बहराइच: दर्जनों गाँवों में नहीं पहुंच सकती एंबुलेंस

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बहराइच: दर्जनों गाँवों में नहीं पहुंच सकती एंबुलेंसइलाज कराने के लिए बुजुर्ग को नाव पर ले जाने को मजबूर ग्रामीण।

रोहित श्रीवास्तव, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

बहराइच। देश में बड़े-बड़े हाईवे बन रहे हैं। जिला मुख्यालयों को फोर लेन से जोड़ने की बातें हो रही हैं। लेकिन, प्रदेश में सैकड़ों गाँव ऐसे हैं जहां चार पहिया वाहन तो दूर मोटर साइकिल तक ले जाना टेढ़ी खीर है। राजनीतिक उपेक्षा से सरयू के पास गाँव विकास में काफी पीछे छूट गए हैं।

विकास खंड पकरपुर में रानीपुर थाना क्षेत्र के दहोरा, होलपारा, सिंगौरा, बसोना और केसरीपुरवा समेत दर्जनों गाँवों की जिला मुख्यालय से दूरी तो महज 12-16 किलोमीटर ही है लेकिन इन्हें शहर तक सरयू नदी पार कर पहुंचने में कई घंटे लगते हैं। अगर मौके पर नाव नहीं मिली तो इऩ्हें दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है।

स्थानीय निवासी होलपारा गाँव के हनुमान सिंह बताते हैं, “यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं है। चाहे अस्पताल जाना हो या स्कूल नाव ही एकमात्र सहारा है। बाढ़ के दौरान तो हालात और बदतर हो जाते हैं। चुनाव के दौरान नेता पुल और सड़क बनवाने के वादे तो करते हैं लेकिन बाद में सब भूल जाते हैं।”

परेशानियों का जिक्र करते हुए अठोलिया गाँव निवासी सुभाष सिंह बताते हैं, “आग लगे या कोई बीमार न दमकल पहुंच पाती है और न एंबुंलेस, बस नाव ही एकमात्र सहारा है।

प्रदेश में भले ही पुलिस की 100 नंबर की गाड़ियां 20-30 मिनट में पहुंचती हो लेकिन हमारे यहां पुलिलवाले भी नाव पर मोटरसाइकिल रखकर ही आते हैं।” वो आगे बताते हैं, “सरयू में हर साल बाढ़ आती है। कोई न कोई हादसा होता ही रहता है लेकिन जब तक प्रशासन पहुंचता है बहुत देर हो चुकी होती है।”

रोजाना नाव से सरयू पारकर प्राथमिक स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक रवि मोहन पांडेय बताते हैं, “ये गाँव देखकर आपको लगेगा नहीं कि देश को आजाद हुए 69 साल हो गए हैं। ये तब भी वैसे थे आज भी। बाढ़ के दौरान शिक्षकों तक का पहुंचना मुश्किल हो जाता है लेकिन सब चल रहा है। जब तक यहां सरयू पर पुल नहीं बनेगा यहां के लोगों का भला नहीं होगा।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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