पंजाब विधानसभा चुनाव: नौकरी और कारोबार छोड़ प्रचार करने पहुंचे एनआरआई

Arvind ShukklaArvind Shukkla   23 Jan 2017 9:45 PM GMT

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पंजाब विधानसभा चुनाव: नौकरी और कारोबार छोड़ प्रचार करने पहुंचे एनआरआईअमेरिका और कनाडा में बसे हजारों अप्रवासी भारतीय कर रहे हैं पंजाब चुनाव में प्रचार।

लखनऊ। किसी ने नौकरी छोड़ी है तो कोई दो-तीन महीने की छुट्टी लेकर प्रचार के लिए आया है। विधानसभा चुनाव में पंजाबी मूल के अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ये अपने गांव और क्षेत्र में परिचितों के बीच पंजाब को सुधारने के नाम पर अभियान चला रहे हैं। आम आदमी पार्टी की देखा-देकी कांग्रेस और अकाली दल ने एनआरआई मैदान में उतारे हैं।

पंजाब में विधानसभा चुनाव लगातार रोचक होता जा रहा है। दिल्ली और चंड़ीगढ़ के अलावा ये चुनाव सात समुंदर पार विदेशों से भी लड़ा जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, इटली और सिंगापुर के हजारों एनआई पिछले कई दिनों से पंजाब के गांव और गलियों में धूल छान रहे हैं। ‘चलो पंजाब ऐप’ के मुताबिक कुछ दिनों पहले तक 35 हजार लोगों ने पंजाब आने के लिए रजिस्ट्रेशन किया था। 117 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश की 34-40 सीटों में इनका प्रभाव बताया जा रहा है।

कोई एनआईआई किसी भी देश में रहे उसके दिल में भारत बसता है। अमेरिका को देखती हूं तो सोचती हूं मेरा देश कब बदलेगा। अन्ना आंदोलन के दौरान वो उम्मीद दिखी तो दिल्ली पहुंच गई। अब अरविंद (केजरीवाल) ने भरोसा जगाया तो उनके लिए काम शुरु किया। पंजाब में प्रचार के लिए एक महीने की छुट्टी ली है।
माया विश्वकर्मा, आप समर्थक और मेडिकल रिसर्चर, कैर्लिफोनिया, अमेरिका

चंड़ीगढ़ से 12,000 किलोमीटर दूर अमेरिका के कैर्लिफोनिया में मेडिकल रिसर्चर माया विश्वकर्मा अपने ऑफिस से एक महीने की छुट्टी ले चुकी हैं और बुधवार को अपने कई साथियों के साथ दिल्ली उतर रही हैं। दिल्ली चुनाव में भी माया ‘आप’ के लिए प्रचार कर चुकी हैं। फोन पर वो बताती हैं, “आधे कनाडा में पंजाबी हैं। कई हजार तो कैर्लिफोनिया में भी हैं। विदेशों में बसे हजारों एनआरआई फ्लाइट-फ्लाइट भर-भर कर पंजाब पहुंच रहे हैं। इससे पहले हम लोगों ने यहां कैंपेन (प्रचार) किया था। अपने रिश्तेदारों और परिचितों को फोन कर ‘आप’ के लिए समर्थन और फंड जुटाया था।”

आम आदमी पार्टी ने चलाया था चलो पंजाब अभियान, ऐप पर हजारों लोगों के कराया था रजिस्ट्रेशन।

सात-आठ साल से अमेरिका में रह ही माया केजरीवाल का समर्थन क्यों के सवाल पर वो कहती हैं, “कोई एनआईआई किसी भी देश में रहे उसके दिल में भारत बसता है। अमेरिका और भारत को देखती हूं तो सोचती हूं मेरा देश कब बदलेगा। अन्ना आंदोलन के दौरान वो उम्मीद दिखी तो दिल्ली पहुंच गई। अब अरविंद (केजरीवाल) से उम्मीद दिखी तो उनके लिए काम शुरु किया।”

हम लोग पंजाब की खातिर आए हैं। यहां के हालात जल्द नहीं बदले तो आने वाले समय में नस्लें बर्बाद हो जाएंगी। हम लोग घर-घर जाकर समझा रहे हैं कि कनाडा जैसी व्यवस्था यहां क्यों नहीं हो सकती। जब लोग ये देखते हैं कि अमेरिका से आया आदमी सिस्टम बदलने की बात कर रहा है तो वो हम पर भरोसा करते हैं।
अमृत सिंह, ट्रक कारोबारी, अमेरिका

भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान से उपजी ‘आप’ ने एनआरआई की बदौलत मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद 2014 के आम चुनाव में 4 सीटें हासिल की थी। इस बार भी उन्हें विदेशों से आर्थिक और वालेंटियर के रुप में भारी मदद मिली है। आम आदमी पार्टी में बाकायदा ओवरसीज चैप्टर (विदेशी शाखाएं) और उनके प्रबंधक हैं। कुमार विश्वास इनके प्रभारी हैं। ज्यादातर एनआरआई और विदेशी राज्य के संयोजक के अलावा कुमार विश्वास के माध्यम से बात अपने सुझाव, शिकायतें, समर्थन पार्टी और केजरीवाल तक पहुंचाते हैं।

कैर्लिफोनिया में अपने सहयोगी वालेंटियर के साथ माया विश्वकर्मा।

पिछले 15 दिनों से पंजाब में प्रचार कर रहे आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता वैभव महेश्वरी बताते हैं, “कोई भी एनआरआई खुशी से देश नहीं छोड़ता, मजबूरी या दुखी होकर गया होगा। क्योंकि प्रदेश का माहौल ऐसा नहीं था, नीतियों और भविष्य की चिंताओं ने उन्हें देश छुड़वाया। वो देश को याद करते हैं और अब वो या तो वापस लौटना चाहते हैं या देश के बदलाव में अपना सहयोग देना चाहते हैं।”

