गोरखधंधा: गारंटी से हर मर्ज़ का इलाज करने वाले इन अवैध दवाखानों का कब होगा इलाज ?

Darakhshan Quadir SiddiquiDarakhshan Quadir Siddiqui   21 Jan 2017 9:14 PM GMT

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गोरखधंधा: गारंटी से हर मर्ज़ का इलाज करने वाले इन अवैध दवाखानों का कब होगा इलाज ?लखनऊ में कई जगह सड़क किनारे दिख जाएंगे ऐसे दवाखाने। फोटो- महेंद्र पांडेय

लखनऊ। केजीएमयू से लेकर पीजीआई तक भले मरीज की बीमारी लाइलाज होने पर इलाज से हाथ खड़े कर दें, लेकिन राजधानी के इन वैद्यों के पास हर मर्ज की दवा है। हड्डी टूटने से लेकर दमा और यहां तक कि जानलेवा कैंसर तक का इलाज में 20 से 150 रुपये की खुराक में कर देते हैं। खुद को खानदानी जानकार बताने वाले इऩ वैद्यों के पास न तो कई डिग्री है और न ही ये किसी विभाग से संबंध रखते हैं, बाजवूद इसके कोई इनपर सवाल नहीं उठाता।

आयुष विभाग के अर्न्तगत इस तरह के हकीमों का कोई रिर्काड नहीं है। ये न तो आयुष विभाग के अंतर्गत आते हैं न ही यूनानी और न ही होम्योपैथी के।
प्रदीप गुप्ता, आयुष सलाहकार , उत्तर प्रदेश

ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं लखनऊ समेत तमाम दूसरे शहरों और कस्बों में सड़क किनारे इनके तंबू दिख जाएंगे। ये अपने आप को खानदानी नुस्खे के नाम पर दवाखाना चलाने वाले ये वैद्य न तो एक्सरे करते हैं और न किसी तरह की जांच, नब्ज देखकर ही हर मर्ज़ के जड़ से खात्मे की गारंटी देते हैं। लखनऊ के तिलक मार्ग पर छह साल से तम्बू लगाने वाले सरदार वैद्य अब तक सैकड़ों मरीजों को ठीक करने का दावा करते हैं। “ पेट के रोगों के लिए मैं चूरन और मालिस के लिए तेल देता हूं। पुरुष और स्त्री रोगो (ल्यूकोरिया आदि) की दवा भी देता हूं। बहुत लोगों को फायदा हुआ है। कई बड़े अधिकारी से भी जान पहचान है।” वो बताते हैं कि रोजाना 1000-1500 रुपये कमा लेते हैं।

ये राजधानी का अकेला तम्बू वाला दवाखाना नहीं है, बल्कि ऐसे दो दर्जन से भी ज्यादा खानदानी देसी दवाखाने पूरे शहर में फैले हैं। इनके पास न तो किसी विभाग का लाइसेंस है ना कोई कोई डिग्री। कई मरीजों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया एक बार इनके तंबू में पहुंच गए तो नाड़ी देखने के बाद ऐसे डराएंगे कि मरीज मनमाने पैसे देने को तैयार हो जाता है। ज्यादातर बार ये लोग पुरुषों को बच्चे न होने जैसी बीमारियों का हवाला देकर डराते हैं। चिकित्सा का कोई भी विभाग इनके द्वारा दी जाने वाली दवाई की किसी भी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता। लेकिन कार्रवाई नहीं तब तक जब तक किसी की मौत या कोई जागरुक मरीज हंगामा न कर दे।

प्रदेश के आयुष सलाहकार प्रदीप गुप्ता बताते हैं, “आयुष विभाग के अर्न्तगत इस तरह के हकीमों का कोई रिर्काड नहीं है। ये न तो आयुष विभाग के अंतर्गत आते हैं न ही यूनानी और न ही होम्योपैथी के।” इस बारे में बात करने पर लखनऊ के सीएमओ जीएस बाजपेई करते हैं, “इनके बारे में अगर पता चलता है तो कार्रवाई होगी।” य़े अलग बात है कि लखनऊ में शिया कॉलेज के पास, ताड़ीखाना, तिलक मार्ग, सरफरागंज हरदोई रोड, कई जगह रायबरेली रोड पर झोलाछाप नीम हकीम लोगों का इलाज करते मिल जाएंगे।

     

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