सामुदायिक रेडियो ग्रामीणों के लिए जानकारी का सशक्त माध्यम
सामुदायिक रेडियो केन्द्रों द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामुदायिक विकास, संस्कृति, लोकगीत कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाता है । यहाँ काम करने वाली टीम स्थानीय होती है जिसे समय-समय पर कुछ संस्थाएं ट्रेनिंग देती रहती हैं, ये टीम ज्यादातर सामुदायिक स्तर पर वालंटियर का काम करती है।
गाँव कनेक्शन 13 Feb 2019 6:00 AM GMT
'विश्व रेडियो दिवस' मनाने की शुरुआत 13 फरवरी को वर्ष 2012 से हुई थी। आज भी शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक मीडिया के सबसे सशक्त माध्यम के रूप में रेडियो को जाना जाता है। रेडियो में भी सामुदायिक रेडियो की अपनी अलग विशेषता है। इस 'विश्व रेडियो दिवस पर रेडियो जगत से जुड़े सभी साथियों और श्रोताओं को ढेरों शुभकामनाएं। #WorldRadioDay
लखनऊ। सामुदायिक रेडियो लोगों के लिए, लोगों का, लोगों के द्वारा बना एक सशक्त माध्यम है जो देश के हर ग्रामीण को अपनी बात कहने की पूरी आजादी देता है। वर्ष 2012 से हर वर्ष 13 फरवरी को 'विश्व रेडियो दिवस' मनाने की शुरुआत की गयी थी। विश्व की 95 फीसदी जनसंख्या तक रेडियो की पहुंच है, जिसमें सामुदायिक रेडियो दूर-दराज के समुदायों और छोटे समूहों तक कम लागत में पहुंचने वाला संचार का सबसे आसान साधन है।
सबसे ज्यादा सामुदायिक रेडियो स्टेशन तमिलनाडु, उत्तर-प्रदेश और महाराष्ट्र में है । कहीं ये सामुदायिक रेडियो आदिवासियों की आवाज़ बना है तो कहीं पहाड़ी समुदाय की आवाज़ बना है । आपदा के समय भी सामुदायिक रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
हमने सोचा नहीं था कि हमे कभी रेडियो पर भी बोलने को मौका मिलेगा, हम गाँव में रहते हैं ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, पर रेडियो पर बोलने से हमें आसपास के 300 गाँव के लोग जानते हैं।रेखा पाण्डेय (35 वर्ष), कानपुर
विश्व रेडियो दिवस पर गाँव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश के कुछ सामुदायिक रेडियो स्टेशन के श्रोताओं से बात की। रेखा की तरह देश की ऐसी हजारों महिलाएं, किशोरियां, किसान और गीतकार हैं, जिसे सामुदायिक रेडियो ने अपने विचार रखने का मंच प्रदान किया है।
स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी हो और वो आपस में चर्चा कर सकें इसके लिए सामुदायिक रेडियो एक अच्छा माध्यम है। लेकिन अगर स्थानीय संस्कृति के साथ-साथ समाचार भी प्रसारित करने की अनुमति मिल जाए तो सामुदायिक रेडियो का मकसद पूरा होगा।वेनू अरोरा
सामुदायिक रेडियो पर वर्ष 2006 से देश भर में प्रशिक्षण देने वाली वेनू अरोरा बताती हैं "हम लोकतंत्र में स्वतंत्रता की बात करते हैं, पर आज भी सामुदायिक रेडियो को स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने का अधिकार नहीं है। सरकार की तरफ से सामुदायिक रेडियो को समाचार चलाने की अनुमति नहीं है, जिससे स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को जानकारी नहीं हो पाती है।"
गाँव में हर कोई अखवार नहीं पढ़ सकता, इसलिए सरकारी योजनाओं की जानकारी सिर्फ सामुदायिक रेडियो से ही मिल सकती है, रेडियो में सबकुछ तो अच्छा लगता है अगर समाचार सुनने को मिले तो हमें घर बैठे सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल पायेगी।रेखा पाण्डेय, निगोहां गाँव की रहने वाली
सामुदायिक रेडियो सुचारू रूप से कार्य कर सके, इसके लिए सरकार की तरफ से बजट की प्रक्रिया बेहतर करने की जरूरत है।विश्व रेडियो दिवस पर अपना अनुभव साझा करते हुए वेनु अरोरा बताती हैं
सामुदायिक रेडियो केन्द्रों द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामुदायिक विकास, संस्कृति, लोकगीत कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाता है । यहाँ काम करने वाली टीम स्थानीय होती है जिसे समय-समय पर कुछ संस्थाएं ट्रेनिंग देती रहती हैं, ये टीम ज्यादातर सामुदायिक स्तर पर वालंटियर का काम करती है।
सामुदायिक रेडियो के खुलने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग रेडियो ज्यादा खरीदने लगे हैं, स्थानीय स्तर पर भैस खो जाना, सर्टिफिकेट खो जाना, बच्चा खो जाना जैसी सूचनाओं की जानकारी प्रसारित की जाती है कई बार समुदाय की खोयी हुई चीजें उन्हें रेडियो के द्वारा आसानी से मिल भी जाती है ।
भारत सरकार ने वर्ष 2006 में सामुदायिक रेडियो दिशा-निर्देश की अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में ये कहा गया कि गैर सरकारी संगठन, नागरिक सामाजिक संगठन, शिक्षा संस्थान को सामुदायिक रेडियो स्टेशन संचालित करने की अनुमति देता है। वर्तमान समय में पूरे देश में 200 से ज्यादा सामुदायिक रेडियो चल रहे हैं।
सामुदायिक रेडियो के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
सामुदायिक रेडियो के लिए कोई भी गैर सरकारी संगठन और शिक्षण संस्थान लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है | ये संगठन कम से कम तीन साल से पंजीकृत हो ये अनिवार्य है |
सामुदायिक रेडियो के लिए केन्द्रीय वित्त सहायता उपलब्ध नहीं है, सामुदायिक रेडियो लाइसेंस के हकदार वो होते हैं जो 100 वाट रेडियो स्टेशन चलाते हो, इसका कार्यक्षेत्र कम से कम 12 किलोमीटर की त्रिज्या में हो । इसके तहत संचालक अधिकतम 30 मीटर ऊँचा एंटीना लगा सकता हैं ।
सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से कम से कम 50 प्रतिशत प्रोग्राम स्थानीय स्तर पर, स्थानीय भाषा में बनाये जाने की अपेक्षा की जाती है। सामुदायिक रेडियो हर किसी को अपनी बात कहने की पूरी आजादी देता है, समुदाय में जाकर उनसे बात करना, उनके मुद्दों को समझना इसके बाद समुदाय की सहभागिता से कार्यक्रम निर्माण लोकल भाषा में करना इसकी मुख्य विशेषता है।
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