बुंदेलखंड के किसानों को भाजपा की पहली कैबिनेट बैठक का इन्तजार, जल्दी हो कर्जा माफ !

Arvind Singh ParmarArvind Singh Parmar   16 March 2017 3:35 PM GMT

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बुंदेलखंड के किसानों को भाजपा की पहली कैबिनेट बैठक का इन्तजार, जल्दी हो कर्जा माफ !किसानों को विश्वास है कि जल्द ही भाजपा सरकार उनका कर्ज माफ कराएगी

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

ललितपुर। विधानसभा चुनावों के दौरान बुंदेलखंड में भाजपा नेताओं ने किसानों से वादा किया था कि सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में प्रस्ताव पास कराकर किसानों का कर्जा माफ किया जाएगा।’ इस विश्वास पर भाजपा को बुंदेलखंड के किसानों ने मोदी को वोट भी दिए, अब यहां के किसानों को आशा है कि भाजपा किसानों का कर्जा माफ कराएगी। हालांकि वहीं किसानों में सरकार द्वारा घोषित नियम कि केवल लघु व सीमांत किसानों का ही कर्ज माफ होगा से चिंता भी है।

ऐसे में वे कई किसान परेशान है जिन्होंने अपनी जमीन का बंटवारा तो कर दिया है लेकिन लिखित रूप से वे वृहद किसान की श्रेणी में आते हैं। इसी तरह बुंदेलखंड के किसान केहर सिंह (70 वर्ष) जिन्होंने अपने लड़कों की शादी के बाद ज़मीन का बंटवारा तो कर दिया है लेकिन कानूनी रूप से वृहद किसान होने की वजह से उन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिलता।

बुंदेलखंड में वृहद किसान हजारों की संख्या में हैं। उनके दो या दो से अधिक लड़के हैं, और पिता के नाम की भूमि कई हिस्सों में बंट गई। हिस्से के बाद ऐसे वृहद किसान लघु व सीमान्त की श्रेणी में आ गए लेकिन मालिकान में वृहद किसान की श्रेणी में ही दर्ज रह जाते हैं। इस परिस्थिति में सरकारें इन पर ध्यान नहीं देती, जिस वजह से लाभ नहीं मिल पाता।
ताहर सिंह, किसान

ललितपुर जनपद से पूर्व दिशा मे 48 किमी महरौनी तहसील जखौरा गाँव के किसान केहर सिंह बताते हैं, ‘मेरे पास छह एकड़ जमीन है। अतिवृष्टी, सूखा, ओलावृष्टी की सहायता राशि का लाभ नहीं मिला क्योंकि मैं वृहद किसान की श्रेणी में आता हूं। अपने जमीन अपने तीनों लड़कों में बराबर बांट दी हैं जिसमें एक हिस्सा डेढ़ एकड़ मेरे पास है। वे आगे बताते हैं कि भाजपा के नेताओं ने कहा था कर्जा माफ करेंगे, हमारा सवा दो लाख का केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) है लेकिन कानून वृहद किसान होने की वजह से इसके माफ होने की उम्मीद कम है।

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सात जनपदों बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी व ललितपुर में 2011 की जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 96,59,718 है, इसमें महिलाओं की संख्या-45,63,831 है। बुंदेलखंड में स्थाई रोजगार ना होने के कारण अधिकतर आबादी कृषि आधारित है। लगातार प्राकृतिक आपदा के कारण किसान कर्ज के दल-दल में फंस गया। कर्ज के बोझ के कारण हजारों किसानों ने आत्महत्या कर ली।

वृहद किसान को परिभाषित करते हुए जखौरा गाँव के किसान ताहर सिंह (48 वर्ष) बताते है, ‘बुंदेलखंड में वृहद किसान हजारों की संख्या में हैं। उनके दो या दो से अधिक लड़के हैं, और पिता के नाम की भूमि कई हिस्सों में बंट गई। हिस्से के बाद ऐसे वृहद किसान लघु व सीमान्त की श्रेणी में आ गए लेकिन मालिकान में वृहद किसान की श्रेणी में ही दर्ज रह जाते हैं। इस परिस्थिति में सरकारें इन पर ध्यान नहीं देती, जिस वजह से लाभ नहीं मिल पाता।’

जिले के किसानों ने सूखे का दंश झेला है, और बैंकों के कर्ज में फंसा है। मोदी ने कर्ज माफ करने की बात की थी, वादे को याद करते हुए राम प्रसाद (48 वर्ष) बताते हैं, ‘तीन साल पहले साढ़े चार एकड़ भूमि पर दो लाख का केसीसी बैंक से बनवाया था, सूखे के कारण फसल नहीं हुई। जो आज तक नहीं भर गया और तीन वर्षों में ब्याज में भी वृद्धि हो गई, अब मोदी से आशा है क्योंकि उन्होंने कहा था, सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में कर्ज माफ होगा। भाजपा को सभी लोगों ने वोट दिया, अब उनको कहे अनुसार कर्ज माफ करना चाहिए, यही मोदी से आशा है।’

रबी की अच्छी फसल होने के कारण बैंकों को केसीसी का रुपया वापस होने की उम्मीद है, जिसको लेकर बैंक हजारों की संख्या में किसानों को अदायगी करने के लिए नोटिस जारी कर रहे हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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