नहर की प्यास भी नहीं बुझा पाया वर्षों बाद आया चुनावी पानी

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नहर की प्यास भी नहीं बुझा पाया वर्षों बाद आया चुनावी पानीवर्षों बाद नहर में पानी दिखा पर नहर की तलहटी की प्यास भी नहीं बुझा पाया।

मोबिन अहमद, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। 30 साल बाद नहर में पानी दिखा तो क्षेत्र के किसानों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी लेकिन एक दिन बाद ही छलावा साबित हुया। ये नहर का पानी जो इतने वर्षों बाद नहर में दिखा पर नहर की तलहटी की प्यास भी नहीं बुझा पाया। लालगंज क्षेत्र की नहरों की पुरवा ब्रान्च में दशकों बाद पानी आया तो लेकिन इसका लाभ किसानों को नही मिला।

अरे चुनावी पानी है भईया जैसे चुनावी वादों का भरोसा नहीं वइसे ही चुनावी पानी का कौन भरोसा।
रामआसरे (55 वर्ष), गोबिन्दपुर बलौली के किसान

क्षेत्र के गोविन्दपुर बलौली रजबहा में वर्षों बाद पानी दिखा पानी भी इतना आया कि केवल नहर की तली गीली हो सकी चन्दर तिवारी (40 वर्ष) ने कहा, “पानी देख के किसानों को ख़ुशी तो हुई। चुनाव के समय जिस तरह से पानी आया उससे तो यही लग रहा है चुनावी पानी है।’

क्षेत्रीय किसान गंगाधर (40 वर्ष) कहते हैं, ‘सरकार ने बता तो दिया है पानी दे तो सकते हैं पर देंगे नही। पुरवा ब्रांच से पानी की सप्लाई न छोड़े जाने को लेकर क्षेत्रीय किसान काफी दिनों से आन्दोलन कर रहे हैं। जिलाधिकारी महोदय ने प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों से बातचीत भी की थी, जिसके बाद नहर सफाई के लिये शासन ने पैसा भी जारी कर दिया था।’

इस प्रयास का फल यह रहा कि नहर विभाग ने पानी तो छोड़ा लेकिन यह केवल नहर की तलहटी में ही सिमट कर रह गया। हालांकि किसानों को उम्मीद जरूर हो गयी है कि देर सवेर पानी जरूर मिलेगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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