2300 रुपए में किसान ने बनाया यंत्र, गोदामों में नहीं सड़ेगा अनाज

Neetu SinghNeetu Singh   9 Sep 2017 1:59 PM GMT

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2300 रुपए में किसान ने बनाया यंत्र, गोदामों में नहीं सड़ेगा अनाजहर साल करोड़ों रुपए का अनाज गोदामों में सड़ जाता है।

लखनऊ। बीज गोदाम में रखे अनाज को कीटों और चूहों से बचाने के लिए उत्तराखंड के एक किसान ने एक ऐसा यंत्र बनाया है जिससे अनाज को बिना रसायनों के इस्तेमाल के कम लागत में सुरक्षित रखा जा सकता हैं।

कृषि मंत्रालय की फसल अनुसंधान इकाई सिफेट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक साल में इतना अनाज बर्बाद होता है, उतना ब्रिटेन उगा भी नहीं पाता। भारत में हर साल 67 लाख टन खाना बर्बाद हो जाता है। स्टडी के मुताबिक बर्बाद हुए खाने की कीमत 92 हजार करोड़ रुपये है। ये रकम भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत खर्च की जाने वाली रकम का दो-तिहाई है।

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हवन यंत्र की तस्वीर।

रिपोर्ट बताती है कि फल, सब्जियां और दालें सबसे ज्यादा बर्बाद होती हैं। अनाज का सड़ना, कीट, मौसम और स्टोरेज की कमी बर्बादी के सबसे बड़े कारण हैं। अगर बात फसलों की करें तो 10 लाख टन प्याज खेतों से मार्केट में आने के रास्ते में ही बर्बाद हो गया। वहीं 22 लाख टन टमाटर भी रास्ते में ही खराब हो गए। इसी तरह से 50 लाख अंडे कोल्ड स्टोरेज में सड़ गए। उत्तराखंड के उधमपुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर चकरपुर गाँव के एक किसान अरुण कुमार काम्बोज (60 वर्ष) ने वर्ष 2009 में अपने बेटे शोभित काम्बोज के साथ मिलकर एक ऐसा यंत्र बनाया जिससे भण्डार गृह में ऑक्सीजन को प्रवेश करने से रोका जाता है। अरुण बताते हैं, “मैंने कई अनुभवी बुजुर्ग किसानों से इस संबंध में बात की कि पुराने समय में अनाज का भण्डारण कैसे होता था और कौन-कौन से तरीके अपनाएं जाते थे।”

ऐसे करता है काम

पता चला कि पहले धुएं से किसान अपना बीज भण्डारण करते थे।” वो बताते हैं कि इस प्रक्रिया को और विकसित करने के लिए मैंने अंगीठी की तरह का एक यंत्र बना डाला जिसका नाम “हवन पात्र तकनीक” दिया। अरुण काम्बोज द्वारा बनाया गया अंगीठी नुमा यंत्र का विज्ञान बहुत ही सामान्य है। वो बताते हैं, “किसी बीज भंडारगृह से अगर ऑक्सीजन को समाप्त कर दिया जाए तो अनाज को कीटों और चूहों से बचाया जा सकता है। इस अंगीठी नुमा यंत्र को इस तरह से फिट करके लकड़ी जलाई जाती है जिससे भंडारगृह में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित हो। इस पात्र में लकड़ी तब तक जलाई जाती है जब तक भंडारगृह की पूरी ऑक्सीजन ख़त्म न हो जाये।” वो आगे बताते हैं, “जैसे ही भंडारगृह की पूरी ऑक्सीजन समाप्त हो जाती वैसे ही पात्र में जल रही लकड़ियां स्वत: ही बंद हो जाती हैं। ऑक्सीजन की कमी होते ही यहां के कीटों और सूक्ष्म जीवों की श्वसन क्रिया बाधित होने लगती है और ये मर जाते हैं। इससे भंडारण में रखा बीज जैविक ढंग से सुरक्षित किया जा सकता है।”

केमिकल का इस्तेमाल किए बिना मिलेगी राहत

इस यंत्र का बनाने की प्रेरणा के बारे में अरुण बताते हैं, “उधमपुर जिले में वर्ष 2008 में बीज गोदाम में रखे अनाज के सड़ने के बाद जिले के किसानों को करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ था, इस नुकसान से मेरी तरह हजारों किसान आहत हुए थे। तब मैंने इस समस्या का उपाय खोजने का सोचा था।” कृषि विज्ञान केंद्र काशीपुर के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सी तिवारी इस यंत्र के बारे में फोन पर हुई बातचीत के दौरान बताते हैं, “ये यंत्र कम लागत में तैयार किया गया है, इस यंत्र को विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग को रिसर्च के लिए भेज दिया है जिससे व्यापक स्तर पर बीज गोदामों में इस यंत्र का उपयोग किया जा सके।” वो आगे बताते हैं, “केमिकल फ्री वातावरण वाला ये यंत्र अभी छोटे गोदामों के लिए कारगर है, अगर ये बड़े स्तर पर सफल हुआ तो देश में बीज गोदामों में हजारों टन सड़ रहे अनाज को बर्बाद होने से रोका जा सकता है।”

23 सौ रुपए में तैयार हो जाता यंत्र

इस उपयोगी तकनीक का अविष्कार कर चुके अरुण काम्बोज को कई सरकारी विभागों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है । अरुण काम्बोज बताते हैं, “देश में हर साल लगभग गोदामों में हजारों टन अनाज खराब हो जाता है, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। 100 कुंतल अनाज भण्डारण के लिए ये यंत्र मात्र 2300 रुपये में तैयार हो जाता है। इस यंत्र के आकार के हिसाब से लागत आती है।”

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