ग्रामीण कर रहे सारस के संरक्षण का काम

Divendra SinghDivendra Singh   9 Feb 2017 1:29 PM GMT

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ग्रामीण कर रहे सारस के संरक्षण का  कामप्रदेश में राजकीय पक्षी सारस के संरक्षण का प्रयास पूर्वांचल में रंग ला रहा है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

पट्टी (प्रतापगढ़)। प्रदेश में राजकीय पक्षी सारस के संरक्षण का प्रयास पूर्वांचल में रंग ला रहा है। ग्रामीणों में जागरुकता आने से जिले के कई तालाबों में सारसों की संख्या बढ़ी है।

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी. दूर पट्टी तहसील स्थित बहुता ताल में पहले जहां दो-चार सारस दिखायी देते थे, अब दो दर्जन से अधिक सारस हैं। जिले के ज्यादातर झीलों में सारसों की संख्या बढ़ी है। सारस पर मंडराते खतरे को देखते हुए सरकार के साथ-साथ गैर सरकारी संस्थाओं ने भी जमीनी स्तर पर कार्य शुरू किया। ऐसे ही प्रयासों के अन्तर्गत वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्लूटीआई) ने टाटा ट्रस्ट के सहयोग से क्षेत्रों में सारस संरक्षण पर काम शुरू किया है। इसी के तहत जनपद के पट्टी ब्लॉक में गैर सरकारी संस्था तरुण चेतना सारस संरक्षण का काम कर रही है। डब्लूटीआई के पूर्वी उत्तर प्रदेश के सहायक निदेशक अरशद हुसैन पूर्वांचल के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, फैजाबाद, बाराबंकी, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, प्रतापगढ़ जैसे दस जिलों में सारस संरक्षण के लिए काम करते हैं।

अरशद हुसैन बताते हैं, “हमने फरवरी 2013 में सारस सरंक्षण का काम शुरू किया था। तब पूर्वांचल के इस दस जिलों में पांच सौ से भी कम सारस थे। अब इन दस जिलों में एक हजार से भी अधिक सारस हो गए हैं। हमने हर जिले में सारस मित्र भी बनाए हैं जो सारस संरक्षण का काम कर रहे हैं।”

वह आगे बताते हैं, ‘’लोगों का समूह बनाकर उनके बीच जागरूकता बैठक की जाती है और सारस संरक्षण का महत्व बताया जाता है। इसका परिणाम यह हुआ कि लोग सारस के अंडे को बचाने लगे हैं। इतना ही नहीं, सारस का शिकार भी रुका है। लोग अब सारस के साथ घुलमिल कर रह रहे हैं।’’

इस तरह करते हैं जागरूक

उत्तर प्रदेश वन विभाग में सारस पक्षी के संरक्षण के लिए वर्ष 2006 में सारस संरक्षण समिति का गठन किया गया था। प्रतापगढ़ के अरुण कुमार मौर्या सारस मित्र का काम करते हैं। वो बताते हैं, “हम लोग गाँव-गाँव जाकर लोगों को सारस सरंक्षण के लिए जागरुक करते हैं कि अगर उनके खेत में सारस दिखे और अंडे दे तो कैसे उनकी सुरक्षा कर सकते हैं। ग्रामीण अंडों को कुत्तों से बचाते हैं।

किसानों को मिला सम्मान

सारस के संरक्षण के लिए किसानों को भी सम्मानित किया जाता है। महराजगंज में तीस किसानों को वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन विभाग ने सम्मानित भी किया गया। क्षेत्रीय किसानों के प्रयास से पिछले तीन वर्षों में सारसों की संख्या बढ़ी है। तालाबों व सारस पक्षी के निकट खेती कर रहे किसानों ने प्रयास कर सारस के घोंसलों को कुत्तों से बचाया है। साथ ही अंडों से बच्चे निकलने पर उन्हें वयस्क होने तक सुरक्षित रखने में महत्चपूर्ण सहयोग किया है। इस सहयोग के फलस्वरूप राजकीय पक्षी सारस की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है।

सबसे अधिक सारस पक्षी उत्तर प्रदेश में

दुनिया में सबसे अधिक सारस भारत में पाए जाते हैं और देश में पाए जाने वाले सारस पक्षी की कुल संख्या का 60 प्रतिशत क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है और उत्तर प्रदेश में भी इटावा का इलाका इनका प्रमुख परिवास है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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