कन्नौज: एआरटीओ दफ्तर में कैशलेस सेवा धड़ाम, पंजीकरण के लिए नहीं कोई सुविधा

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कन्नौज: एआरटीओ दफ्तर में कैशलेस सेवा धड़ाम, पंजीकरण के लिए नहीं कोई सुविधासरकार डिजिटल इंडिया बनाने को लेकर प्रेरित करती है, पर कई विभाग ऐसे हैं जहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है।

अजय मिश्रा

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

तिर्वा/कन्नौज। ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारी विभागों और जनता को कैशलेस बनाने की बात करते हैं। डिजिटल इंडिया बनाने को लेकर प्रेरित करते हैं, पर कई विभाग ऐसे हैं जहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है। विधानसभा चुनाव के इस माहौल में लोग नगदी ले जाने से भी डर रहे हैं।” यह कहना है कन्नौज जनपद से 16 किमी दूर तिर्वा कस्बे के मोहल्ला दुर्गानगर निवासी राजू चौहान का।

राजू बताते हैं कि मेरे एक मित्र अनिरूद्ध ने स्कार्पियो गाड़ी खरीदी। उसका पंजीकरण कराने के लिए वह एआरटीओ विभाग पहुंचे। यहां पर भुगतान के लिए न तो आरटीजीएस की सुविधा थी और न ही डिमांड ड्राफ्ट लिया गया। चेक लेने से तो कर्मचारियों ने साफ मना कर दिया। राजू का दर्द यह है कि पहले तो बैंक से एकमुश्त पैसा नहीं मिलता है। दूसरा यह कि नई नगदी आने और इस समय विधानसभा चुनाव का माहौल होने की वजह से वाहनों और लोगों की तलाशी का काम गहनता से चल रहा है। ऐसे में नगदी पकड़ जाए तो परेशानी और बढ़ जाएगी।

यहां आरटीजीएस की सुविधा नहीं है। डीडी लेने का भी नियम नहीं है। अगर चुनाव की वजह से लोगों को नगदी लेकर आने और वाहनों का पंजीकरण कराने में दिक्कत हो रही है तो स्वामी जहां से वाहन खरीदें, वहीं पर धनराशि जमा कर दें। उनके खाते में आ जाएगी।
राहुल श्रीवास्तव, एआरटीओ, कन्नौज

वह आगे बताते हैं कि वाहन का पंजीकरण शुल्क 1,37,500 रूपये बताया गया था। अगर समय रहते यानि 30 दिन के भीतर पंजीकरण न हुआ तो पांच फीसदी अतिरिक्त ब्याज देना पडे़गा। उन्होंने बताया कि उनके जैसे तमाम वाहन स्वामी होंगे, जो इस समय परेशानी के दौर से गुजर रहे होंगे। सरकार अगर कैशलेस की बात करती है तो सरकारी विभागों में सुविधा भी शुरू करे।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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