ग्रामीणों में बढ़ रही मोतियाबिंद की बीमारी
Deepanshu Mishra 11 March 2017 1:53 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। बदलते दिनचर्या के चलते ग्रामीणों में भी कई बीमारियां हो जाती हैं, लेकिन ग्रामीण उस पर ध्यान न देकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बड़ी बीमारी का रूप ले लेती हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी. की दूरी पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय मामपुर बाना में गाँव कनेक्शन फाउंडेशन के स्वयं प्रोजेक्ट के दौरान वासन आई केयर की सहयोग से एक कैंप आयोजित किया गया, जिसमे ग्रामीणों में मोतियाबिंद और प्रेस्बाईपिया के कई केस सामने आये। इस कैंप में लगभग 100 बच्चों और ग्रामीणों की निःशुल्क आँख की जांच करायी गयी। आयोजित कैंप में वासन आई केयर की तरफ से कोआर्डिनेटर आफान खान, हिमांशी सिंह और मोहित यादव मौजूद रहे।
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पढ़ने में आती है दिक्कत
अतुल वर्मा आगे बताते हैं, ‘’ग्रामीणों में ये बीमारिया तो हैं, लेकिन उनके बारे में उन्हें पता नही है कि आगे चल कर ये बीमारियां उनके आंखों की रोशनी छिन सकती है। मोतियाबिंद के बारे में तो कुछ लोग जानते भी है लेकिन प्रेस्बाईपिया का नाम ही अभी तक नहीं सुना है।’’ उन्होंने बताया, ‘’ प्रेस्बाईपिया में पढ़ने में दिक्कत आती है लेकिन दूर का दिखाई साफ़ देता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद आंखो के लेंस कड़े हो जाते है जिसके कारण यह बीमारी होती है। इसके लिए व्यक्ति को चश्मा ही लगवाना पड़ता यही इसका इलाज़ होता है। ज्यादातर ग्रामीणों में मोतियाबिंद बीमारी होती है।
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