किसान शुरू कर सकते हैं प्याज की बुवाई

Divendra SinghDivendra Singh   18 Feb 2017 3:42 PM GMT

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किसान शुरू कर सकते हैं प्याज की बुवाईजिन किसानों की आलू की फसल तैयार होकर खोदी जा चुकी है वो इस समय खाली खेत में प्याज लगा सकते हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

प्रतापगढ़। जिन किसानों की आलू की फसल तैयार होकर खोदी जा चुकी है वो इस समय खाली खेत में प्याज लगा सकते हैं। यह प्याज अधिकतर गर्मी में आने के कारण इसे ग्रीष्मकालीन प्याज भी कहते हैं।

कम लागत और कम समय में तैयार होने वाली प्याज किसानों के लिए बेहतर नकदी फसल है। सबसे बड़ा फायदा ये होता है इसे जंगली जानवर भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। पूर्वांचल की जलवायु रबी और खरीफ दोनों फसलों के लिए सही है।
रणविजय सिंह, जिला उद्यान अधिकारी

अक्टूबर-नवंबर में लगाई गई प्याज की नर्सरी को जनवरी से फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जरूर लगा दें। ये फसल अप्रैल तक तैयार हो जाएगी, इस समय पत्तियां अच्छी तरह सूख जाती हैं और अच्छी तरह सूखा हुआ प्याज अधिक समय भंडारित होता है।

खेत की तैयारी

खेत में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने बाद दो-तीन दिन जुताई देशी हल या फिर हैरो से करें जिससे की मिट्टी के नीचे कठोर परत टूट जाए और मिट्टी भुरभुरी बन जाए। हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं।

पौधरोपण

खेत में पौध रोपाई से पूर्व पौध की जड़ों को बाविस्टीन दवा की दो ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी के घोल में 15-20 मिनट डुबोकर रोपाई करें ताकि फसल को बैगनी धब्बा रोग से बचाया जा सके। रोपाई करते समय कतारों से कतारों के बीच की दूरी 20 सेमी. तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी. रखें।

सिंचाई

प्याज की फसल में सिंचाई की आवश्यकता मृदा की किस्म, फसल की अवस्था व ऋतु पर निर्भर करती है। पौध रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें तथा उसके दो-तीन दिन बाद फिर हल्की सिंचाई करें जिससे की मिट्टी में नम बनी रहे व पौध अच्छी तरह से जम जाए। प्याज की फसल में 10-12 सिंचाई पर्याप्त होती है। कन्द बनते समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। बहुत अधिक सिंचाई करने से बैंगनी धब्बा रोग लगने की सम्भावना हेाती है जबकि अधिक समय तक खेत में सूखा रहने की स्थिति में कन्द फटने की समस्या आ सकती है। खुदाई से 15 दिन पहले सिंचाई बन्द कर देना चाहिए।

निराई-गुड़ाई

फसल को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त खरपतवारनाशी जैसे स्टाम्प 30 ईसी का तीन लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के दो-तीन दिन बाद छिड़काव करें। खड़ी फसल में यदि सकरी पत्ती वाले नींदा अधिक हो तो क्वीजालोफॉप ईथाइल 5 ईसी के 400 मि.ली/हेक्टर के मान से करें।

खुदाई

जब 50 प्रतिशत पौधों की पत्तियां पीली पड़कर मुरझाने लगे तब कंदों की खुदाई शुरू कर देना चाहिए। इसके पहले या बाद में कंदों की खुदाई करने से कंदों की भण्डारण क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उपज

रबी फसलों से औसतन 250-300 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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