ग्रामीण युवाओं में खेती के प्रति रूझान पैदा करने की जरूरत: कृषि मंत्री 

Divendra SinghDivendra Singh   25 March 2017 6:38 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ग्रामीण युवाओं में खेती के प्रति रूझान पैदा करने की जरूरत: कृषि मंत्री विद्यार्थी कल्याण न्यास, भोपाल एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अायोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री।

नई दिल्ली। "कृषि के सामने अब बड़ी चुनौती, खासकर छोटे जोत की खेती को लाभप्रद बनाने और ग्रामीण युवाओं में खेती के प्रति रूझान पैदा करने की है। उन्होंने कहा कि यह कार्य कठिन जरूर है परंतु असंभव नहीं है।" कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा।

विद्यार्थी कल्याण न्यास, भोपाल एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूसा नई दिल्ली में ‘कृषि के लिए समृद्धि और सतत विकास’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

क्रार्यक्रम में पहुंचे मुख्य वक्ता कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, “कृषि में समृद्धि के द्वार खोलने के लिए छोटे किसानों के खेतों की उत्पादकता बढ़ायी जा रही है। कृषि लागत कम की जा रही है और उनके उत्पादन के स्तर को बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को उपयुक्त तकनीक का विकल्प प्रदान करने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है ताकि वे अपने संसाधनों के हिसाब से तकनीक का चयन कर सकें। कृषि वैज्ञानिकों का चाहिए कि वे कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्र के अनुसार उपयुक्त कृषि तकनीक विकसित करें तथा कृषि विज्ञान केंद्र और प्रसार तंत्र उन तकनीकों को अल्पावधि में किसानों तक पहुंचाएं।

छोटे किसानों की आय दोगुना करने का प्रयास

कृषि मंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को अच्छी तरह लागू करना होगा। किसानों को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है कि किस खेत में कौन-कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में डाला जाए तथा रासायनिक एवं जैविक खादों का किस अनुपात में प्रयोग किया जाए ताकि वांछित उत्पादन भी मिले और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहे।

उन्होंने बताया कि अभी तक 11 करोड़ कार्ड के सापेक्ष छह करोड़ कार्ड की छपाई की जा सकी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना 2015 में लागू की है जिसका मुख्य उद्देश्य हर खेत को पानी पहुंचाना तथा पानी के हरेक बूंद से अत्यधित अन्न उपजाना है। इसके साथ ही वर्षा जल संचयन और संचित जल का उचित प्रबंधन पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है ताकि छोटे किसानों की आय दोगुना करने में मदद मिल सके।

उन्होंने कहा कि सरकार इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इससे किसान बागवानी, पशुपालन, कृषि वानिकी और अन्य मिश्रित कृषि प्रणालियों के जरिए उच्च मूल्य वाले फसलों से अधिक आय प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय कृषि पद्धति संस्थान, मेरठ द्वारा 23 राज्यों के लिए 38 इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम माडल बनाए गये हैं। इस दिशा में देश के 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के प्रदर्शन इकाई स्थापित करने के लिए तीन लाख रुपए प्रति इकाई के दर से तीन करोड़ रुपए चालू वित्त वर्ष में आवंटित किए गये हैं । इन इकाइयों का इस्तेमाल किसानों के प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा ताकि आईएफएस पद्धतियों को अपना कर किसान अपनी आय बढ़ा सकें।


    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.