देश के सबसे बड़े कछुआ तस्कर गिरोह का भंडाफोड़, 6 हजार से ज्यादा कछुए बरामद, यौन शक्ति वर्धक बनती हैं दवाएं

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देश के सबसे बड़े कछुआ तस्कर गिरोह का भंडाफोड़, 6 हजार से ज्यादा कछुए बरामद, यौन शक्ति    वर्धक बनती हैं दवाएंबरामद कछुओं के साथ वनविभाग और एसटीएफ के अधिकारी।

लखनऊ। देश में अब तक की सबसे बड़ी कछुआ तस्करी का भांडाफोड़ हुआ है। एसटीएफ और वनविभाग ने यूपी के अमेठी से 6 हजार से ज्यादा कछुए बरामद किए हैं। ये कछुए थाईलैंड और वर्मा समेत कई देशों में भेजे जाने थे। कई दशकों से कछुओं का इस्तेमाल सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाओं के बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

एसटीएफ और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में अमेठी में प्रदेश में कछुओं की तस्करी करने वाले बड़े गिरोह को पकड़ा गया और तस्करों के पास से 6334 कछुए बरामद किए गए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. रूपक डे बताया, “एसटीएफ और वन विभाग की टीम को कछुओं की तस्करी करने वाले एक गिरोह के बारे में सूचना मिल थी। इसके बाद से तस्करों का पकड़ने का जाल बिछाया गया।”

तस्करी में गिरफ्तार सरगना राज बहादुर ने पुलिस की पूछताछ में बताया, “उसका गिरोह अमेठी के गौरीगंज, जगदीशपुर और सलवन क्षेत्र में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे पोचर कछुओं का शिकार करता है, जब बड़ी मात्रा में कछुआ इकट्ठा हो जाता है तो उसके ट्रक और छोटी गाड़ियों के जरिए कोलकाता ले जाकर वहां के बड़े तस्करों को बेचता था।” राजबहादुर के मुताबिक ये कछुए कोलकाता से चीन, थाइलैंड, सिंगापुर और बर्मा भेजे जाते थे। जहां यौन शक्ति वर्धक दवाएं और फेंगशुई के लिए इनका इस्तेमाल होता है। इसके बदले लाखों रुपये मिलते हैं।

देश में कछुओं की विविधता की दृष्टि से असम के बाद उत्तर पद्रेश का दूसरा स्थान है। देश में कछुओं की पाई जाने वाली 28 प्रजातियों में से 15 प्रजातियों प्रदेश में और 13 प्रजातियां कुकरैल कछुआ पुनर्वास केन्द्र में पाई जाती हैं।


बरामद कछुए

मंगलवार की सुबह अमेठी जिले के गौरीगंज ब्लाक के ग्राम चतुरीपुर से अंतराज्यीय गिरोह के सरगना राजबहादुर उर्फ राजलाल को उसके साथियों समेत गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 6334 कछुओं को बरामद किया गया जिनका वजन 4.40 टन है। अभियुक्तों के खिलाफ वन्यजीन संरक्षण अधिनियम-1972 की धारा-9/51 के तहत मामला दर्ज करके पूछताछ की जा रही है। वहीं बरामद कछुओं को प्रभागीय वनाधिकारी अमेठी के कार्यालय में सुरक्षित रखा गया है। कछुओं को उनके प्राकृतिक आवास में छोड‍ने के लिए मुख्य दण्डाधिकारी सुल्तानपुर में सीजर रिपोर्ट जमा कर दी गई। वहां से अनुमति मिलने के बाद इन कछुओं को छोड़ दिया जाएगा। बरामद किए गए कछुओं में 6332 इंडियन साफ्ट शेल्ड टर्टल हैं, जिसको सुंदरी नाम से भी जाना जाता है। वहीं दो कछुए गैंजेटिक्स साफ्ट शेल्ड टर्टल है जिसे कटहवा भी कहा जाता है।

चीन, थाइलैंड, सिंगापुर और बर्मा में कछुओं ऊंच दामों में बेचा जाता था

यूपी में पकड़ा गया तस्कर अंतराष्ट्रीय बाजारों खासकर चीन, थाइलैंड, सिंगापुर और बर्मा में कछुओं को ऊंची कीमतों पर बेचते थे। एसटीएफ में वाइल्ड लाइफ सेल का नेतृत्व कर रहे अपर पुलिस अधीक्षक डा अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश में गंगा किनारे बसें जिलों फरूंखाबाद, कानपुर, फतेहुपर के साथ ही घाघर नदी और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्रों में बसे जगहों से बड़ी संख्या में कछुओं की तस्करी हो रही है। तस्कर गिराहों को पकड‍ने के लिए एसटीएफ लगातार अभियान चला रहा है। कछुओं की तस्करी पर रोक लगाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। प्रदेश में जीरो टर्टल पोचिंग सेल स्थापित करने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने कहा कि वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली और कई अन्य राज्यों के वन्य जीव संबंधी स्पेशल इकाइयों से बात करने पर पता चला है कि अभी तक इतनी बड़ी संख्या में तस्करों से कछुओं की बारामदगी नहीं हुई थी।

      

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