...तो इसलिए दुकानों में बिक जाता है गाँव के बच्चों का पोषाहार

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...तो इसलिए दुकानों में बिक जाता है गाँव के बच्चों का पोषाहारप्रतीकात्मक फोटो।

किशन कुमार (स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

रायबरेली। आंगनबाड़ी के लिये आया पोषाहार बाजार में या पोषाहार बेच रही आंगनबाड़ी कार्यकत्री इस तरह की खबरें आये दिन सुनायी देती हैं, परन्तु जांच के दौरान या तो स्टॉक पूरा मिलता है या वितरण रजिस्टर पूरा मिलता है तो यह बिकने वाला पोषाहार किसका है? यह तहकीकात करने के लिये जब कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यकत्री और सहायिका से बात की तो पता चला कि पोषाहार बिकने के कुछ अन्य कारण भी हैं, वो कभी सामने आये ही नहीं।

महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार विभाग द्वारा चल रही आईसीडीएस स्कीम में आंगनबाड़ी केन्द्रों से गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को पोषाहार वितरित किया जाता है। यह पोषाहार प्रत्येक माह की 5,15 और 25 को वितरित किया जाता है। अब यह पोषाहार बांटने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मानें तो पोषाहार ब्लॉक में सीडीपीओ ऑफिस में आ जाता है, वहां से केन्द्र तक लाने के लिये किराया कभी नही मिलता।

अघौरा गाँव की आंगनबाड़ी सुधा देवी (38) कहती हैं कि ढुलाई का पैसा आता है, परन्तु आज तक कभी दिया नही गया। वहीं सराय उमरपुर की निर्मला देवी कहती हैं कि इतने कार्यक्रम और बैठक लगा दी जाती हैं कि कभी समय से पोषाहार मिल नही पाता और कभी-कभी दोबारा का एक साथ बांटना पड़ता है। टेरा बरौला की धनावती पाल बताती हैं कि- हम लोग लाभार्थी को बांट देते है, परन्तु कहीं-कहीं लाभार्थी खुद दुकान पर जाकर बेच देते हैं।

ऐसी कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई है। जनपद में यदि गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो तत्काल जांच करके कार्रवाई कराई जाएगी।
मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी।

हरचन्दपुर ब्लॉक की प्रभारी सीडीपीओ अर्चना वर्मा कहती हैं कि आंगनबाड़ी कभी पोषाहार नही बेचती। ज्यादातर लाभार्थी ही अपने आसपास के दुकानदारों को बेच देती हैं, फिर जब किसी दुकान पर पोषाहार देखा जाता है तो आंगनबाड़ी बदनाम की जाती है।

वहीं, हरचन्दपुर ब्लॉक आंगनबाड़ी संगठन के संरक्षक होरी लाल की मानें तो कभी जब दोगुनी मात्रा में पोषाहार आया और समय से नही बंट पाया तो उसे वितरित करने का दबाव डाला जाता है और ज्यादा-ज्यादा पोषाहार बंटवा दिया जाता है। कभी-कभी एक्पाइयरी डेट से बचने के लिये भी ऐसा किया जाता है। यदि पोषाहार खराब होने लगता है तो इस सूरत में भी उसे वितरित कराया जाता है। जब यही पोषाहार लाभार्थी को ज्यादा मात्रा में दिया जाता है तो वह दुकान पहुंच जाता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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