मिट्टी जांच में यूपी फिसड्डी

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मिट्टी जांच में यूपी फिसड्डीकृषि विभागों में सुविधाओं की कमी के चलते मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना हो रही असफल।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

सुल्तानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पहले अपनी महत्वाकांक्षी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य था कि देश के हर किसान के पास उसकी मिट्टी का एक कार्ड रहे। मगर इस योजना में उत्तर प्रदेश काफी पीछे रह गया है। आलम यह है कि इस योजना में यूपी मात्र 15 फीसदी लक्ष्य ही हासिल कर सका है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की दिसंबर 2016 में जारी की गई सूची के मुताबिक इस योजना के तहत यूपी में कुल 2.6 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बांटे जाने थे, लेकिन अब तक यह लक्ष्य सिर्फ 54 लाख कार्ड का ही आंकड़ा छू सका है। वहीं, भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय ने पूरे देश में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अलग से 568 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया है। बता दें कि यूपी में वर्ष 2016-17 में 15 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लक्ष्य को बढ़ाकर 29 लाख कार्ड कर दिया है। इससे पहले वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने इस योजना में उत्तर प्रदेश के खराब प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भी भेजा था।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए राज्यों को अपनी ज़िम्मेदारी खुद समझनी होगी तभी कुछ संभव है।
डीके ठाकुर, पूर्व संयुक्त निदेशक मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम (दिल्ली), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

सात राज्यों में सुस्त है रफ्तार

भारत सरकार की वार्षिक रिपोर्ट 2016 के मुताबिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना में यूपी में जमा किए गए कुल 44 लाख मृदा नमूनों में से केवल 18 लाख नमूनों की ही जांच हो पाई है। इस योजना के अंतर्गत अभी भी यूपी, असम, बिहार, पश्चिम, बंगाल, पंजाब, कर्नाटक और केरल जैसे राज्य मिट्टी के नमूने जांचने में धीमी गति से काम रहे हैं। इन सभी राज्यों में सिर्फ 15 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल हो सका है।

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह व्दारा लिखे गए पत्र में बताया गया था, ‘’हमारा वर्ष 2015 में कुल 18 लाख मृदा स्वास्थ्य नमूनों को पूर्णतः जांचने का लक्ष्य था। इसमें यूपी में सिर्फ चार लाख नमूने ही एकत्र किए जा सके हैं। साथ ही, उनमें से केवल 22 हजार 894 नमूनों की ही जांच हो सकी है। यह बहुत कम है और इसे जल्द से जल्द सुधारा जाए।’’

जर्जर हुआ वाहन, कैसे लें नमूने

सुल्तानपुर जिले के कृषि विभाग में बीते पंद्रह साल से वाहन की दरकार है। दरअसल, करीब 15 साल पहले सचल भूमि परीक्षण प्रयोगशाला की वह गाड़ी जिस पर सवार होकर मृदाओं के नमूने लिए जाते थे, वह खराब पड़ी है। मगर विभाग को दूसरी कोई गाड़ी नहीं सौंपी गई। ऐसे में जब विभाग को जमीनी स्तर पर इतना अभाव झेलना होगा तो वह किसी भी लक्ष्य को कैसे हासिल कर सकेगा। इस बारे में जिला कृषि निदेशक यश साही कहते हैं, “यह वाहन पिछले 15 वर्षों से खराब पड़ा है। हम जल्द ही इसे नीलाम करवाकर अगले महीने सरकार से नए सचल वाहन मंगवाने की तैयारी कर रहे हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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