ये किसान नाव पर अपना ट्रैक्टर कहां ले जा रहा है ?

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ये किसान नाव पर अपना ट्रैक्टर कहां ले जा रहा है  ?मेरठ के हस्तिनापुर ब्लॉक के खेड़ी गाँव में नाव से ट्रैक्टर ले जाने को मजबूर किसान।

बसंत कुमार

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। खेड़ी गाँव के रहने वाले धर्मवीर सिंह कश्यप रोजाना खेती करने के लिए अपना ट्रैक्टर नाव पर लादकर नदी पार ले जाते हैं। उनके मन में भय रहता है कि मैं नदी से उस पार सही सलामत पहुँच पाऊंगा या नहीं।

यह समस्या सिर्फ धर्मवीर सिंह कश्यप की नहीं है। धर्मवीर सिंह कश्यप जैसे सैकड़ों किसान इस समस्या से सालों से परेशान हैं। मेरठ के खेड़ी गाँव के रहने वाले सुरेन्द्र कुमार बताते हैं, जब से पैदा हुए तब से ही रोजाना खतरे में जी रहे हैं। सुबह-सुबह अपने खेत में काम करने जाने के लिए हम नाव से ट्रैक्टर और बाकी सामान लेकर जाते हैं। कई बार नाव भी पलट चुकी है, जिससे जान माल को काफी नुकसान हुआ। मेरे सामने 15 से ज्यादा ट्रैक्टर अब तक पलट चुके हैं, जिसमें कई लोग मर चुके हैं।

इस नदी पर पुल के निर्माण कराने का लालच देकर सालों से नेताओं ने जनता से वोट लिया। 13 मई 2008 को प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मनोहरपुर के भीम कुंड घाट के पास गंगा पुल का उद्घाटन किया, लेकिन पुल का निर्माण अब भी अधूरा है। नौ साल बाद भी ग्रामीण पुल बनने के इंतजार में है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुल का निर्माण हो जाए तो हम लोगों की ज़िन्दगी सुधर जाए।

दोनों तरफ से गंगा से घिरे मेरठ के हस्तिनापुर ब्लॉक के खेड़ी, बछवा और मनोहरपुर गाँव के सैकड़ों परिवार के लोग रोजाना गंगा को पारकर अपनी ज़िन्दगी चला रहे हैं। इन गाँवों के ज्यादातर परिवार किसान हैं और उन्हें खेती करने के लिए रोजाना नदी पार कर के जाना पड़ता है। गंगा पार कर उस पार जाने के लिए पुल नहीं है। नाव से ही गंगा पार करना पड़ता है।

इलाज के लिए जाना पड़ता है नदी पार

किसानों के अलावा इन गांवों में समय से इलाज नहीं हो पाने के कारण कई लोग मर जाते हैं। गाँव की आशा कार्यकत्री मुन्नी बताती हैं, ’’गाँव में अगर कोई बीमार हो जाता है तो उसे अस्पताल ले जाने में काफी दिक्कत होती है। दिन में तो नाव मिल भी जाती है, लेकिन रात में अगर कोई बीमार हो जाये तो नाव वाले को रात में बुलाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को अगर दर्द शुरू हो जाए तो उसे अस्पताल ले जाने में दिक्कत होती है। पिछले दिनों खेड़ी गाँव की एक बुजुर्ग महिला को देर रात में पेट में दर्द हुआ। वो रात में इलाज कराने नहीं जा पाई और उनकी मौत हो गयी। यहाँ इस इलाज नहीं कराने के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है।

सबसे करीब अस्पताल 14 किमी. दूर

मुन्नी आगे बताती हैं कि यहाँ से सबसे करीब हस्तिनापुर अस्पताल है, जो यहाँ से 13 से 14 किलोमीटर है। इमरजेंसी में हम एम्बुलेंस को बुलाते हैं तो एम्बुलेंस वाले भी मुख्य रोड पर ही खड़े हो जाते हैं। अब किसी गर्भवती महिला या मरीजों को हम पहले नाव से नदी पार कराते हैं, फिर पैदल या बुग्गी से तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क पर ले जाते हैं, वहां से एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जाता है।

जब पलट गई थी नाव

ग्रामीणों को पिछले आठ साल से नदी पार कराने वाले सोनू बताते हैं, “यहाँ नाव चलाना बेहद मुश्किल होता है। बहाव तेज़ होते ही नाव को नियंत्रण में रखना मुश्किल हो जाता है। पिछले दिनों मैं नाव पर ट्रैक्टर लेकर जा रहा था, बहाव तेज़ हुआ और नाव पलट गई। ट्रैक्टर के साथ नाव पर सवार सभी लोग नदी में गिर गए। जो तैरना जानते थे वो तो निकल गए, लेकिन एक लड़की जिसको तैरना नहीं आता था उसकी डूबकर मृत्यु हो गयी। ट्रैक्टर तो बहकर कुछ दूर गया, हम उसे मशीन से निकाल लिए।

यहाँ हर एक साल 7 से 8 ट्रैक्टर नदी में डूब जाते हैं। सोनू आगे बताते हैं, नदी से लोगों को सुरक्षित पार कराने के लिए हमने नदी की दोनों तरफ लोहे का पोल लगा रखा है। उस पोल में हमने लोहे का तार बाँध दिया है, उसी तार में नाव को फंसाकर हम नाव को दूसरी तरफ ले जाते है। तार में नाव बंधना ज़रूरी इसलिए होता है क्यूंकि हम नदी के बहाव के विपरीत नाव ले जाते है, अगर ऐसा नहीं करेंगे तो नाव दूर बह जायेगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.