शक्तियां मिलीं पर दुरुपयोग बढ़े

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शक्तियां मिलीं पर दुरुपयोग बढ़ेमहिला और पुरुष दोनों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है क्योंकि महिला ,पुरुष दोनों के सहयोग से ही परिवार, सृष्टि, समाज और देश चलता है।

अश्विनी दिवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। महिला सशक्तिकरण के चलते संविधान ने महिलाओं को अधिकार और कानूनी शक्तियां दी हैं जिससे महिला हित सुरक्षित रह सके लेकिन कई बार महिलाएं इन कानूनों का दुरुपयोग भी करती हैं जो कि गलत है।

महिला और पुरुष दोनों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है क्योंकि महिला ,पुरुष दोनों के सहयोग से ही परिवार, सृष्टि, समाज और देश चलता है। इसके लिए दोनों की शक्तिओं में संतुलन जरूरी है ताकि परिवार व्यवस्था बनी रहे।
डॉ इंदु सुभाष

पारिवारिक मामलों में पुलिस और कोर्ट कचहरी का हस्तक्षेप होने के बाद संबंधों के सामान्य होने के अवसर काफी कम हो जाते हैं। ऑफ द कोर्ट में हम दोनों पक्षों, उनके बड़े बुजुर्गों से बात करते हैं। इसमें दो जज हमारा सहयोग करते हैं। इंदु अब तक लगभग 10 हजार मामलों की काउंसलिंग कर चुकी हैं, जो बेहद पेचीदे थे और उनमें से अधिकांश में कोर्ट ट्रायल चल रहा है। लेकिन साठ ऐसे मामले हैं, जिन्हें काउंसलिंग के जरिए निपटाया गया है।
डॉ इंदु सुभाष

ऐसे मामलों के काउंसलिंग के साथ पीड़ित को विधिक सहायता भी उपलब्ध कराती है और इसके लिए वह कोई फीस नहीं लेतीं। इंदु का कहना है कि महिला हितों की रक्षा के लिए तो बहुत से कानून हैं, पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए भी कानून होने चाहिए।
डॉ इंदु सुभाष

महिला हितों की लड़ाई लड़ने के लिए देश भर में तमाम छोटे बड़े संगठन काम कर रहे हैं लेकिन पुरुषों के हित में खड़े होने वाले लोग कम ही हैं। ऐसे में पुरुषों की लड़ाई में साथ देने के लिए सामने आईं एक समाजसेविका डॉ इंदु सुभाष । मूलरूप से भारत के उत्तराखंड की निवासी डॉ इंदु के पिता सिंचाई विभाग में अधिशाषी अभियंता के पद पर कार्यरत है, सात भाई बहनों में इंदु पांचवे स्थान पर है।

मुझे कभी इस बात का एहसास ही नहीं था कि पुरुष समाज भी महिलाओं से प्रताड़ित हो सकता है या इतने व्यापक स्तर पर समाज में महिला संबंधी अधिकारो का दुरुपयोग भी हो सकता है।
डॉ इंदु सुभाष

डॉ इंदु सुभाष ने बताया कि मेरे पड़ोस में रहने वाले मेरे धर्म भाई जिनकी शादी मैंने ही 1994 में कराई थी।उनकी पत्नी दो बार गर्भवती हुई पर किसी शारीरिक परेशानी के चलते डिलीवरी नहीं हो सकी। 1996 में भाभी ने एक बेटी को जन्म दिया लेकिन वह बेटी बच ना सकी। मायके की तरफ से कुछ तनाव और अन्य कारणों के चलते भाभी ने आत्महत्या कर ली।

भाभी के परिवार वालों ने तुरंत दहेज़ हत्या का मुकदमा भाई साहब व उनकी 70 वर्षीय माँ, छोटे भाई और चचेरे भाई पर दर्ज करवा दिया। भाई साहब को पुलिस मौके से गिरफ्तार करके ले गयी। 10 महीने तक भाई साहब जेल में रहे और कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद भाई साहब को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया। इस घटना के बाद पति परिवार कल्याण समिति का गठन किया गया और मुहिम चलाकर उन लोगों की मदद की गई, जो झूठे मुकदमे का शिकार थे।

इंदु ने वर्ष 1998 में अपने ससुर के निर्देशन में गाइड समाज कल्याण संस्थान की स्थापना की और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई केंद्र, व्यवसायिक और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के तहत जनपद उन्नाव के आजाद नगर गाँव में 100 लोगों को साक्षर बनाया।

मुझे कभी इस बात का एहसास ही नहीं था कि पुरुष समाज भी महिलाओं से प्रताड़ित हो सकता है या इतने व्यापक स्तर पर समाज में महिला संबंधी अधिकारों का दुरुपयोग भी हो सकता है।
डॉ इंदु सुभाष

इस बीच इंदु की मुलाक़ात दिव्यांग बच्चों की संस्था चलाने वाले पन्त जी से हुई। पन्त जी ने बताया कि दिव्यांग बच्चों के हाथ से बने सामान के लिए बाजार नहीं है जिस पर इंदु ने दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए बड़े स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के हाथ से बने सामान की प्रदर्शनी लगानी शुरू की।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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