अब घड़ियाल भी करेंगे गंगा को साफ, नदी में छोड़े गए जीपीएस लगे घड़ियाल

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अब घड़ियाल भी करेंगे गंगा को साफ, नदी में छोड़े गए जीपीएस लगे घड़ियालगंगा में कम हो रहे घड़ियालों की समस्या से निपटने के लिए बाहर से लाकर घड़ियाल नदी में छोड़े जा रहे हैं।

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। गंगा में कम हो रहे घड़ियालों की समस्या से निपटने के लिए बाहर से लाकर घड़ियाल नदी में छोड़े जा रहे हैं। इन घड़ियालों पर ऐसी चिप भी लगाई जा रही है, जिससे इन घड़ियालों का नदी में पता लगाया जा सकेगा।

वर्ल्ड वाइल्ड फंड (डब्लूडब्लूएफ) और वन विभाग ने गांगेय घड़ियाल परियोजना के तहत जीपीएस ट्रैकर लगे घड़ियाल नदी में छोड़े गए हैं। परियोजना के तहत मेरठ में गंगा नदी में अब तक 600 से ज्यादा समान्य घड़ियाल और नौ जीपीएस ट्रैकर लगे घड़ियाल गंगा नदी में छोड़े गए हैं।” चूंकि घड़ियाल नदी में पड़ने वाली गंदगी को खा जाते हैं, जिससे नदी में प्रदूषण कम हो जाता है। पहले भारत में इनकी काफी संख्या थी, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गई। 1970 में भारत में इनकी संख्या मात्र 200 तक रह गई थी। डब्लूडब्लूएफ के समन्वयक संजीव कुमार यादव बताते हैं, “गंगा नदी में खत्म हो रहे घड़ियालों को लेकर 2009 में काम करना शुरू किया। 2009 से अब तक नदी में हम 600 से ज्यादा घड़ियाल छोड़ चुके हैं।

हम घड़ियाल का अंडा कुकरैल, लखनऊ से लाते हैं। संजीव आगे कहते हैं, “जीपीएस ट्रैकर के जरिए हम जानवरों के सम्बन्ध में जानकरी हासिल कर रहे हैं। उनकी प्रजनन प्रक्रिया और नदी में कम होते के कारणों की जानकरी एकत्रित कर रहे हैं।” वहीं, नीर फाउंडेशन के प्रमुख और मेरठ में जल संरक्षण पर काम करने वाले रमन त्यागी बताते हैं, “गंगा हस्तिनापुर का यह भाग घड़ियालों के लिए बेहद अनुकूल है। यहाँ गंगा इंसानी आबादी से दूर है, जिसके कारण घड़ियाल सुकून से नदी किनारे आकर आराम भी कर सकते हैं। गंगा के इस भाग में पानी का बहाव भी ठीक है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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