जापानी मेंथा: किसानों की नई नकदी फसल

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   23 March 2017 4:27 PM GMT

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जापानी मेंथा: किसानों की नई नकदी फसलजापानी मेंथा की खेती धीरे-धीरे लखनऊ मण्डल के जिलों में भी पसंदीदा खेती के रूप में ऊभर रही है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। पिछले बीस वर्षों में उतरांचल और दक्षिण उत्तर प्रदेश में होने वाली जापानी मेंथा की खेती धीरे-धीरे लखनऊ मण्डल के जिलों में भी पसंदीदा खेती के रूप में ऊभर रही है। जापानी मेंथा की फसल मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाती है, इसलिए किसानों के बीच जपानी मेंथा की लोकप्रियता बढ़ रही है।

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रायबरेली जिले के दरियापुर गाँव में जपानी मेंथा की खेती कर रहे राम विलास यादव (50 वर्ष) बताते हैं, ‘’हमने कृषि विज्ञान केंद्र, दरियापुर की मदद से जपानी मेंथा की खेती शुरू की है। इस मेंथा में अन्य किस्मों के मेंथा की अपेक्षा अधिक मात्रा में तेल मिलता है। हमने एक एकड़ में बोया मेंथा 90 हज़ार में बेचा है।’’ कृषि विभाग उत्तरप्रदेश से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में लगभग 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जपानी मेंथा की खेती हो रही है। जपानी मेंथा दो कटाई वाली फसल है। इससे 150-250 किग्रा प्रति हेक्टेयर क्षेत्र की दर से तेल प्राप्त होता है। तेल का रंग पीला और इसमें मेंथाल की मात्रा 70 से 80 फीसदी पाई जाती है।

जपानी मेंथा के खेती के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र रायबरेली के वरिष्ठ वैज्ञानिक शैलेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं, “जपानी मेंथा की सभी चार किस्मों (हिमालय, कोशी, कुशल, सिम क्रान्ती) की खेती मार्च में शुरू की जाती है।”

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