गाजर किसानों को घाटा, दिल्ली की बाजार में नहीं मिल रही अच्छी कीमत 

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गाजर किसानों को घाटा, दिल्ली की बाजार में नहीं मिल रही अच्छी कीमत गाजर उगाने में होता है अधिक खर्च पर मंडी में 300-400 रुपए प्रति कुंतल ही मिलते हैं दाम।

बसंत कुमार/ विकास कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ/मेरठ। गाजर की खेती करने वाले किसानों को मंडी में उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। जिसके कारण किसान सस्ते दर पर गाजर बेचने को मजबूर हैं। ‘’रोजाना आठ से नौ कुंतल गाजर लेकर मवाना सब्जी मंडी आते हैं, लेकिन हमको वहां खरीदार नहीं मिल रहा है, जिसके कारण हम सस्ते दामों में बेच रहे हैं।’’ मेरठ से 15 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर ब्लॉक के सटला गाँव के राकेश (56 वर्ष) बताते हैं।

पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का गढ़ कहे जाने वाले मेरठ समेत पश्चिमी यूपी के कई जिलों में किसान अब बड़े पैमाने पर गाजर बोने लगे हैं। गन्ने की खेती में बढ़ते घाटे और गाजर से नकद पैसे मिलने से किसानों का रुझान इस तरफ बढ़ गया है, लेकिन अब गाजर की दर में गिरावट और गाजर की खेती में हो रहे नुकसान के चलते किसान गाजर की खेती छोड़ रहे हैं।

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गाजर कम दाम में बिकने का मुख्य कारण ज्यादा पैदवार और कम खर्च होना है। गाजर ऐसी फसल है, जिसको किसान ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रख सकता है। उसको एक से दूसरे दिन में बेचना मजबूरी है।
जयकरण सिंह, जिला उद्यान उपनिर्देशक, बाराबंकी

‘‘मैं पांच बीघे गाजर की खेती करता हूं। मुझे हर साल इसकी खेती में नुकसान हो रहा है। एक बीघा गाजर बोने के लिए हम 1500 से 2000 रुपए का बीज खरीद कर लाते हैं। खेत में बोने से पहले से लेकर बोने के बाद भी खेत में पानी और खाद देने में भी पैसे खर्च होते हैं।’’ लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलो मीटर दूर के भगौतापुर गाँव के रहने वाले किसान भगवती वर्मा बताते हैं।

तीन महीने तक गाजर की फसल को हम खेत में रखते हैं। एक बीघे की खेती में 5 से 6 हज़ार रुपए हमारे खर्च हो जाते हैं। अगर हम अपनी मजदूरी रोजाना के 200 रुपए भी जोड़ें तो लगभग 6,000 हज़ार रुपए हमारा मेहनताना हुआ। एक बीघा में 30 कुंतल गाजर पैदा होती है। अगर 300-400 रुपए कुंतल गाजर बिकी तो आप ही बताइए क्या बचेगा।”

बारबंकी के जिला उद्यान उपनिर्देशक जयकरण सिंह बताते हैं, ‘’गाजर कम दाम में बिकने का मुख्य कारण ज्यादा पैदवार और कम खर्च होना है। गाजर ऐसी फसल है, जिसको किसान ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रख सकता है। उसको एक से दूसरे दिन में बेचना मज़बूरी है।’’ जय करण सिंह आगे बताते हैं, ‘‘किसानों को राहत देने और उनको मुनाफा हो इसके लिए तीन काम करना ज़रूरी हैं पहला कि किसान बाजार के हिसाब से खेती करें।

गाजर के साथ-साथ शलजम या चुकंदर भी उगायें। दूसरा गाजर का और इस्तेमाल जैसे आचार बनाने या जूस बनाने में किया जाए और तीसरा जो सबसे ज़रूरी है, उद्यान बाजार को और आसान बनाया जाए। अगर मेरठ में या लखनऊ में गाजर की अच्छी खेती हो रही है तो उसे बुंदेलखंड या झांसी भेजा जाए तो किसान को ज्यादा फायदा होगा।”

     

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