विश्व टीबी दिवसः टीबी से हर तीन मिनट में होती हैं दो मौतें

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   24 March 2017 10:23 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
विश्व टीबी दिवसः टीबी से हर तीन मिनट में होती हैं दो मौतेंलोगों को जागरूक करने के लिए आज के दिन मनाया जाता है विश्व टीबी दिवस

(स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

लखनऊ। पूरी दुनिया में हर साल लगभग 91 लाख लोगों को क्षय रोग (टीबी) होती है, जिसमें 17 लाख लोगों की मौत हो जाती है। टीबी के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

24 मार्च 1882 में रावर्ट काक नामक वैज्ञानिक ने टीबी की खोज की थी। इसलिए प्रत्येक वर्ष इस तारीख को समाज और मरीजों में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए टीबी दिवस मनाया जाता है। टीबी आनुवांशिक नहीं है। यह एक संक्रामक रोग है। कोई भी व्यक्ति क्षयरोग की चपेट में आ सकता है। जब सक्रिय क्षयरोग से पीड़ित कोई रोगी खुले तरीके से खांसता या छींकता है, तो क्षयरोग पैदा करने वाले जीवाणु बाहर एरोसोल में प्रवेश कर जाते हैं। यह एरोसोल किसी भी ऐसे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है जो इसमें सांस लेता है।

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय, लखनऊ के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष कुमार दूबे बताते हैं, “उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर लगभग 257 मरीज होते हैं। भारत की आबादी का लगभग 40 फीसदी लोग टीबी से संक्रमित होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर टीवी के मरीज में बदल जाते हैं।” विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट की मानें तो टीबी के कारण प्रत्येक तीन मिनट पर दो लोगों की मौत होती है।

दो सप्ताह तक खांसी आने पर कराएं जांच

डॉ. आशूतोष कुमार दूबे बताते हैं, “दो सप्ताह से अधिक खांसी टीबी हो सकती है। दो सप्ताह से अधिक खांसी आने पर टी.बी की जांच कराएं। टीबी की पहचान बलगम की जांच से की जाती है। इसमें अन्य जांचे भी जरुरत पड़ने पर की जाती हैं। टीबी का इलाज बहुत सरल है। इसका उपचार डाट्स द्वारा किया जाता है, जिसमें बलगम की जांच और अन्य जांच के बाद मरीज को दो श्रेणी में बांट दिया जाता है। पहली श्रेणी में नये मरीजों को और दूसरी श्रेणी में पुराने मरीजों को रखा जाता है।” टीबी की दवा छह से आठ महीने तक खानी पड़ती है। टीबी की दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता या समाज के किसी जिम्मेदार व्यक्ति की देखरेख में खायी जाती है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.