धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए नजीर बने हसमत, सीता स्वयंवर वाले कैलेण्डर में छपवा अपने बेटों की शादी का निमंत्रण

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धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए नजीर बने हसमत, सीता स्वयंवर वाले कैलेण्डर में छपवा अपने बेटों की शादी का निमंत्रणहसमत अली ने सीता स्वयंवर के कैलेण्डर पर छपवाया बेटों के निकाह का कार्ड।

श्रीवत्स अवस्थी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

उन्नाव। एक ओर जहां चुनावी माहौल में वोट हथियाने के लिए राजनैतिक दलों के नेता अपने बयानों और कारगुजारियों से मजहब की दीवारों की ऊंचाई बढ़ाते नजर आ रहे हैं।

वहीं अकरमपुर के रहने वाले हसमत अली ने अपने बेटों की शादी का निमंत्रण सीता स्वयंवर वाले कैलेण्डर में छपवा कर हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की है। उनका कहना है कि अल्लाह और राम तो हमारे बनाए हैं। सबको अपने रहमत से नवाजने वाला तो एक ही है।

हसमत जैसे ही लोग इस दुनिया में सब हो जाए तो धर्म के नाम पर स्वार्थ की रोटियां सेकने वालों की दुकाने बंद होने में वक्त नहीं लगेगा।
डॉ. लल्लन, स्थानीय निवासी

चुनावी माहौल को गर्म करने और अपना वोट बैंक पक्का करने के लिए धार्मिक भावनाओं को उकसाने वाले बयानों का प्रयोग विधानसभा के चुनावी माहौल में खूब हो रहा है। हर कोई किसी तरह मजहब की दीवारें खड़ी कर अपनी जीत सुनिश्चित करने की जुगत भिड़ा रहा है। आगामी पांच मार्च को हसमत के दो बेटों चांद बाबू और परवेज का निकाह है, जिसके लिए उन्होंने दावत-ए-वलीमा का इंतजाम किया है। बेटे की शादी है तो नाते-रिश्तेदारों के साथ दोस्त यार और पड़ोसी न हो ऐसा कैसे हो सकता है। दोस्त यार में अन्य धर्म के लोग भी शामिल हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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