नौनिहालों पर भारी मानकों की अनदेखी 

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नौनिहालों पर भारी मानकों की अनदेखी कन्नौज में टैम्पो में इस तरह स्कूल जाते हैं बच्चे।

अजय मिश्र/मोहित अस्थाना

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कन्नौज। प्रदेश के एटा जिले में स्कूली बस और ट्रक की भिड़ंत में हुई 12 बच्चों की मौत से ही अगर सबक ले लिया जाए तो अन्य हादसों में घायल और मरने वाले नौनिहालों की संख्या में कमी हो सकती है। पहली बार नहीं, बल्कि ऐसे हादसे कई बार हो चुके हैं, मगर प्रशासन की ओर से कभी कोई उचित कार्रवाई नहीं की जाती।

अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने वाले कॉन्वेट और निजी स्कूलों में बच्चों को स्कूल लाने और घर छोड़ने के लिए चलने वाले वाहन मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। यही कारण है कि यह हादसे लगातार होते हैं और नौनिहाल अपनी जान गंवाते आए हैं। स्कूल वाहनों की बात करें तो एक सीट पर दो के स्थान पर तीन और तीन वाली सीट पर चार से अधिक छात्र-छात्राएं बैठकर सफर करते हैं। इसके एवज में मोटी फीस वसूली जाती है। बच्चे कैसे स्कूल पहुंचते हैं या घर वापस जाते हैं, इससे कोई सरोकार नहीं होता।

वाहनों में अधिक बच्चे होने की वजह से एक ओर जहां मानकों की अनदेखी की जाती है तो दूसरी ओर अगर कोई अनहोनी होती है तो घायलों और मृतकों की संख्या भी बढ़ जाती है। तिर्वा के रहने वाले मोहम्मद जावेद बताते हैं कि समय-समय पर स्कूली वाहनों की चेकिंग होनी चाहिए। अभिभावक भी जागरूक हों कि जिस वाहन से वह अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, वह कैसा है और उसमें बच्चों के बैठने के लिए जगह है या नहीं। तिर्वा, कन्नौज, गुरसहायगंज, छिबरामऊ आदि क्षेत्रों में सबसे अधिक स्कूली वाहन चलते हैं। प्रतिदिन ही बच्चे भूसे की तरह बैठे देखे जा सकते हैं।

आज से 22 जनवरी तक स्कूल वाहनों के खिलाफ सघन अभियान चलाया जा रहा है। जो भी स्कूल वाहन मानक के विपरीत होगा या अधिक सवारियां लेकर निकलेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अभिभावक भी देखें कि स्कूली वाहनों की हालत कैसी है। तभी प्रयास सार्थक होंगे।
राहुल श्रीवास्तव, एआरटीओ, कन्नौज

कुछ दिन कड़ाई, फिर हालात सामान्य

उन्नाव। जिले में स्कूली वाहनों के कई हादसे हो भी चुके हैं, जिनके बाद हंगामा भी हुआ और नतीजे में नियमों की अनदेखी करने वाले वाहनों की जांच पड़ताल भी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ सब ठंडा पड़ गया। जिले के स्कूली वाहनों पर निगाह दौड़ाएं तो उनके भी हालात ठीक नहीं है। यही कारण है कि जिले में भी तमाम स्कूली वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। हादसे के बाद वाहनों पर कार्रवाई का कुछ दिनों तक डण्डा अवश्य चलता है, लेकिन कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाता है।

गाड़ी में बच्चों को बिठाने की संख्या से लेकर, उनके बैठने की व्यवस्था, सुरक्षा इंतजामों से लेकर परिवहन विभाग के सामान्य नियमों और मानकों की अनदेखी शामिल है। उन्नाव के विनय कुमार कहते हैं कि जरूरी है कि समय-समय पर स्कूली वाहनों के खिलाफ प्रशासन अभियान चलाए और मानकों को पूरा न करने वाले चालकों और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई हो।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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