मत्स्यपालकों को सलाह: गर्मियों में कर दें मछलियों की बिक्री 

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मत्स्यपालकों को सलाह: गर्मियों में कर दें मछलियों की बिक्री मछली पालन के बारे में जानकारी देते मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीसी यादव।  (फोटो:गाँव कनेक्शन)

अजय मिश्रा
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
कन्नौज।
‘‘इन दिनों गर्मी का समय है। किसान नए मछली बीज न डालें। पानी कम हो जाता है इसलिए मछलियों की बिक्री कर दें। इससे तालाब में मछलियां कम हो जाएंगी और बरसात से पहले मत्स्य पालकों के पास भुगतान भी एकत्र हो जाएगा। इससे नए बीज डाल सकेंगे।” यह कहना है मत्स्य विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीसी यादव का।
वह मत्स्य पालकों के लिए सलाह देते हैं कि तालाब में मछली पालन के लिए कम से कम एक से डेढ़ मीटर गहरा पानी होना चाहिए। गर्मियों में उसकी बराबर देखरेख करनी चाहिए। अगर मछली आधा किलो से ऊपर की हो रही है तो बिक्री कर दें। वह आगे बताते हैं कि वैसे भी गर्मियों में पानी कम हो जाता है, इसलिए तालाब में मछलियां कम ही रहें। अगर मछली कम रहेंगी तो नुकसान भी कम होगा। अगर तालाब का पानी हरा है तो उसमें चूना भिगोकर डालना चाहिए। इससे तालाब में मछलियों के बीच कोई बीमारी नहीं होती है। पानी भी चूना साफ करता है। कैल्शियम भी बढ़ता है। प्रति हेक्टेयर तालाब में ढाई कुंतल चूना डालना चाहिए।
मछली अगर ऊपर आकर मुंह खेलती है तो पानी गंदा होने की संभावना अधिक रहती है। सुबह के समय मछली दम तोड़ती है तो इसमें चूना डाल देना चाहिए। इससे पहले लाठी या डंडे से पानी को जोर से हिलाएं, जिससे ऑक्सीजन मिल जाता है और मछलियों की जान बचाई जा सकती है। कई लोग ऐसे वक्त जहर देने की बात कहते हैं, लेकिन वास्तव में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

तालाब में ऐसे डालें पानी


तालाब में अगर पानी बढ़ाना है तो सीधे पाइप से न डाला जाए। जहां पानी गिर रहा है वहां पर पत्थर रख दिया जाए जिससे पानी के छींटों की संख्या अधिक हो जाएगी। इससे ऑक्सीजन की कमी मछलियों के लिए नहीं होगी।

मछलियों का भोजन तालाब में न फेंके, सिर्फ बांधे


मुख्य कार्यकारी अधिकारी बताते हैं कि मछलियों को भोजन में सरसों की खली और राइस पॉलिस दी जाती है। बराबर-बराबर मात्रा में दोनों ही वस्तुएं दी जानी चाहिए। साथ ही तालाब के पानी में भोजन फेंकना नहीं चाहिए। इससे कुछ दिनों बाद वह सड़ जाता है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सलाह है कि तालाब में बांस लगाकर उसमें रस्सा बांधना चाहिए। उसी में मछलियों के भोजन को प्लास्टिक की बोरी में बांधकर लटका देना चाहिए। इससे भोजन बर्बाद नहीं होगा। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि मछलियों को कितने भोजन की जरूरत है। अगर उनका भोजन बचता है तो उसी हिसाब से कम दिया जाएगा। अगर पूरा खत्म हो जाता है तो पहले वाली ही मात्रा दी जाएगी। उनका तर्क यह भी है कि ‘पांच बीघा वाले तालाब में अंगुली साइज की पांच हजार मछली बच्चे आते हैं। भोजन के लिए वजन के हिसाब से तीन-चार फीसदी ही दिया जाना चाहिए।’

पांच वर्षों में दोगुनी संख्या में मत्स्य पालक कन्नौज में बढ़े


कन्नौज में बीते पांच सालों में मत्स्य पालकों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। मत्स्य कार्यकारी अधिकारी जीसी यादव का कहना है कि ‘पहले करीब 200-250 मत्स्य पालक थे। अब संख्या 500 के करीब है।’

इन मछलियों पर प्रतिबंध, पर्यावरण खत्म कर रहीं


जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीसी यादव ने बताया कि विदेशी बांग्लादेशी मछली थाई मांगुर और बिग हेड प्रतिबंधित है। कारण, इससे तालाब का पर्यावरण खत्म हो रहा है। मछलियों में बीमारी भी फैलती हैं। साथ ही यह मछलियां मांसाहारी होती हैं तो अपने ही बच्चों या छोटी मछलियों को खाती हैं।

बादल वाली रात के बाद जरूर करें निरीक्षण


अगर बादल वाली रात है तो अगले दिन सुबह तालाब का निरीक्षण जरूर करें। मत्स्य पालक देखें कि मछलियों को ऑक्सीजन मिल रहा है या नहीं। सूरज की रोशनी न मिलने पर ऑक्सीजन घट जाती है और मछलियां दम तोड़ने लगती हैं। डंडे को पानी में मारना चाहिए। इससे ऑक्सीजन की कमी दूर होती है। वैसे मछली के भोजन जू फ्लेंक्टॉन और फाइटोफ्लेंक्टॉन बताए गए हैं।

     

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