हुनर से संवारी इन महिलाओं ने अपनी तकदीर

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हुनर से संवारी इन  महिलाओं ने अपनी तकदीरगांव में ब्‍यूटी पार्लर चलाकर अपनी अलग पहचान बना रहीं प्रतिभा चौहान।

रतन सिंह, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

मैनपुरी। ये महिलाओं की कामयाबी की दास्तान है। हालातों ने कदम-कदम पर रास्ता रोका, लेकिन कुछ कर गुजरने की चाह में हालात हौसलों के आगे दम तोड़ गए। अपने पैरों पर खड़ी होकर दूसरों के लिए एक मिसाल बन चुकी ये महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी किसी प्रेरणा स्रोत से कम नहीं हैं।

अंगुलियों से निखरा चेहरे का नूर

गांव चित्तरपुर की रहने वाली प्रतिभा अपने नाम को बखूबी चरितार्थ कर रही हैं। स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद ब्यूटीशियन के कोर्स ने उनकी जिन्दगी ही बदल दी। आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार की रीढ़ की हड्डी साबित हो रही प्रतिभा अब परिवार के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। पिता का सहारा बनी प्रतिभा ने गांव में ही ब्यूटी पार्लर खोलकर आमदनी का अनोखा तरीका खोजा है। उनका कहना है कि इस रोजगार से जो भी आमदनी होती है उससे परिवार का खर्च तो निकलता ही है साथ ही एक बड़ी मदद भी हो जाती है। अब तो गांव की अन्य शिक्षित युवतियां भी उनसे ब्यूटी पार्लर का कोर्स सीखने की ख्वाहिश में पहुंच रही हैं।

सिलाई कर परिवार का हाथ बंटा रही सिम्पल।

सिम्पल की कपड़ों पर कारीगरी है बेमिसाल

मैनुपरी विकास खंड के गांव चित्तरपुर निवासी सिम्पल पुत्री राजेश की कपड़ों पर कारीगरी का अब हर कोई मुरीद होता जा रहा है। गांव में उन्हें एक अलग पहचान मिल चुकी है। बीएससी कर रही सिम्पल का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्होंने ड्रेस डिजाइंनिंग के कोर्स को बेहतर समझा। कपड़ों की सिलाई कर अब वह परिवार की मदद कर रही है। उनका कहना है कि स्वरोजगार से फिलहाल ज्यादा लाभ तो नहीं होता है, लेकिन फिर भी गांव की महिलाएं और युवतियां उनके पास ही अपने कपड़े सिलवाने के लिए आती हैं। अगर शासन स्तर पर थोड़ी मदद मिल जाए तो इसे एक बड़े कारोबार के रूप में बेहतर ढंग से किया जा सकता है।

पशुपालन कर परिवार की गाड़ी खीच रहीं अनीता देवी।

मेहनत के बूते बना मुकाम, दे रहीं दूसरों को स्वरोजगार

गांव जगतपुर निवासी अनीता देवी पत्नी योगेश चंद्र डेयरी से परिवार का भविष्य संवारने की जुगत भिड़ा रही हैं। आर्थिक हालात सही न होने के कारण उन्होंने बैंक से लोन लेकर पशुपालन शुरू किया। दस भैंस के साथ डेयरी की शुरुआत करने वाली अनीता ने अपने प्रयासों से परिवार को पटरी पर ला दिया है। उनका कहना है कि दूध बेचकर जो भी आमदनी होती है उसका एक हिस्सा परिवार के भरण पोषण में और दूसर हिस्सा बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए खर्च कर रही हैं। उन्होंने गांव के अन्य लोगों को भी डेयरी के कारोबार से जोड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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