दुकानदार बिना रसीद बेच रहे बीज, कीटनाशी जैसे उत्पाद

Divendra SinghDivendra Singh   6 Jan 2017 8:31 PM GMT

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दुकानदार बिना रसीद बेच रहे बीज, कीटनाशी जैसे उत्पादमोहम्मद शौकत अली, किसान।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लहरपुर(सीतापुर)। किसान दुकानदारों के भरोसे कीटनाशक, खरपतवारनाशी, बीज खरीदता है। उन्हें पता ही नहीं होता कि उन्होंने जो दुकान से खरीदा है वो काम भी करेगा कि नहीं।

सीतापुर जिले के लहरपुर ब्लॉक के तारनपुर गाँव के किसान मोहम्मद शौकत अली (45 वर्ष) ने एक बीघा में सरसों की फसल बोई थी। उनके खेत में सरसो के पौधों के साथ ही खरपतवार भी उग आयी थी। मोहम्म्द शौकत ने पास की दुकान से इमेजेथायपर खरपतवारनाशी खरीदकर फसल पर छिड़क दी। उन्हें नहीं पता था कि खरपतवार के साथ ही उनकी फसल भी झुलस जाएगी।

इमेजेथायपर खरपतवारनाशी के प्रयोग से झुलसी सरसों की फसल।

किसान मोहम्मद शौकत अली इतना महंगा बीज, खाद डालकर सरसों बोई थी, घास बहुत ज्यादा हो गयी थी, उसे हटाने के दुकान से दवा लेकर छिड़क दी, घास तो नहीं हटी लेकिन सरसों की फसल पूरी तरह झुलस गयी।
मोहम्मद शौकत अली, किसान

शौकत अली की तरह किसानों को पता ही नहीं होता है कि कौन से खरपतवार या फिर कीटनाशक का छिड़काव करें। ऐसे दुकानदार किसानों को रसीद भी नहीं देते हैं, जिससे किसानों को मुआवजा भी नहीं मिल पाता है।

इमेजेथायपर खरपतवारनाशी सरसो की फसल के लिए होती ही नहीं हैं, ये मूंगफली और सोयाबीन की फसलों में खरपतवार हटाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसके प्रयोग से सरसों जैसी की फसलें झुलस ही जाती हैं।
डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया (सीतापुर)

केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड एवं रजिट्रेशन कमिटी के अनुसार देश में कुल 970 कीटनाशक पंजीकृत हैं। सीतापुर के जिला फसल सुरक्षा अधिकारी सत्येन्द्र सिंह कहते हैं, "जिले में जो बिना लाइसेंस की दुकान चलाते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाई भी की जाती है। जिले में अभी 456 पंजीकृत दुकाने हैं इसके अलावा अगर कोई दुकाने चलती हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।"

सिद्धार्थनगर जिले के उसका ब्लॉक के बसावनपुर गाँव के अरविंद सिंह बताते हैं, "हम लोग तो दुकानदारों के भरोसे ही पूरी खेती करते हैं, बीज, कीटनाशी सब उन्हीं के कहने पर लेते हैं। कीटनाशक के नाम पर हम लोगों को ठगा जाता है जबकि दुकानदार कम गुणवत्ता वाली दवा देकर अधिक दाम वसूलते हैं।"

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अपर कृषि निदेशक (कृषि एवं प्रक्षेत्र) संतोष कुमार अग्निहोत्री बताते हैं, "प्रदेश में 25 मिट्रिक टन से कम उर्वरक बेचने वाले को लाइसेंस नहीं लेना होता है, अगर इससे अधिक उर्वरक बेंचने के लिए पंजीकरण कराना होता है। इसके अलावा बीज, पेस्टीसाइट और हर्बीसाइट बेचने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी होता है, लाइसेंस बगैर कोई नहीं बेच सकता है।"

वो आगे कहते हैं, "जिले में अधिकारी समय-समय पर जांच भी करते हैं, अगर कोई बिना लाइसेंस के खाद, बीज विक्रेता मिलता है तो धारा 3/7 के तहत उनपर कड़ी कार्यवाई की जाती है।"

उत्पाद लेने के साथ ही जरूर लें रसीद

कृषि विभाग के अपर कृषि निदेशक (कृषि एवं प्रक्षेत्र) संतोष कुमार अग्निहोत्री कहते हैं, "किसानों को चाहिए कि जो भी उत्पाद वो खरीदते हैं, उसकी रसीद जरूर लें। अगर दुकान से खरीदा बीज नहीं उगता है, तो मुआवजा मिल सकता है।"

बिना लाइसेंस के चल रही हैं दुकानें

कृषि विभाग से पंजीकृत दुकानों से ज्यादा खाद, बीज, दवा की दुकानें से चल रही हैं। किसान को दुकानदार खरीद के बाद रसीद नहीं दे रहे हैं। गुणवत्ता की शिकायत किसान दुकानदार से करता है तो उस पर बताई गई विधि न अपनाने का आरोप लगाकर दुकानदार किसान को मना देते हैं।

प्रदेश सरकार ने शुरु की है एग्री जंक्शन योजना

अब कृषि स्नातक या रसायन विज्ञान स्नातक डिग्री धारक ही दुकान खोल सकता है। अब जितने भी नए लोगों को लाइसेंस दिया जा रहा है, उनके पास ये डिग्री होना जरूरी होता है। वर्ष 2015-16 में एग्री जंक्शन की शुरुआत की है। इस अनूठे प्रयोग के जरिए किसानों को एक ही जगह पर खेती में उपयोगी विभिन्न सुविधायें मिल रही है और प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार भी मिलता। इस योजना के तहत कृषि स्नातकों को एग्री जंक्शन शुरु करने के लिए ऋण भी दिया जाता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

        

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