मैनपुरी: मेडिकल असुविधाओं के चलते 1 महीने में 100 की मौत

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मैनपुरी: मेडिकल असुविधाओं के चलते 1 महीने में 100 की मौतgaoconnection

मैनपुरी। जिले में सिसकती स्वास्थ्य सेवाओं को वेंटीलेटर भी नसीब नहीं हो रहा है। जरा, वीआईपी जिले का हाल देखिए। चार महीनों (जनवरी से अप्रैल 2016) में गंभीर हालत में जिला अस्पताल में लाए गए 5696 मरीजों में से ग्लूकोज की बोतल और पट्टी चढ़ाकर 1201 को आगरा और सैफई के लिए रेफर कर दिया गया। व्यवस्थाओं और सुविधाओं के अभाव में इन्हीं मरीजों में से त्वरित उपचार न मिलने पर 119 की मौत हो गई।

महाराजा तेज सिंह जिला चिकित्सालय में जनपद भर से रोजाना 1 हजार से ज्यादा मरीज अपना उपचार कराने के लिए पंजीकरण कराते हैं। इसके अलावा 1सैकड़ा मरीज आपातकालीन विभाग में भी लाए जाते हैं। अस्पताल प्रशासन ने यूं तो तमाम व्यवस्थाएं कराई हैं, लेकिन सुविधाओं का अभाव मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। अब जरा अस्पताल के अपने ही आंकड़ों पर एक नजर डालें। 

जनवरी से अप्रैल 2016 तक चार महीनों में अस्पताल में कुल 5696 मरीजों को भर्ती कराया गया। इनमें से बेहद गंभीर हालत होने के कारण 1201 मरीजों को बेहतर इलाज के लिए आगरा और सैफई के लिए रेफर कर दिया गया। शेष मरीजों को इमरजेंसी में ही उपचार दिया गया। मगर, दुर्भाग्य यह है कि बेहतर उपचार और विशेषज्ञों के अभाव में यहां लाए गए मरीजों में से 119 मरीजों की मौत हो गई। अपने आप में मरीजों की मौत का चार महीनों का यह आंकड़ा सुविधाओं और व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करता है। 

दरअसल, अस्पताल की नवीन इमरजेंसी आधुनिक संसाधनों से खाली है। यहां हर तरह से गंभीर मरीजों को लाया जाता है, लेकिन उनके उपचार के इंतजाम नाकाफी हैं। सड़क हादसों में गंभीर घायलों को सिर्फ मरहम, पट्टी करके तुरंत रेफर कर दिया जाता है। अन्य प्रकार की बीमारी से पीड़ितों को ग्लूकोज की बोतल लगाकर ही राहत देने की कोशिश की जाती है। अगर, किसी मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसकी जान बचाने और इलाज करने के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है। 

इनकी है कमी

जिला अस्पताल में दो रेडियोलाजिस्ट, एक ह्दय रोग विशेषज्ञ, एक ईएनटी (नाक, कान, गला) विशेषज्ञ, दो पैथोलाजिस्ट, दो अस्थि रोग विशेषज्ञ, एक सर्जन, एक डेंटल सर्जन और एक त्वचा रोग विशेषज्ञ का अभाव लंबे समय से बना हुआ है। इनके अलावा एक प्रभारी अधिकारी फार्मेसी, दो चीफ फार्मासिस्ट, एक वार्ड ब्वॉय, एक चपरासी, एक रसोइया और एक चैकीदार का पद भी कई सालों से खाली पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर अस्पताल में 18 पद खाली पडे़ हुए हैं। 

 

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