विदेश पहुंच रही सोनभद्र की मिर्च

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विदेश पहुंच रही सोनभद्र की मिर्चजिले के किसानों ने मौसमी चुनौतियों को पारकर बढ़ाया रकबा।

स्वयं प्रोजेक्ट

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले सोनभद्र जिले को आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने के कारण पिछड़ा माना जाता है, लेकिन लोगों की ये मानसिकता बदलनी शुरू हो गई है। अब सोनभद्र के लोग खेती में निपुण हो रहे हैं। जिले में टमाटर के साथ-साथ हरी मिर्च की खेती भी बड़े पैमाने में हो रही है। देश के दूसरे हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी यहां के टमाटर और मिर्च का निर्यात होते हैं। हालांकि किसानों को खराब मौसम व प्रशिक्षण के अभाव जैसी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है।

सोनभद्र के घोरावल, करमा, राबर्ट्सगंज, दुद्धी क्षेत्र में किसानों ने पारंपरिक खेती का ढर्रा बदलते हुए अब हरी मिर्च की खेती शुरू कर दी है। इन क्षेत्रों में हरी मिर्च के साथ-साथ कश्मीरी मिर्च की भी खेती की जा रही है।

दूसरे प्रदेशों के साथ-साथ बांगलादेश के व्यापारी भी हरी मिर्च का व्यापार कर रहे हैं। मालदा व बड़ौदा बॉर्डर से अधिक मिर्च का व्यापार हो रहा है। दिल्ली में भी सोनभद्र की मिर्च की डिमांड काफी है। यहां की मिट्टी लाल होने के कारण मिर्च के पौधे के लिए लाभदायक है।
नलिन सुंदरम भट्टू, जिला उद्यान अधिकारी सोनभद्र

जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर धोरावल ब्लॉक में किसान मिर्च की खेती अधिक मात्रा में कर रहे हैं। बकौली गाँव के रहने वाले गजेंद्र बहादुर सिंह (51 वर्ष) बताते हैं, ‘मैंने पिछले वर्ष भी मिर्च की खेती की थी जिससे काफी मुनाफा हुआ था। इस वर्ष भी मैंने तीन एकड़ में मिर्च की खेती की है। मिर्च की पैदावार हमारे सोनभद्र में अच्छी हो रही है। हम लोग मिर्च को दूसरे प्रदेशों में भी भेजते है।’

गजेंद्र आगे बताते हैं, ‘शुरुआत में मिर्च की पौध लगाने के बाद काफी बारिश हुई जिससे फसल को काफी नुकसान हुआ लेकिन अब मौसम अनुकूल होने के कारण फसल की पैदावार शुरू हो गई है जो बाजारों में बिकने के लिए जा रही है।’ सोनभद्र जिले के उद्यान निरीक्षक राजेंद्र यादव बताते हैं, ‘गतवर्ष बड़े पैमाने पर हरी मिर्च की खेती से उत्साहित किसान इस बार भी इसे आमदनी का मुख्य जरिया बनाते हुए खेतों में मिर्च बो रहे हैं। जिले में मिर्च की खेती बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस बार जिले में तीन हजार एकड़ क्षेत्रफल में हरी मिर्च की खेती की गई है।’ हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों की सूची बनाई जा रही है। उन्हें बाज़ार दिलाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

जल्द ही किसानों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही कृषि वैज्ञानिक पैदावार बढ़ाने के तरीके भी बताएंगे।
राजीव भारतीय, जिलाकृषि अधिकारी, सोनभद्र

रकबा बढ़ा लेकिन इंतजाम पुख्ता नहीं

धोरावल ब्लॉक के जमगाई गाँव निवासी धीरेंद्र कुमार शुक्ला बताते हैं, ‘मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर जिले में हो रही है लेकिन कुछ समस्याएं भी हैं। सबसे बड़ी समस्या शासन स्तर पर न तो बीज की कोई व्यवस्था है और न ही प्रशिक्षण का इंतजाम है। बीज व कीटनाशक के मामले में दुकानदार मनमाना दाम ले रहे हैं। अनुभव न होने के कारण आवश्यकता से अधिक कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना पड़ रहा है जिससे फसलों को नुकसान पहुंच रहा है।’ हालांकि अधिकारियों ने किसानों की समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया है।

ज्यादा ठंड में नुकसान

करमा गाँव के निवासी अनुराग पांडे बताते हैं, ‘मिर्च की खेती के दौरान मौसम के उतार-चढ़ाव से किसानों को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कुछ समय पहले मौसम ठीक था लेकिन पिछले कुछ समय से ठंड अधिक होने के कारण एक ओर पौधे के गुड़ाई का कार्य नहीं हो पा रहा, वहीं फंगी साइड रोग से पौधा बढ़ नहीं पा रहा है। इस ठंड के मौसम में पानी अधिक लगने के कारण पौधे के गलने की संभावना बढ़ती जा रही है।’

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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