कोई भी एनआरआई खुशी से देश छोड़ कर नहीं जाता, मजबूरी या दुखी होकर जाता है, क्योंकि प्रदेश का माहौल ऐसा नहीं था, नीतियों और भविष्य की चिंताओं ने उन्हें देश छुड़वाया। वो देश को याद करते हैं और देश के बदलाव में सहयोग देना चाहते हैं। पंजाब और गोवा के बाद इनमें से सैकड़ों यूपी भी पहुंचेंगे।
वैभव महेश्वरी, प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी, उत्तर प्रदेश

वो आगे बताते हैं, “सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही नहीं 2014 के चुनाव में बहुत से एनआरआई ने नरेंद्र मोदी का भी समर्थन दिया था, वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, लेकिन अरविंद (केजरीवाल) ने दिल्ली में सीमित विकल्पों के बावजूद खुद को साबित किया। अब हजारों एनआरआई उनके परिवार यार-दोस्त सब हमारे साथ हैं। पंजाब और गोवा के बाद इनमें से सैकड़ों यूपी भी पहुंचेंगे।”

कैर्लिफोनिया में रहने वाले अमृत सिंह पिछले 50 दिनों से होशियार पुर में कर रहे हैं आप के लिए प्रचार।

कैर्लिफोनिया में ट्रैक व्यवसाय से जुड़े अमृत सिंह (40 वर्ष) पिछले डेढ़ महीने से होशियारपुर जिले के उरमर टांडा इलाके में आप के लिए डोर-टू-डोर प्रचार कर रहे हैं। वो फोन पर बताते हैं, “हम लोग पंजाब की खातिर आए हैं। यहां के हालात जल्द नहीं बदले तो आने वाले समय में नस्लें बर्बाद हो जाएंगी। यही हम लोगों को समझा रहे हैं, जब लोग ये देखते हैं कि अमेरिका से आया आदमी सिस्टम बदलने की बात कर रहा है तो वो हम पर भरोसा करते हैं, बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।”

कनाडा में साफ्टवेयर इंजीनियर कमल गर्ग 5 दिसंबर से पंजाब में हैं। वो इन दिनों सांसद भगवंत मान के क्षेत्र जलालाबाद में काम कर रहे हैं। मोगा के मूल निवासी कमल बताते हैं, “हम सिर्फ पंजाब नहीं देश में राजनीतिक बदलाव चाहते हैं, सिस्टम को बदलना जरुरी हो गया है। हमने पंजाब के लोगों में भरोसा जगाया है कि जो व्यवस्था कनाडा में है वो यहां भी हो सकती हैं। वहां भी सरकार है सिस्टम है लोग अच्छे से कारोबार कर रहे हैं तो यहां क्यों नहीं।”

अप्रवासी भारतीयों का समर्थन आम आदमी के अलावा कांग्रेस और अकालियों ने भी जुटाया है। प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक पिछले दिनों ही 300-400 एनआरआई कांग्रेस के प्रचार के लिए पंजाब पहुंचे। हालांकि आप वालेंटियर उन्हें ज्यादा प्रभावी नहीं मानते। कमल कहते हैं, “देखिए कांग्रेस और अकाली दल ने एनआरआई को बुलाया है लेकिन हम लोग अपने मन से अपना आए हैं तो उऩमें वो समर्पण नहीं है।”

विदेशों के साथ कई राज्यों के लोग भी पंजाब पहुंचे हैं। लखनऊ के इँद्रपाल सलूजा पूरे परिवार के साथ इऩ दिनों पंजाब में हैं।

पंजाब एनआरआई का गढ़ है। 117 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश की 34-40 सीटों में उनका प्रभाव है। वो विदेश में रहकर अपने साथ के लोगों तक प्रचार, सोशल मीडिया कैंपेन चला रहे हैं अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जिताने के लिए यूरोप से लेकर गांव तक जोर भी लगा रहे हैं

सोशल मीडिया पर एनआईआई बूम के उलट जमीनी हकीकत क्या है और किसका प्रभाव कितना होगा ये चुनाव बाद दिखेगा लेकिन स्थानीय लोगों का अपना मत है। बिहार के मूल निवासी और अब होशियारपुर के दसूहा में रह रहे धीरज झा कहते हैं, “ये सच है पंजाब बदलाव चाहता है और एनआरआई आप के लिए बहुत मेहनत भी कर रहे हैं लेकिन मुझे नहीं लगता गांव के लोग उनकी सुनकर वोट देंगे।” “एनआरआई काफी पैसा कमा चुके हैं वो राजनीति में आना चाहते हैं कांग्रेस, अकाली, बीजेपी में इतनी जल्दी उनको तवज्जों मिलने से रही और आप के पास नेता और पैसा दोनों कम हैं तो ज्यादातर एनआरआई उसमें अपना भविष्य देख रहे हैं।” धीरज आगे जोड़ते हैं।

पंजाब एनआरआई का गढ़ है। 117 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश की 34-40 सीटों में उनका प्रभाव है। वो विदेश में रहकर अपने साथ के लोगों तक प्रचार, सोशल मीडिया कैंपेन चला रहे हैं अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जिताने के लिए यूरोप से लेकर गांव तक जोर भी लगा रहे हैं लेकिन असली रिजल्ट तो 11 मार्च को ही आएगा।

           

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