महिलाओं की ज़िंदगी में खुशबू बिखेर रही अगरबत्ती

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   9 March 2017 5:04 PM GMT

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महिलाओं की ज़िंदगी में खुशबू बिखेर रही अगरबत्तीअगरबत्ती बनाने के काम से ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों को रोजगार दिया जा रहा है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। खेती के साथ-साथ आधा समय अगरबत्ती बनाने में देकर महिलाएं और किशोरियां अच्छा लाभ कमा रही हैं। रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर बछरावां ब्लॉक के कन्नावा गाँव में स्थित ग्रामीण विकास संस्थान के द्वारा गाँव में अगरबत्ती बनाने का कार्य किया जाता है। संस्था यह काम आसपास के तीन गाँव में करवाती है। अगरबत्ती बनाने के काम से ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों को रोजगार दिया जा रहा है।

“इस संस्थान का यही उद्देश्य रहा है कि हम अधिक लोगों को रोजगार दे सकें इसलिए हमने वर्ष 1986 में अगरबत्ती बनाने का कार्य शुरू किया था। इस कार्य के द्वारा हम तीन गाँव कन्नावा कसरांवा और रसूलपुर की लगभग ढाई सौ महिलाओं और किशोरियों को रोजगार दे चुके हैं और आगे भी रोजगार देते रहेंगे।” संस्था के प्रमुख सचिव अताउल्ला ने बताया। अताउल्ला आगे बताते हैं, “हम महिलाओं और किशोरियों द्वारा बनाई गई अगरबत्ती का हर महीने उन्हें पैसा भी देते हैं। अगरबत्तियां हम उन्हें किलो के हिसाब से बनाने के लिए देते हैं। एक महिला को एक किलो अगरबत्ती बनाने पर 14 की रुपए दिए जाते हैं इसलिए जितना ज्यादा महिलाएं काम करती हैं उतना ही ज्यादा पैसा कमाती हैं।”

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वह आगे बताते हैं, “हम अगरबत्ती बनाने का सामान कानपुर और कन्नौज से मंगाते हैं फिर इन तीनों गाँव में बंटवा देते हैं फिर उससे अगरबत्ती तैयार होती है। हम उन्हें रायबरेली जिले के अलावा कई जिलों में भिजवाते हैं। हम अगरबत्तियों में मोगरा, गुलाब और बेला तीन तरह की अगरबत्तियां हमारी संस्था द्वारा बनाई जाती हैं।” “जब से हम इस संस्था में अगरबत्ती का काम कर रहे हैं हमें बहुत अच्छा लग रहा है। हमें पैसे के साथ-साथ सम्मान भी बहुत मिलता है और हमें पैसे से ज्यादा सम्मान पसंद है। यहां पर एक दिन का हमें सौ रुपया दिया जाता है जो महीने भर में 3,000 रुपए बन जाता है। इससे ज्यादा मुझे चाहिए भी नहीं क्योंकि मेरा खर्चा इतना ही है।”

चाची नाम से प्रसिद्ध किशोरी (70 वर्ष) ने बताया। बछरावा गाँव की मीनू जो कि अगरबत्ती बनाने का काम करती है। उन्होंने बताया, “हम अभी यहां पर ट्रेनिंग कर रहे हैं और अगरबत्ती की ट्रेनिंग पर भी हमें रोज 50 दिए जाते हैं, जिससे हमारा पार्ट टाइम रोजगार हो जाता है।” अत्ताउल्ला बताते हैं, “महिलाएं जो किसान हैं वह पार्टटाइम अगरबत्ती बनाने का काम करती हैं बाकी टाइम अपने खेतों में काम भी करती हैं। इस तरह वह दोगुना लाभ कमा रही हैं एक तो अगरबत्ती बनाने का दूसरा खेतों में काम करने का। जो किशोरियां हमारी संस्था में अगरबत्ती बनाती हैं उन्हें ज्यादा जोर देकर काम नहीं लिया जाता। उनसे उतना ही काम या जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई भी डिस्टर्ब न हो।”

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