ग्रामीण फिर करेंगे विधानसभा चुनाव का बहिष्कार

Divendra SinghDivendra Singh   5 Feb 2017 9:35 PM GMT

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ग्रामीण फिर करेंगे विधानसभा चुनाव का बहिष्कारप्रतापगढ़ जि़ले के हुड़हा गाँव में ग्रामीणों द्वारा बनाया गया पुल।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

सदर (प्रतापगढ़)। “हमें झूठे वादों के अलावा कुछ भी नहीं मिलता है, लोगों की हमारी याद बस चुनाव के समय आती है, फिर पांच साल के लिए गायब। हमने पिछली बार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था, इस बार भी हम वोट नहीं देने वाले हैं।” यह कहना है पूरे हुड़हा गाँव के मोहम्मद अनीस का।

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी. उत्तर-पश्चिम दिशा में सदर तहसील के पूरे हुड़हा गाँव में नेताओं के झूठे वादों के अलावा कुछ नहीं मिलता है। तीन ओर से चमरौरा नदी ने घेर रखा है, बाकि बचा एक तरफ तो वहां से लखनऊ वाराणसी रेलवे लाइन होकर जाती है। गाँव वालों को सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है, जब नदी अपने पूरे उफान पर होती है।

गाँव के मोहम्मद अनीस (35 वर्ष) बताते हैं, “हर बार चुनाव आते ही अलग-अलग पार्टियों के लोग आने लगते हैं। पिछली बार सपा के नेता आए थे कि हम पुल बनवा देंगे। इलेक्शन हो गया, कोई देखने तक नहीं आया।” वो आगे कहते हैं, “सदर में मुन्ना यादव विधायक बन गए। उसके बाद जब उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहीं थी, तब विधायक दिखायी दिए तब भी कहा कि पुल बन जाएगा।

2008 में पुल बनना शुरु भी हुआ, दो खम्भे भी बन गए, लेकिन ठेकेदार अधूरा काम छोड़कर ही चला गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब पुल का काम शुरु हुआ हो।”

ग्रामीणों को पुल न होने से बहुत परेशानी होती है। हम लोग भी मुख्यालय तक इनकी परेशानी लेकर कई बार गए हैं, लेकिन होता कुछ नहीं।
बबीता मिश्रा, ग्राम प्रधान।

पूरे हुड़हा गाँव में लगभग 2000 की जनसंख्या है, जिसमें करीब 700 मतदाता हैं। पूरे हुड़हा बैजलपुर ग्राम पंचायत में आता है, बैजलपुर पंचायत में बैजलपुर, पूरे बंशी, घोरहा और लोहंगपुर आते हैं। बैजलपुर की ग्राम प्रधान बबीता मिश्रा कहती हैं, “ग्रामीणों को पुल न होने से बहुत परेशानी होती है। हम लोग भी मुख्यालय तक इनकी परेशानी लेकर कई बार गए हैं, लेकिन होता कुछ नहीं।”

ग्रामीणों ने खुद से ही नदी पर बांस का पुल बना लिया है जो ज्यादा बारिश होने पर बह जाता है। गाँव के लोग कई जिला मुख्यालय, तहसील पर धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें झूठे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता है। सबसे ज्यादा परेशानी बरसात में होती है, जब नदी पूरे उफान पर होती है।

मेरे जिले में आने के बाद पुल के बारे में पता चला है, इसके लिए शासन को पत्र भी लिखा गया है, अभी तक आदेश नहीं आया है।
डॉ. आदर्श सिंह, जिलाधिकारी, प्रतापगढ़

वहीं, गाँव की जोहरा निशा कहती हैं,”हम लोगों की तो कोई सुनता ही नहीं है, यहां पर लोग सिर्फ वोट मांगने आते हैं और जीतने के बाद उन्हें हमारे मरने जीने से कोई मतलब ही नहीं, चाहे कोई यहीं डूबकर ही मर जाए।’’ यहां के लोगों के पास बहुत कम खेत हैं, जिनके पास है भी सब नदी के पार ही है। गुलबदन (50 वर्ष) कहती हैं, “सबसे ज्यादा परेशानी फसल कटाई के समय होती है। राशन तो किसी तरह आ जाता है, लेकिन भूसा वहीं बेचना पड़ता है, हमारा तो गुजारा हो जाता है, लेकिन जानवरों को क्या करें।”

हमारी तो उम्र बीत गई मगर...

वर्ष 2007 में बसपा के विधायक संजय त्रिपाठी ने यहां से जीत हासिल की थी। वहीं 2012 में सपा के प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह यादव ने जीत हासिल की। गाँव में अगर कोई बीमार हो जाए तो सबसे ज्यादा परेशानी होती है, नाव वाले रास्ते से अस्पताल नजदीक पड़ता है, लेकिन खतरा ज्यादा रहता है और पुल वाले रास्ते से ज्यादा दूरी पड़ती है। गाँव के अब्दुल राऊफ (65 वर्ष) कहते हैं, “हमारी तो उम्र बीत गयी ये सुनते-सुनते की नदी पर पुल बनेगा और अब तक न बन पाया। हम लोग तो चलो नदी तैर कर पार कर लेंगे लेकिन बहु-बेटियां कैसे पार करेंगी।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).


    

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