हाथ धोना तो दूर इस स्कूल में पीने का पानी भी नहीं मिलता

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हाथ धोना तो दूर इस स्कूल में पीने का पानी भी नहीं मिलताजर्जर शौचालय, चाहरदिवारी न होने से जूझता हरदोई जिले के संडीला ब्लॉक में महमूदपुर गाँव का ये स्कूल।

अनुपम अग्निहोत्री- (कम्युनिटी जर्नलिस्ट) उम्र- 32 वर्ष

महमूदपुर (हरदोई)। हमारा देश “खुले से शौच मुक्त हो” इस अभियान में शौचालय निर्माण के लिए वर्ष 2012 की अपेक्षा 2016 में चार गुना बजट की बढ़ोतरी की गयी है लेकिन जमीनी स्तर पर शौचालय से जुड़ी अव्वस्थाएं साफ़ तौर पर देखी जा रही है।

हरदोई जिले के संडीला ब्लॉक से 15 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में महमूदपुर गाँव हैं। इस गाँव के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाली खुशबू स्कूल जाने से कतराती है क्योंकि न तो इस स्कूल में पीने का पानी है और न ही शौचालय। इन दोनों चीजों के लिए खुशबू को स्कूल से दूर जाना पड़ता हैं। खुशबू कहती है “पेशाब करने के लिए आम की बगिया में जात हैं, और पीछे मुड़ कै देखत रहात है कि कोई आ ना जाये”। खुशबू की तरह इस स्कूल की हर लड़की को यही चिंता होती है कि पीछे से कोई आ न जाएं। स्कूल में पढ़ने वाली रोली का कहना है कि पानी की बोतल भरकर अपने घर से लाते हैं पूरे दिन उस बोतल के पानी को चलाना पड़ता है इसलिए बिना साबुन से हाथ धोये ही खाना खा लेते हैं।

चाहरदिवारी न होने की वजह से स्कूल में बांधे जाते हैं जानवर।

सरकार द्वारा “स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय” सितम्बर 2014 में एक अभियान शुरू किया गया। इस अभियान का ये उद्देश्य था कि सरकारी स्कूल में पढने वाले बच्चों की साफ़-सफाई पर खास ध्यान दिया जाए इस योजना का खास पहलू ये था कि हर स्कूल में पीने के पानी और हाथ धुलने के लिए सुरक्षित जगह बनाई जाए जहां लंच के दौरान सभी बच्चे सही ढंग से हाथ धुल सकें और वो बीमारियों से बच सकें। साफ़ सफाई न रखने से डायरिया जैसी बीमारी हो जाती है,स्वास्थ्य मंत्रालय की जुलाई 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार डायरिया से एक दिन में 38 लोग मरते हैं और एक साल में 1.2 लोग मरते हैं।

“मेरी पोस्टिंग जुलाई 2016 में हुई थी तब नल और शौचालय दोनों खराब थे, मुझे पता चला कि यहां नल दो साल पहले से खराब पड़ा है। तीन गाँव से प्रतिदिन 80-85 बच्चे पढ़ने आते हैं, कुल छात्र संख्या 115 है। मैंने कई बार फोटो खींचकर अधिकारियों तक पहुंचाई है पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। चारदीवारी न होने से जानवर यहां पूरे दिन बने रहते हैं पूरा विद्यालय प्रांगण गन्दा रहता है खाना बनाने से लेकर पीने तक के पानी के लिए गाँव से पानी लाना पड़ता है। शौचालय की मरम्मत हो गयी है पानी न होने की वजह से उसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
सुभाष चन्द्र, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय महमूदपुर, हरदोई

स्कूल का नल कई महीनों से है खराब।

स्कूल में नल नहीं शौचालय नहीं ये सिर्फ महमूदपुर के इस प्राथमिक स्कूल की ही बात नहीं है बल्कि प्रदेश में चल रहे लाखों स्कूल इस समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार द्वारा तमाम योजनायें चलने के बावजूद इन स्कूलों की स्तिथि बेहतर नहीं हो पा रही है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चे और शिक्षक हर रोज इस अव्यवस्था से जूझते हैं पर इनकी समस्याओं का समाधान कबतक हो पायेगा इससे ये अनजान और बेखबर हैं।

शौचालय खराब होने से छात्राओं को होती है दिक्कत।

“स्कूल में नल नहीं है इसको लेकर जलनिगम को सूचित किया जा चुका है,जल्द ही स्कूल में नल की व्यवस्था हो जायेगी। ग्राम सभा और ब्लॉक स्तर पर शौचालय निर्माण, नल नहीं है, को ठीक कराने की जिम्मेदारी होती है। खंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा भी इन समस्याओं को देखा जा रहा है, जल्द ही इसका निस्तारण किया जाएगा।
नित्यानंद दिवेदी, संकुल प्रभारी

महमूदपुर गाँव निवासी संतोष गौरी मिश्रा (40 वर्ष) का कहना है “स्कूल के इस हालात को देखकर मन नहीं करता कि अपनों बच्चों को यहां पढ़ने भेजें पर क्या करें मजबूरी है आस-पास कोई स्कूल ही नहीं है”। वो आगे कहते हैं यहाँ नल से लेकर शौचालय तक कोई सुविधा नहीं है कई बार शिकायत के बाद भी किसी अधिकारी की यहां नजर नहीं पड़ती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)

      

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