कांग्रेस के हाथ को नहीं मिला जनता का साथ

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कांग्रेस के हाथ को नहीं मिला जनता का साथ2002 के बाद से कांग्रेस उन्नाव जिले में अब तक एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई है।

श्रीवत्स अवस्थी

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

उन्नाव। आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस अब वजूद बचाने की जंग लड़ रही है। जनपद में कांग्रेस के हाथ को विधान सभा चुनावों में जनता का साथ नहीं मिला जिससे बीते कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को मुंह की खानी पड़ी। 1989 व 1993 में हुए चुनाव में कांग्रेस का जिले में खाता नहीं खुल सका था। 1996 के चुनाव में कांग्रेस को जिले में मात्र एक सीट पर जीत मिली थी। 2002 के बाद से कांग्रेस जिले में अब तक एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई है।

आजादी के बाद 1951 में जिले में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में उन्नाव साउथ से कांग्रेस ने लीलाधर, सफीपुर कम उन्नाव नार्थ से मोहन लाल, पुरवा सेंट्रल से राम अधीन, पुरवा साउथ से देवदत्त मिश्रा और पुरवा नार्थ कम हसनगंज से जटाशंकर को मैदान में उतारा था। इन सभी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। 1957 के चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज कर सका था। 1962 में हुए चुनाव में बांगरमऊ से सेवाराम, सफीपुर से गोपीनाथ, सदर से जियाउर रहमान, भगवंतनगर से देवदत्त, पुरवा से रामअधीन सिंह, झलोतर अजगैन से श्रीराम ने जीत दर्ज की थी। 1967 के चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ गया था।

उन्नाव से जियाउर रहमान, बिछिया रामाधीन सिंह और भगवंतनगर से भगवती सिंह विशारद जीत दर्ज करने में सफल हुए थे। वहीं 1969 के चुनाव में बांगरमऊ से कांग्रेस के गोपीनाथ दीक्षित, भगवंतनगर से भगवती सिंह, पुरवा से दुलारे लाल और मियागंज सीट से बद्री प्रसाद कांग्रेस से जीते थे। 1969 के चुनाव के बाद से कांग्रेस के हिस्से से विधानसभा सीटें कम होनी शुरू हो गई थी। 1974 के चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में तीन सीटें ही आ सकी थी। 1980 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और बांगरमऊ से गोपीनाथ दीक्षित, सफीपुर से हरिप्रसाद कुरील, हड़हा से सच्चिदानंद बाजपेई, भगवंतनगर से भगवती सिंह विशारद और पुरवा से गया सिंह जीते थे। 1985 में सात में से चार सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी।

इन चुनाव को छोड़ दें तो 1996 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में एकमात्र हड़हा सीट ही आ सकी थी। वहीं 2002, 2007 और 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज कर पाया है। 2002 में हुए चुनाव में बांगरमऊ विधानसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी अनवर रहमान चौथे, सफीपुर में हरिप्रसाद कुरील छठे, सदर में शिवपाल दूसरे, हड़हा में हरि सहाय मिश्र चौथे, भगवंतनगर में वीरप्रताप सिंह चौथे और पुरवा में पांचवे स्थान पर रही थी। वहीं 2007 व 2012 के चुनाव में भी कांग्रेस जीत की राह नहीं पकड़ पाई। 2007 व 2012 के चुनाव में जिले की किसी भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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