बजट 2017: राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने की कोशिश, अब पार्टियां नहीं ले पाएंगी 2000 से ज्यादा का नगद चंदा

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   1 Feb 2017 10:39 PM GMT

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बजट 2017: राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने की कोशिश, अब पार्टियां नहीं ले पाएंगी 2000 से ज्यादा का नगद चंदाअब पॉलिटिकल पार्टियां किसी एक आदमी से सिर्फ 2000 रुपए तक ही कैश में चंदा ले सकती हैं। 

लखनऊ। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के लिए 21 लाख 47 हजार करोड़ का बजट पेश किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बज़ट से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

अब पोलिटिकल पार्टियां किसी एक आदमी से सिर्फ 2000 रुपए तक ही कैश में चंदा ले सकती हैं। चंदे के रूप में बड़ी रकम चेक अथवा डिजिटल माध्यम से ली जा सकेंगी। सभी राजनीतिक दलों को तय समय पर अपना रिटर्न फाइल करना होगा। पार्टी फंड के लिए दानकर्ता बॉन्ड खरीद सकेंगे। वित्त मंत्री ने कहा पार्टी फंडिंग में पारदर्शिता पर टैक्स में छूट दी जाएगी।

चुनावों में चंदे के लिए कैश का इस्तेमाल ज्यादा

2004 से 2015 के बीच हुए 71 विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने कुल 3368.06 करोड़ रुपए जमा किए गए थे, इसमें 63 फीसदी हिस्सा कैश से आया। वहीं 2004, 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में चेक के जरिए सबसे ज्यादा चंदा (1,300 करोड़ यानी 55 फीसदी) इकट्ठा किया गया जबकि, 44 फीसदी राशि 1,039 करोड़ रुपए कैश में मिले।

पिछले दस वर्षों में अघोषित चंदों में 69 फीसदी बढ़त

एडीआर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजनीतिक पार्टियों के चंदे का 69 फीसदी हिस्सा अघोषित स्रोतों से आता है जिसकी जानकारी वह चुनाव आयोग और आयकर विभाग को नहीं देते हैं। 2004-05 से 2015-16 के अधिकांश वक्त सत्तारुढ़ रही कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा 3982 करोड़ रुपए मिले जिसमें 3323 करोड़ रुपए यानी क़रीब 83 फीसदी पैसों के स्रोत अज्ञात है। वहीं केंद्र में फिलहाल सत्तारुढ़ बीजेपी को 2004-05 से 2014-15 के बीच कुल 3272 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले जिसमें 2126 करोड़ रुपए, यानि तक़रीबन 65 फीसदी, का स्रोत मालूम नहीं है।

एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को पिछले तीन वर्षों 2013-2015 में आप को 110 करोड़ रुपए मिले। उसमें से 57 प्रतिशत पैसा अज्ञात स्रोतों से आया। इसके अलावा सीपीएम को पिछले दस वर्षों में कुल 893 करोड़ रुपए मिले जिसमें से 53 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से थे। समाजवादी पार्टी को मिले चंदे का 94 फीसदी और अकाली दल को मिले चंदे की 86 फीसदी आय अघोषित स्रोतों से जमा हुई है।

2015-16 में सबसे ज्यादा बीजेपी को चंदा

वहीं इकोनॉमिक्स इंडिया की रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2015-16 में भारत की सात राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1,744 दानदाताओं द्वारा 102.2 करोड़ रुपए चंदे में प्राप्त किए। वहीं वित्तीय वर्ष 2014-15 में 528.67 करोड़ रुपए चंदे में मिले थे। इस तरह करीब 84 फीसदी गिरावट आई। इसमें सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है जिसका आंकड़ा 76 करोड़ रुपए है। इसके बाद कांग्रेस है जिसे 20 करोड़ रुपए मिले। बाकी अन्य पार्टियों को केवल छह करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले। खबर के मुताबिक पार्टियों ने इसकी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी है।

वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2015-16

पार्टियों की कुल घोषित आय- 11,367.34 करोड़

अघोषित स्रोतों से आय- 7,832.98 करोड़

घोषित स्रोतों से आने वाली आय- 1,835.63 करोड़

अज्ञात स्रोतों से बढ़ी आय

समाजवादी पार्टी- 94 फीसदी

शिरोमणि अकाली दल- 86 फीसदी

कांग्रेस - 83 फीसदी

बीजेपी- 65 फीसदी

स्रोत- सभी आंकड़ें एडीआर द्वारा प्रकाशित (वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2014-15)

पार्टियों की आय और आयकर के विषय में जानकारी

  • आईटी (इनकम टैक्स) ऐक्ट, 1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को टैक्स से छूट प्राप्त है लेकिन सभी राजनैतिक पार्टियों को इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी होता है।
  • इसी के साथ 20,000 रुपए से नीचे के चंदे को इलेक्शन कमीशन में घोषित न करने की छूट मिली है हालांकि दानदाताओं का नाम बताए बिना इस आय को इनकम टैक्स फिलिंग में रिपोर्ट करना जरूरी है।
  • इस छूट की वजह से ही ज्यादातर पार्टियां अपने अधिकतर चंदे को 20,000 से कम बताकर आईटी रिटर्न भरती हैं।
  • पार्टियों को इनकम टैक्स से छूट जरूर मिलती है लेकिन इन्हें अपनी पासबुक, फाइल रिटर्न को मेनटेन रखना पड़ता है जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कभी भी इनकी जांच कर सकता है।
  • राजनैतिक दलों को अपना व्यय का ब्यौरा इलेक्शन कमीशन को देना होता है, इसी से इनके घोटाले की जांच की जाती है।

        

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