इन दादियों से सीखिए क्या होती है जिंदादिली

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इन दादियों से सीखिए क्या होती है जिंदादिलीअस्सी की उम्र से ज्यादा की दोनों दादियां लगाती हैं निशाना।

मोहित सैनी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बागपत। जिंदगी के जिस पड़ाव पर लोग जिंदगी से हार मान लेते हैं, उस उम्र से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली निशानेबाज दादी चंद्रो तोमर व प्रकाशो तोमर जिंदादिली की अनोखी मिसाल हैं।

राजधानी लखनऊ से 624 किमी दूर बाग़पत जिले के जोहड़ी गाँव की देवरानी और जेठानी फैमस दादिया उम्र के दोनों निशानेबाज आज फलक का सितारा हैं, जिन्हें खेल जगत की सौ हस्तियों में महिला अचीवर्स का अवार्ड मिला है।

आज जनपद बागपत के सैकड़ों निशानेबाज दादियों से प्रेरणा लेकर अपने मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, जहां दादी भी इन्हें निशाना साधना सीखा रही हैं और राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण समेत कई पदक झटकने वाली ये दोनो दादिया है और इनकी काबिलियत को लेकर राषट्रपति भवन से कई अनेको मंच से भी इन दोनों दादियों का बुलावा आ चुका है।

साल 1998 में बागपत जिले के जौहड़ी गाँव में शूटिंग रेंज स्थापित हुई थी और इस प्रशिक्षण केंद्र ने देश के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय शूटर तैयार किये और जिले के विभिन्न गाँवों की लड़कियां भी गाँव की पगडंडियों से निकलकर सात समंदर पार अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर कर जनपदो का नाम रोशन करने में कोई कसर नही छोड़ी।

कैसे बनी ये दोनों दादियां अंतर्राष्ट्रीय शूटर

अपने परिवार के साथ दादी।

चन्द्रो दादी ने वर्ष 2001 में उन्होंने निशानेबाजी की दुनिया में कदम रखा। चन्द्रों दादी बताती हैं, "शुरूआती दौर में मुझे रेंज तक जाने में शर्म आती थी, जिसके चलते मैं अपनी पोती को साथ लेकर रेंज पहुंची वहां युवा शूटर मेरा मजाक भी बनाते थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और परिजनों ने उनका सहयोग किया।

राष्ट्रीय स्तर पर एयर पिस्टल में उन्होंने पहला स्वर्ण पदक 2001 में यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में यूपी पुलिस के डीआइजी धीरज कुमार को हराकर जीता था उसके बाद एक बाद एक बाद गोल्ड मैडल व कई कांस्य पदक जीत।

वहीं साल 2002 में शूटिंग के क्षेत्र में प्रकाशो दादी ने भी कदम रखा अपनी जेठानी चंद्रो तोमर को देखकर उन्होंने भी साहस दिखाया और बिना किसी की परवाह किए वह आगे बढ़ती चली गईं राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कई पदक जीते हैं।

उनके परिवार में सीमा तोमर, रूबी तोमर अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज हैं, लेकिन अब दोनों दादिया गाँव की इस शूटिंग रेंज में जनपद के आसपास वाले गाँव से आने वाले लड़को और लड़कियो को निशाने बाजी करना भी सीखा रहीं, वही हर कोई इन दादियों से प्रेरणा लेकर अपना मुकाम हासिल करने में लगे हुए हैं।

कुलदीप पंडित (26 वर्ष) बताते हैं, "जब कोई बच्चा अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसे दोनों दादिया सर पर हाथ रख कर अपना आशीर्वाद देती हैं और अपनी और से बेहतर से बेहतर सिखाने का प्रयास करती हैं।"

सत्यमेव जयते कार्यक्रम में भी आ चुका है बुलावा

दोनों दादियों को राष्ट्रपति भवन से भी न्यौता आ चूका है, जहां इन दादियों का सम्मान किया जा चुका है। दादी को आमिर खान के शो सत्यमेव जयते से भी बुलावा आ चुका है, जिसमे दोनों दादियों शिरकत की थी और सोनिया गांधी, राहुल ग़ांधी, मुख्यमन्त्री नितीश कुमार से भी मुलाकात कर चुकी हैं

गाँव में सिखा रहीं निशानेबाजी

वहीं अब जब भी इन शूटर दादियों को टाइम मिलता है तो ये गाँव में बनी शूटिंग रेंज में आने वाले शूटरों को निशाना साधना सिखाती हैं। दादी से निशानेबाजी सीख रहीं नेहा तोमर (18 वर्ष) बताती हैं, "हम भी स्कूल के बाद अम्मा जी के पास आ जाते है और इन्ही की तरह निशानेबाज बनना चाहती है , हमने तीन महीने में काफी कुछ सीखा है और अच्छे प्रदर्शन करने पर अम्मा हमे अपना आशीर्वाद देती हैं।"

      

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