महिला सशक्तिकरण: टेंट के कारोबार ने महिलाओं को बनाया सशक्त

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महिला सशक्तिकरण: टेंट के कारोबार ने महिलाओं को बनाया सशक्तहाईवे के दक्षिण दिशा में बसे गाँव गोहना की महिलाओं के घर से निकलने पर पाबंदी थी।

औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूरी पर हाईवे के दक्षिण दिशा में बसे गाँव गोहना की महिलाओं के घर से निकलने पर पाबंदी थी। बुजुर्गों के दिशा-निर्देश थे कि गाँव की कोई भी महिला बाजार करने पति के साथ नहीं जा सकती, लेकिन अब यहां के हालात बदल रहे हैं। महिलाएं टेंट हाउस चला रही हैं। इससे वह अपने परिवार के आर्थिक सहयोग में मददगार साबित हो रही है। वहीं समाज में उन्हें इज्जत और सम्मान भी मिल रहा है।

गोहना गाँव के भूतपूर्व प्रधान गिरजा शंकर (60 वर्ष) की पत्नी राजेश्वरी देवी (55 वर्ष) उजाला महासंघ की अध्यक्ष हैं और आठवीं पास हैं। महिलाओं के हित में आवाज बुलंद करने के लिए उन्होंने अपने पति की सहमति पर 1996 में घर से बाहर निकलकर महिला समाख्या योजना से जुड़ीं। तब से आज तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज 80 गाँव की समितियों का संचालन व देखरेख स्वयं कर रही हैं।

गाँव की समिति की पांच महिलाओं को पूर्व माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों में एमडीएम बनाने के लिए लगा रखा है, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी से न जूझना पड़े। राजेश्वरी देवी बताती हैं, “वर्ष 2001 में महिला समाख्या ज्वाइन किया। तब गाँव की 24 महिलाएं साथ में थीं। परिजनों ने डांट-फटकार कर आठ महिलाओं को समिति में काम नहीं करने दिया। आज हमारे साथ सिर्फ 16 महिलाएं काम कर रही हैं।” राजेश्वरी आगे बतती हैं, “साल 2004 में 18 हजार रुपए का अनुदान मिला, इसमें समिति की और महिलाओं ने सात हजार रुपए मिलाकर 25 हजार रुपए का टेंट का सामान खरीद लिया। आठ साल में राजेश्वरी ने अनुदान का पैसा जमा कर सभी महिलाओं का वापस कर दिया। अब टेंट से होने वाली आय आपस में बांट लेती हैं।”

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टेंट हाउस के साथ चलाती हैं कुटीर उद्योग

समिति में सियावती, राम जानकी, शांती देवी, मिथलेश कुमारी, पुष्पावती, शीला, वीरवती, द्रोपदी, नैना, राम सखी, जमुना देवी, सुशीला, लक्ष्मी, अंकेश, राम दुलारी काम करती हैं। टेंट के अलावा संजीवनी केंद्र, स्टेशनरी केंद्र भी चलाती हैं। संजीवनी केंद्र में लिकोरिया, गठिया का तेल, बवासीर, सुगर, गैस का चूर्ण, कान दर्द का तेल, फेस पैक, बनाती है। दवा और स्टेशनरी मेला, नुमाईश में लगाकर बिक्री भी करती है। अब नारी अदालत लगाकर महिलाओं की समस्याओं का निस्तारण भी करती है।

बाल विवाह पर कर रहीं काम

राजेश्वरी देवी बताती हैं कि दो साल पहले शहर के मोहल्ला नरायनपुर में एक नाबालिग लड़की की शादी 45 साल के अधेड़ से हो रही थी। वह अपनी समिति के अलावा अन्य समितियों की महिलाओं के साथ मौके पर पहुंच गईं और शादी रोकने की बात कही। इस पर काफी घमासान हुआ, कई राजनेताओं के फोन भी आए, लेकिन वह झुकी नहीं। बाद में वर पक्ष को बिना दुल्हन ही लिए बैरंग लौटना पड़ा। तब से लेकर आज तक उनके 80 गाँव के अलावा अन्य गाँवों में भी कम उम्र की लड़की की शादी करने की लोग हिमाकत नहीं जुटा पाते हैं।

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