आलू का घाटा पूरा करेगी मक्के की खेती

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   1 March 2017 7:51 PM GMT

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आलू का घाटा पूरा करेगी मक्के की खेतीधान के बाद आलू किसानों को कीमतों ने झटका दिया है, इस घाटे से उबरने के लिए किसान बड़े पैमाने पर मक्का बो रहे हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ/हरदोई/ फरुर्खाबाद/कन्नौज/कानपुर। धान के बाद आलू किसानों को कीमतों ने झटका दिया है। थोक में 2-3 रुपए किलो में बिक रहे आलू से किसानों की लागत नहीं निकल पाई है। इस घाटे से उबरने के लिए किसान बड़े पैमाने पर मक्का बो रहे हैं। बाराबंकी से लेकर फरुर्खाबाद तक में मक्के का रकबा बढ़ा है।

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होली सिर पर है, मगर आलू की बिक्री नहीं हो पा रही है। लखनऊ से दिल्ली की आजादपुर मंडी तक आलू 200-500 रुपये कुंटल बिक रहा है। इतना ही नहीं, पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के किसान परेशान हैं। उत्तर प्रदेश में आलू के गढ़ फरुर्खाबाद, हाथरस, अलीगढ़, कन्नौज, एटा, कासगंज में किसान अब मक्का बो रहे हैं। फरुर्खाबाद जिला मुख्यालय से 18 किमी. दूर अहमदपुरवा में रहने वाले किसान विनोद कटियार को इस बार लाखों रुपये का घाटा हुआ है।विनोद कटियार बताते हैं, “आलू में लाखों रुपये डूब गए हैं। 2-3 एकड़ में मक्का बो रहा हूं ताकि कुछ घाटा पूरा हो सके।

हम लोग हमेशा यही करते हैं, मक्का हमेशा फायदे का सौदा रहा है हमारे लिए।” आलू के बाद दूसरी फसल किसानों के लिए हमेशा कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली रही है। आलू में डाली गई खादें, दूसरी फसलों में भी काम आती हैं। बाराबंकी-सीतापुर और गोंडा समेत कई जिलों में किसान आलू के बाद मेंथा लगाते रहे हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो यूपी में मक्के का रकबा तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2016-17 के अनुसार जायद की फसल में एक लाख 15 हजार हेक्टेयर, खरीफ की फसल में 7.38 लाख हेक्टेयर मक्के की बुवाई हुई थी। सुबह के नाश्ते में कॉनफ्लेक्स से लेकर फिल्म देखने के दौरान पॉपकार्न और सड़कों के किनारे बिकने वाली छल्ली तक मक्के का उपयोग बढ़ा है।

दिल्ली-नोएडा में उबला मक्का (छल्ली) बहुत चाव से खाया जा रहा है। जबकि भुट्टा पूरे देश में बिकने लगा है।

पिछले कई वर्षों से मक्का की खेती करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसान एक बीघे में 15-20 कुंतल मक्का का उत्पादन ले रहे हैं। मक्का की खेती पर किसानों को बीज में 100 रुपए सब्सिडी मिलती है और साल में तीन बार मक्का की खेती होती है। किसान सीजन के हिसाब से मक्का के बीज का चयन करें। गुणवत्ता वाला बीज हो, मक्का की खेती पंक्ति में करें, इससे उत्पादन बेहतर होगा।”
डॉ. डीपी सिंह , उपकृषि निदेशक

मक्के की ज्यादा पैदावार

फरुर्खाबाद किसान आशुतोष कटियार (38 वर्ष) ने बताया, “सूरजमुखी की पैदावार कम होती थी। कई बार लागत नहीं निकल पाती थी, जिससे काफी घाटा होता था। लेकिन मक्के की खेती में हमें काफी फायदा मिला। कुछ लोग जनवरी में ही इसकी बुवाई कर देते हैं।”

मक्के की खेती की खासियत

  • 01 एकड़ में 25 से 30 कुंतल होता है मक्के का उत्पादन
  • करीब 1400 रुपए प्रति कुंतल भाव मिलता है मार्च और अप्रैल माह में
  • करीब 1200 रुपए के प्रति कुंतल मिलते हैं जून और जुलाई माह में

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

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