शौचालय न होने पर दुल्हन ने रोकी विदाई 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
शौचालय न होने पर दुल्हन ने रोकी विदाई ग्रामीण इलाकों में बने शौचालयों का प्रयोग अधिकतर कंडों को रखने और मवेशियों को बांधने के लिए किया जा रहा है। 

ऋषभ मिश्र, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

बलेली (शाहजहांपुर)। ससुराल में शौचालय न होने के कारण जिले के जमुका गाँव में एक दुल्हन ने खुद अपनी विदाई से इंकार कर दिया।

“जबसे हमारे गाँव में शौचालय बन गया है तब से बाहर जाने में शर्म आती है। इसलिए मैं अपने ससुराल नहीं गई। ससुराल वालों ने बोला पंद्रह दिन में बन जाएगा।” ये कहना है जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित बलेली गाँव की मिथलेश कुमारी (22 वर्ष) का।

59193 ग्राम पंचायत वाले उत्तर प्रदेश में 2 करोड़ 87 लाख से ज्यादा घर हैं, इनमें वर्ष 1999 के बाद से अब तक 1 करोड़ 81 लाख 19 हजार घरों में शौचालय बनाए भी जा चुके हैं।

पंचायती राज विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख 30 हजार घरों में शौचालय बनवाए गए हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी एक बड़ी आबादी खुले में शौच जाती है।

बीते कुछ वर्षों में भारत के कई गाँवों में शौचालयों को लेकर कई बार ऐसी खबरें भी सामने आती रही हैं। बेतूल की अनीता नर्रे इस तरह का पहला कदम उठाकर मिसाल कायम की थी। मिथिलेश बताती हैं, “ हमारे गाँव में जब शौचालय बने थे तो दीवारों पर नारे भी लिखे गए थे कि घर घर में शौचालय बनाएं बहू बेटी बाहर ना जाएं।” वो आगे बताती है कि करीब डेढ़ साल पहले हमारे यहां शौचालय बन गए थे, शौचालय बनने से पूर्व हम खुले में शौच जाते थे लेकिन शौचालय बनने के बाद हमारी आदत बदल गई, इस कारण से मुझे ससुराल में खुले में शौच जाना सही नहीं लगता।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.