौसमी बीमारी से मर रहीं बकरियां, चिकित्सकों की टीम ने गाँव में पहुंचकर किया इलाज

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मौसमी बीमारी से मर रहीं बकरियां, चिकित्सकों की टीम ने गाँव में पहुंचकर किया इलाजमौसमी बीमारी से बचाव के लिए बकरी का इलाज करता चिकित्सक। फोटो: गाँव कनेक्शन

इश्त्याक खान, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। सर्दी के मौसम में मौसमी बीमारी का बचाव न रख पाने से बकरियां काल के गाल में समा रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिले में दो लाख 45 हजार 794 बकरी और बकरा हैं। मौसमी बीमारी से मर रही बकरियों का इलाज करने के लिए चिकित्सकों की टीम गाँवों के लिए रवाना हो चुकी है।

जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में बसे गाँव पैगंबरपुर में सीजनल बीमारी से करीब 10 बकरियों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों की शिकायत पर पहुंची चिकित्सकों की टीम का कहना है कि सीजनल बीमारी से बकरी अधिक मर रही है। पशुधन प्रसार अधिकारी अंकित शुक्ला ने कैंप लगाकर बकरियों का इलाज किया। पैगंबरपुर, आनेपुर, चिरूहूली, हसुलिया में 200 बकरियों का इलाज किया।

बकरियों में मौसमी बीमारी में जुकाम, बुखार और शरीर का तापमान कम होना है। पशु पालक सर्दी के मौसम में पशुओं का कम ख्याल रखते हैं जिस वजह से ये बीमारी घातक बनती है। नाक से पानी आने, सुस्त रहने पर तुरंत उपचार दिलाए। सुबह हो या शाम किसी भी समय पशु को ठंडा पानी न पिलाए।
अंकित शुक्ला, पशुधन प्रसार अधिकारी

बकरी के शरीर का तापमान 104 सामान्य होता है जो कि अब सर्दी में 94 से 92 रह जाता है। इससे बकरी की जान जाने का पूरा खतरा रहता है। इसी प्रकार भैंस, गाय आदि पशुओं का भी तापमान गिर रहा है सर्दी के मौसम में अनुमानतः तापमान गिरता है। पशु पालक पशुओं का ऐसे स्थानों पर बांधे जहां हवा न जा सके।

इलाज के लिए गाँव-गाँव जा रही टीम

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एसपी यादव ने बताया कि मौसमी बीमारी से बचाव के लिए चिकित्सकों की टीम गाँव-गाँव जा रही है। पशु पालक सर्दी की बीमारी से बचाव रखें और पशु के अस्वस्थ होने पर चिकित्सक को दिखाए। सर्दी के मौसम में पशुओं में कोई खास बीमारी नहीं होती है सिर्फ सीजनल बीमारी होती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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