कौन थी पद्मावती?, जिसके लिए भंसाली को पड़ा थप्पड़, मचा हंगामा 

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कौन थी पद्मावती?, जिसके लिए भंसाली को पड़ा थप्पड़, मचा हंगामा फोटो साभार

लखनऊ। राजस्थान के जयगढ़ किले में फिल्म पद्मावती फिल्म की शूटिंग के दौरान जमकर हंगामा हुआ। निदेशक संजय लीला भंसाली पर इतिहास से छेड़छाड़ और रानी पद्मावती के अपनाम का आरोप है। भंसाली ने हाथापाई के बाद फिल्म की शूटिंग कैंसिल कर दी है और मुंबई लौट गए हैं। लगभग पूरा बॉलीवुड भंसाली के समर्थन हैं, जानिए वो पद्माविती आखिर कौन थीं, जिनके लिए ये हंगामा हुआ।

आखिर कौन थी रानी पद्मावती?

पदमावति पुनि पहिरि पटोरी। चली साथ पिउ के होइ जोरी ॥

सूरुज छपा, रैनि होइ गई। पूनो-ससि सो अमावस भई॥

मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा 1540 में रची काव्य "पदमावत" से ये दो पंक्तियां रानी पद्मिनी की खूबसूरती को दर्शाती हैं। महारानी पद्मिनी (या पद्मावती) चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। महारानी पद्मिनी को उनकी खूबसूरती के लिए जाना जाता था।

पद्मिनी ने अपना बचपन उसके पिता गंधर्वसेना और मां चंपावती में साथ बिताया। कहा जाता है कि पद्मिनी के पास "हीरामणि" नाम की एक बोलता तोता था। जब पद्मिनी शादी करने के लायक हुईं तो उसके पिता ने अपनी खूबसूरत बेटी से लिए एक स्वयंवर की व्यवस्था की और सभी हिन्दू राजाओं और राजपूतों को आमंत्रित किया। उसी स्वयंवर में आए चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह भी मौजूद थे, जो पद्मिनी की खूबसूरती की चर्चाएं सुनकर स्वयंवर में आए थे। वहां उन्होंने एक और योग्य राजा, मलखान सिंह को हराने के बाद पद्मिनी का हाथ जीता था।

सन 1302-03, चित्तौड़ के राजपूत राजा रावल रतन सिंह, एक बहादुर और महान योद्धा थे। उनके राजसभा में कई कुशल और प्रतिभाशाली कलाकार थे, जिसमें से एक राघव चेतन नाम का संगीतकार था। कहा जाता है कि राघव चेतन जादू और मंत्र जानता था, जिसका इस्तेमाल उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराने के लिए किया था। एक बार रंगे हाथों पकड़े जाने पर, राजा रतन सिंह ने उससे नाराज़ होकर उसे सज़ा सुनाई और उसके चेहरे को काले रंग से रंग कर एक गधे पर बैठा कर पूरे राज्य में घुमाया गया और से देश निकाला दे दिया गया। अपने इस सार्वजनिक आपमान को वो सह नहीं पाया और बदले से भरा राघव चेतन चित्तौड़ पर हमला करने के लिए दिल्ली में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को उत्तेजित करने की कोशिश के उद्देश्य से चला गया।

खूबसूरत पद्मिनी को देखने की चाहत सुल्तान को मेवाड़ खींच लाई। राज्य में एक अतिथि के पद पर बैठ कर उसने रानी से मिलने की इच्छा जताई। लेकिन पद्मिनी को उसके इरादों पर संदेह हुआ और उन्होंने मिलने से मना कर दिया। राजा रतन सिंह को खिलजी वंश की ताकत और शक्ति का पता था, जिसके लिए उसने रानी को मनाने की कोशिश की।

पद्मिनी ने राजा रतन सिंह की बात तो मानी लेकिन ये शर्त भी रखा है कि अलाउद्दीन केवल उसकी परछाई देख सकता है वो भी उसके पति, और एक सौ महिला कर्मचारियों की उपस्थिति में। जब अलाउद्दीन ने उसे देखा तो वह उसकी सुंदरता को निहारता रह गया और उसे अपना बनाने की चाहत में ये सोचने लगा कि अगर राजा को मार दिया जाए तो वह पद्मिनी को अपना बना सकता है।

पद्मिनी को पाने की लालसा लिए अलाउद्दीन ने मेवाड़ पर हमला कर दिया। राजा रतन सिंह पूरी बहादुरी से लड़े, लेकिन हार गए। जीत की खुशी में डूबा अलाउद्दीन खिलजी जब किला पहुँचा तो भौंचक्का रह गया। वहां उसने देखा कि महारानी पद्मिनी राजपूतों की सभी रानियां जौहर प्रथा का पालन कर, आत्मदाह कर रही हैं। अपने आत्म सम्मान और सम्मान की रक्षा के लिए, वे चिता में कूद गईं।

आरोप है कि भंसाली ने इतिहास से छेड़छाड़ की है।

नोट-गांव कनेक्शऩ रानी पद्मावती की ऐतिहासिकता या कहानी की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है। उपरोक्त तथ्य इंटरनेट पर मौजूद लेखों से लिए गए हैं।

    

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