पर्यटन नक़्शे में शामिल होने के बावजूद विकास का इंतजार कर रहा देवा

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पर्यटन नक़्शे में शामिल होने के बावजूद विकास का इंतजार कर रहा  देवाविश्वप्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर्यटन के नाम पर विकास की राह देख रही है।

अरुण मिश्रा, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

विशुनपुर (बाराबंकी)। बाराबंकी जिले के मुख्यालय से उत्तर दिशा में 14 किमी दूर देवा स्थित विश्वप्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर्यटन के नाम पर विकास की राह देख रही है। देवा का नाम पर्यटन के नक्शे पर होने के बावजूद इस कस्बे का विकास नहीं हो पाया है। पूर्व में कांग्रेस सरकार ने देवा को रेल मार्ग से जोड़ने की मंजूरी दी थी, लेकिन देवा को रेल मार्ग से जोड़ने की योजना फाइलों में ही दब कर रह गयी। देवा में अभी तक स्थाई बस अड्डा भी नहीं बन सका है।

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“जो रब है वही राम है” के सन्देश से प्रेम और सद्भाव का सन्देश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह को बीते वर्षों में प्रदेश के पर्यटन नक़्शे पर शामिल किया गया था। पर्यटन नक़्शे पर शामिल होने के बावजूद जायरीन के लिए कई मूलभूत सुविधाओं से आज भी कस्बा महरूम है।

ने करीब चार वर्ष पहले सांसद पीएल पुनिया ने देवा और महादेवा को रेल मार्ग से जोड़ने की पहल की थी। मार्ग का सर्वे भी हुआ, लेकिन बाद में महत्वकांक्षी योजना पर कार्य शुरू नहीं हो सका। जिससे दूर-दूर से आने वाले जायरीन को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।
लकी निगम, सभासद

गल्ला व्यापारी राम निवास (48 वर्ष) कहते हैं, “सूफी संत की दरगाह पर रोजाना हजारों जायरीन जियारत के लिए आते हैं, लेकिन कस्बे में आज तक एक स्थाई बस अड्डा नहीं है। जिससे लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।” क़स्बा निवासी रिजवान अहमद रिज्जू ने कहा, “पर्यटन के नाम पर कस्बे का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। कस्बे में जायरीन के अनुपात में रैनबसेरों की काफी कमी है। जिसके चलते यहां आने वाले जायरीन को मेले और उर्सों के दौरान खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ती है।”

कस्बे में पर्यटन की दृष्टि से विकास की काफी कमी है। रैनबसेरे, शौचालय, बसस्टॉप, सीवर सिस्टम जैसी कई समस्याएं यहां हैं। इन्हें दूर करने के साथ ही कस्बे को रेलमार्ग से जोड़ने के प्रयासों की जरूरत है।
हसन मोहम्मद खां, दरगाह सेक्रेटरी

क़स्बा निवासी समीर श्रीवास्तव कहते हैं, “कस्बे में सार्वजानिक शौचालय की भी समस्या है। शौचालयों के अभाव में जायरीनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।”

सभासद शानू कहते हैं, “पर्यटन केंद्र के रूप में देवा को विकसित करने की योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। सूफी सर्किट से कस्बे को जोड़ने का काम भी आज तक साकार नहीं हो सका है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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