गाँव में स्कूल नहीं, कैसे हो आगे पढ़ाई?

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गाँव में स्कूल नहीं, कैसे हो आगे पढ़ाई?साधन नहीं होने से बच्चों को पढ़ने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लड़के तो चले भी जाते हैं, लेकिन लड़कियां आगे नहीं पढ़ पा रही हैं।

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। “आठवीं के बाद आगे पढ़ने का मन था। घर वाले भी पढ़ाना चाहते थे, लेकिन आसपास स्कूल नहीं होने के कारण नहीं पढ़ पाई। हमारे यहां ज्यादातर लड़के-लड़कियां आठवीं के बाद मुश्किल से ही पढ़ पाते हैं।” यह कहना है, मखदुमपुर गाँव की रागिनी मौर्या (21 वर्ष) का।

मेरठ के हस्तिनापुर ब्लॉक में गंगा किनारे स्थित गाँवों में स्कूल की कमी की वजह से लड़के-लड़कियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। गंगा किनारे स्थित मखदूमपुर पंचायत में सड़क किनारे घूम रहे लड़कों से गाँव कनेक्शन संवाददाता ने पूछा कि ‘आपके यहां कितने लोग ग्रेजुएट हैं?’ तो उन्होंने उंगली पर गिनकर बता दिया।

मखदुमपुर के साथ-साथ जलालपुर, जडाका, दूधली, खेड़ीकला गाँव में भी स्थिति एक जैसी ही है।

हमारे यहां के ज्यादातर बच्चे आठवीं के आगे नहीं पढ़ पा रहे हैं। आठवीं तक के लिए तो पास में स्कूल है, लेकिन दसवीं के लिए हस्तिनापुर जाना पड़ता है। हस्तिनापुर से हमारे यहां की दूरी दस किलोमीटर है। पहले तो हस्तिनापुर से रामराज्य के लिए बसें चलती थीं तो हमारे यहां के बच्चे उसी से पढ़ने चले जाते थे, लेकिन अब वो भी चलना बंद हो गयी है।
कृष्णपाल, प्रधानपति, जडाका पंचायत

कृष्णपाल आगे बताते हैं, “साधन नहीं होने से बच्चों को पढ़ने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कुछ लड़के तो चले भी जाते हैं, लेकिन लड़कियां आगे नहीं पढ़ पा रही हैं।” जलालपुर पंचायत के रहने वाले जगवीर सिंह कहते हैं, “सरकार चाहती ही नहीं की युवा पढ़ें और आगे बढ़ें। हमारे यहां पढ़े-लिखे न होने के कारण ज्यादातर लड़के बेरोजगार हैं और नौकरी के लिए मारे-मारे फिरते हैं।”

नदी किनारे के गाँवों के छात्र मवाना और हस्तिनापुर पढ़ने जाते हैं। दोनों की गाँवों से दूरी दस-बारह किलोमीटर है। छात्र स्कूल ऑटो या साइकिल से जाते हैं। ऑटो से आने-जाने का किराया बीस रुपया लगता है। जो गरीब है वो रोजाना इतने पैसे कैसे खर्च कर सकते हैं। मेरठ एजुकेशनल सोसाइटी की प्रमुख प्रीति बताती हैं, “स्कूल दूर होने का सबसे ज्यादा असर लड़कियों पर होता है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.